लखनऊ। साल भर में 12 संकष्टी चतुर्थी व्रत आते हैं। इनमें से कुछ चतुर्थी साल की सबसे बड़ी चौथ में से एक हैं, उनमें से एक है सकट चौथ व्रत। सकट चौथ भगवान गणेश के सबसे महत्वपूर्ण पर्व में से एक है। हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन सकट चौथ का त्योहार मनाया जाता है। सकट चौथ व्रत की महिमा से संतान की सभी चिंताएं दूर हो जाएंगी। भक्तों को सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। सकट चौथ वर्ष की शुरूआत में पड़ता है, इसलिए जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं। उन्हें पूरे वर्ष अनंत सुख, धन, सफलता और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। 17 जनवरी 2025, शुक्रवार को सकट चौथ है। इसे संकष्टी चतुर्थी, सकट चौथ, तिलकुट चौथ, माघी चौथ, लंबोदर संकष्टी, तिलकुट चतुर्थी और संकटा चौथ आदि नामों से भी जाना जाता है।
सकट चौथ व्रत का महत्व
सकट चौथ का दिन भगवान गणेश और सकट माता को समर्पित है। इस दिन माताएं अपने पुत्रों के कल्याण की कामना से व्रत रखती हैं। सकट चौथ के दिन भगवान गणेश की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है। इस पूरे दिन व्रत रखा जाता है। रात्रि में चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। यही कारण है कि सकट चौथ पर चंद्रमा दर्शन और पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन गणपति जी को पूजा में तिल के लड्डू या मिठाई अर्पित करते हैं, साथ में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत पारण करते हैं।
सकट चौथ 2025 डेट और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह की चतुर्थी तिथि की शुरूआत 17 जनवरी को सुबह 04 बजकर 06 मिनट पर होगी, वहीं, इस तिथि का समापन 18 जनवरी को सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए सकट चौथ का व्रत दिन शुक्रवार, 17 जनवरी 2025 को रखा जाएगा। इस दिन चन्द्रोदय रात 09 बजकर 09 मिनट पर होगा।
दान करें ये चीजें
सकट चौथ पर तिल, गर्म कपड़े, अन्न, नमक, गुड़, घी, सोना-चांदी व रत्न, कपड़े और धन आदि का दान करना बेहद शुभ माना जाता है। कहते हैं कि अगर इस शुभ दिन इन विशेष चीजों का दान किया जाए, तो जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का अंत होता है। साथ ही धन-दौलत में अपार वृद्धि होती है। कहते हैं, इस तिथि पर दान का विशेष महत्व है, क्योंकि इसके बिना यह पर्व अधूरा माना जाता है। इसलिए इनमें से किसी भी चीज का दान जरूर करें।
सकट चौथ पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद सकट चौथ व्रत रखने का संकल्प करें। एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी और सकट माता की प्रतिमा की स्थापना करें। सिंदूर का तिलक लगाएं। घी का दीपक जलाएं। भगवान गणेश की प्रतिमा पर फूल, फल और मिठाइयां अर्पित करें। पूजा में तिलकुट का भोग जरूर शामिल करें। गणेश चालीसा का पाठ करें। अंत में बप्पा की आरती करें। शंखनाद से पूजा पूर्ण करें। प्रसाद खाकर अपने व्रत का पारण करें।
सौभाग्य और मघा नक्षत्र का बन रहा योग
हिंदू धर्म में संतान से जुड़े कई व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें सकट चौथ का पर्व विशेष है। मान्यता है कि सकट चौथ भगवान गणेश की पूजा को समर्पित है, इस दिन महिलाएं संतान की दीघार्यु और खुशहाली के लिए निर्जला उपवास रखती हैं, जिसका पारण चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। पंचांग के अनुसार हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ व्रत रखा जाता है, इसे सकट, तिलकुटा चौथ, वक्र-तुण्डि चतुर्थी और माघी चौथ के नाम से भी जाना जाता है।
ज्योतिष गणना के अनुसार साल 2025 में यह व्रत 17 जनवरी को रखा जाएगा, इस तिथि पर सौभाग्य योग और मघा नक्षत्र का योग बनेगा, जिस पर बव, बालव करण का संयोग बन रहा है। माना जाता है कि इस योग में गौरी पुत्र गणेश और सकट माता की आराधना करने से संतान के सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं अगर आप पहली बार सकट चौथ का व्रत रख रही हैं, तो कुछ खास बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए, इससे व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।
सकट चौथ के व्रत में इन बातों का रखें ध्यान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सकट चौथ के दिन भगवान गणेश को तिलकुट का भोग जरूर लगाना चाहिए, यह बहुत शुभ होता है। आप तिल के लड्डू या तिल से बनी मिठाई को भोग में शामिल कर सकते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सकट चौथ का व्रत निर्जला रखना चाहिए, इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही अपने व्रत का पारण करें। सकट के दिन भगवान गणेश की पूजा का विधान है, इसलिए पूजा के समय उनके प्रिय रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। ऐसे में व्रती महिलाएं लाल, हरा, और पीले रंग के वस्त्रों का चयन कर सकती हैं, लेकिन भूलकर भी काले रंग के कपड़ों को नहीं पहनना चाहिए। व्रती महिलाएं इस बात का ध्यान रखें कि सकट चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देते समय जल की छींटे पैरों पर नहीं गिरनी चाहिए। माना जाता है कि जल की छींटे पैरों पर आना अशुभ हो सकता है, इसलिए सावधानी बरतें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सकट के दिन गणपति जी को मोदक अवश्य चढ़ाएं, इससे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सकट व्रत की पूजा में केतकी के फूल का उपयोग न करें, ऐसा करना अशुभ हो सकता है। सकट चौथ पर गणेश जी की खंडित प्रतिमा की पूजा नहीं करना चाहिए, ऐसा करना उचित नहीं है। आप इस दिन गणेश जी की नई तस्वीर या मूर्ति लाकर भी उनकी पूजा कर सकते हैं।
पर्व की तैयारी को लेकर बाजारों में हुई खरीदारी

लखनऊ। शुक्रवार को सकट चौथ व्रत को लेकर बाजारों में खूब खरीदारी हुई। हिंदू पर्व सकट चौथ पर घरों में तमाम प्रकार के व्यंजनों की मांग बढ़ जाती है। सकट चौथ पर लोग काला व सफेद तिल, मूंगफली दाना, चना, लाई व चना आदि खाद्य आनाजों में गुड़ व चीनी तथा मेवा मिलाकर अनेक प्रकार से पेड़े व गजक आदि के रूप में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाते हैं। जिससे इन खाद्य पदार्थो की मांग बढ़ गई है। जिससे वर्तमान समय लाई 50, तिल काला 200, रामदाना 80, मूंगफली दाना 120, चना भुना हुआ 120 रुपए प्रति किलो तक बिक्री हो रहा है। जबकि तमाम तरह के तैयार किए हुए व्यंजनों से बाजार सज गए है। जहां पर लोगो ने जमकर खरीददारी भी की जा रही है। उक्त खाद्य सामाग्री के अलावा गुड की भी खूब मांग होने से इसके दाम भी आंशिक रूप से बढ़े हुए है। इस त्योहार को लेकर लोगो में उत्साह देखने को मिल रहा है। पूजा के दौरान इस्तेमाल होने वाले गुड़ व तिल के लड्डू बाजार में अलग-अलग रेट में उपलब्ध हैं। गुरुवार को डंडइया बाजार अलीगंज और यहियागंज में खरीदारों की भीड़ जुटी हुई है।