राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में पार्टी के सफाये से राहुल ज्यादा नाराज

नयी दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में अपने इस्तीफे की पेशकश करते हुए राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में करारी हार पर विशेष रूप से नाराजगी जताई।

सूत्रों के मुताबिक, बैठक में राहुल गांधी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित कुछ बड़े क्षेत्रीय नेताओं का उल्लेख करते हुए कि इन नेताओं ने बेटों-रिश्तेदारों को टिकट दिलाने के लिए जिद की और उन्हीं को चुनाव जिताने में लगे रहे और दूसरे स्थानों पर ध्यान नहीं दिया। सीडब्ल्यूसी की बैठक में मौजूद रहे दो नेताओं ने इसकी पुष्टि की है।

बैठक में मौजूद रहे एक वरिष्ठ नेता ने  पीटीआई-भाषा  से कहा,   राहुल इस बात से ज्यादा नाराज थे कि कांग्रेस शासित राज्यों में पार्टी की इतनी बुरी हार हुई है। उनका कहना था कि हम इससे कहीं बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे।

इस बैठक में मौजूद पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा, राहुल गांधी ने गहलोत और कमलनाथ, चिदंबरम सहित कुछ बड़े क्षेत्रीय नेताओं का नाम लिया और कहा कि इन नेताओं ने अपने बेटे और रिश्तेदारों को टिकट दिलाने के लिए जिद की और फिर इन्हें ही जिताने में लगे रहे।

इस चक्कर में दूसरे स्थानों पर इन नेताओं ने पूरा ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा, कांग्रेस अध्यक्ष ने जिन नेताओं का नाम लिया उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और वे चुप रहे।

गौरतलब है कि इस चुनाव में कांग्रेस को राजस्थान में एक भी सीट नहीं मिल पाई है तो मध्यप्रदेश में एक और छत्तीसगढ़ में सिर्फ दो सीटें मिली हैं।

गहलोत, कमलनाथ और चिदंबरम के पुत्र इस बार चुनावी मैदान में थे। गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत जोधपुर से चुनाव हार गए, हालांकि कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा और चिदंबरम के पुत्र कार्ति तमिलनाडु की शिवगंगा सीट से चुनाव जीत गए।

सूत्रों ने कहा कि राहुल ने बैठक में यह भी कहा कि कई अहम मुद्दों खासकर राफेल को जमीनी स्तर पर ले जाने पर सफलता नहीं मिल पाई।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की तो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं खासकर सोनिया गांधी, अहमद पटेल, पी चिदंबरम और प्रियंका गांधी ने उन्हें रोका। प्रियंका ने यह कहा कि अगर राहुल इस्तीफा देते हैं तो भाजपा की चाल सफल हो जाएगी।

बाद में सीडब्ल्यूसी ने प्रस्ताव पारित कर उनके इस्तीफे की पेशकश को सर्वसम्मति से खारिज किया और पार्टी में आमूलचूल बदलाव के लिए उन्हें अधिकृत किया।

 

 

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