लखनऊ में वर्षों पुरानी है बड़ा मंगल की परंपरा

लखनऊ। इस बार ज्येष्ठ का पहला बड़ा मंगल 13 मई को पड़ेगा। इस बार पांच बड़े मंगल पड़ेंगे। हनुमान जी भगवान शिव के अवतार हैं। इनकी पूजा तत्काल फल देने वाली है। इन्हें संकटमोचन, ग्राम देवता के रूप में भी पूजा जाता है। माता सीता ने हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नवनिधि की प्राप्ति का वरदान दिया था। भक्त व्रत रखकर रामसीता, लक्ष्मण और हनुमान जी का पूजन कर भजन कीर्तन करते हैं और रामचरित मानस के सुंदरकांड का पाठ करना बहुत लाभदायक होता है। लाल वस्त्र, लाल चंदन, लाल फूल, सिंदूर, चमेली के तेल का लेप, तुलसी पत्र, बेसन के लडडू और बूंदी से बजरंगबली शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

कोई नहीं रहता भूखा :
बड़े मंगल पर सूरज के जागने से पहले ही शहर जाग जाता। दिन चढ़ने के साथ ही उत्साह उत्सव सी चहलपहल में बदल जाता। जेठ की आग बरसती दुपहरी में भंडारों की तैयारी होती। कैसा भी रास्ता हो, संकरा या चौड़ा, हर चार कदम पर भंडारा लगता। लखनऊ में जेठ के सभी मंगल को कोई भूखा प्यासा नहीं रहता, शायद ही किसी के घर पर खाना बनता हो। बने भी क्यों, जब भंडारे में ही हर तरह का स्वाद मिल जाता है।
सुबह घर से निकलने के बाद रात तक के खाने की चिंता नहीं करनी पड़ती। कोई वहीं खड़े होकर खाता, कोई गाड़ी में बैठकर तो कई लोग भंडारे का प्रसाद पैक कराकर घर ही ले जाते। कहने को तो प्रसाद, लेकिन पेट जब तक न भरे, खाते ही जाते। लखनऊ में बड़े मंगल की एक और खासियत रही है, इस दिन विशेषकर सरकारी दफ्तरों में काम न होता। आधे से ज्यादा स्टाफ भंडारे में प्रसाद बांटता ही मिलता। कुछ लोग तो परिवार को दफ्तर बुलाकर सपरिवार भंडारा वितरण करते।

समय के साथ बदलता गया भण्डारे का स्वरूप
नवाबों के समय जब भण्डारे की शुरूआत हुई तो गुड़, चना और गेहूं बांटने की परम्परा थी। समय के साथ अब सब्जी- पूडी, छोला- चावल, आइसक्रीम, शरबत, कोल्डड्रिंक और तरह की चीजे प्रसाद के रूप में भण्डारे में बंटने लगी। आज लखनऊ का कोई ऐसा इलाका नहीं है। जहां बड़े मंगल पर भण्डारा न लगता हो। बड़े मंगल पर अलीगंज हनुमान मंदिर की परिक्रमा करने लोग दूर- दूर से आते हैं। मनोरथ के लिए भक्त लेटकर डगर नापते हुए घर से आते हैं। इस पंरपरा का निर्वहन भक्तों ने इस बार भी देर रात किया।

अलीगंज हनुमान मंदिर से हुई शुरूआत

बड़े मंगल की परंपरा अलीगंज के हनुमान मंदिर से ही शुरू हुई। चंद्रमास जेठ के पहले मंगल का मेला यहां की प्रधान परंपरा है। बड़े मंगल पर यहां मेला लगता आया है। अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह ने बड़ा मंगल की इस परंपरा को उत्साहपूर्वक निभाया और आगे बढ़ाया। बड़े मंगल पर अलीगंज हनुमान मंदिरों की परिक्रमा करने के लिए दूरदराज से लोग आते हैं। मनोरथ प्राप्ति के लिए भक्त लेटकर ही घर से मंदिर तक ही यात्रा तय करते हैं। पहले बड़े मंगल की परंपरा अलीगंज हनुमान मंदिरों से ही जुड़ी थी। धीरे-धीरे बड़े मंगल की प्रतिष्ठा लखनऊ भर के अन्य हनुमान मंदिरों तक भी पहुंचने लगी। एक अन्य कथानक के अनुसार इत्र कारोबारी लाला जाटमल ने अलीगंज में हनुमान मंदिरों को बनवाया। अलीगंज हनुमान मंदिर का विग्रह स्वयंभू है और यह मूर्ति महंत खासाराम को एक स्वप्न निर्देश में जमीन से मिली। महंत खासाराम के अनुरोध पर ही इस मंदिर का निर्माण करवाया गया।

नवाबों ने शुरू की थी बड़े मंगल पर पूजा व भण्डारे की परंपरा
अलीगंज स्थित पुराना हनुमान मंदिर के महंत गोपाल दास बताते हैं कि नवाब शुजाउद्दौला की बेगम आलिया बेगम की कोई संतान नहीं थी। एक फकीर ने बताया कि पॉलीटेकनिक के पास टीले में हनुमान जी की एक मूर्ति है। उसे स्थापित करवाने से हनुमान जी उनकी मनोकामना पूर्ण करेंगे। बेगम ने खुदाई करवाई तो वहां हनुमान जी की मूर्ति निकली। बेगम साहिबा मूर्ति को हाथी पर रखकर गोमती पार ले जाने लगीं लेकिन हाथी अलीगंज में ही बैठ गया। इसके बाद मूर्ति को उसी स्थान पर स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाने लगी। जिसे आज अलीगंज पुराना हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर के गुंबद पर बना चांद का निशान एकता और भाईचारे की मिशाल पेश करता है। इसके कुछ समय बाद इलाके में प्लेग महामारी फैली। आलिया बेगम ने महामारी से मुक्ति के लिए बजरंग बली की आराधना की। बजरंगबली की कृपा से महामारी समाप्त हो गई। इस खुशी में विशाल भण्डारे का आयोजन किया। वह दिन ज्येष्ठ माह का मंगलवार था। तभी से भण्डारे की परंपरा चली आ रही है। अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह ने इस परंपरा को और आगे बढ़ाया।

मंदिरों में तैयारियां शुरू, जुटेगी भक्तों की भीड़
बड़े मंगल पर बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ मंदिर में जुटेगी। जिसको लेकर मंदिर कमेटी की ओर से तैयारी पूरी हो गई है। मंदिर रंग बिरंगे झालरों से जगमग हो गए हैं। अलीगंज हुनमान मंदिर सोमवार दिन में 12 बजे मंदिर के कपाट खुलने के बाद मंगलवार रात 12 बजे बंद होगा। मंदिर की ओर से 2.5 कुंतल लड्डू और एक हजार कालाजाम बांटा जाएगा। बजरंगबली का दिन भर में 11 बार चोला बदला जाएगा। मंदिर की ओर से आयोजित भंडारे में तीन तरह की सब्जी, पूड़ी, रायता और बूंदी रहेगी। वहीं अलीगंज पुराना हनुमान मंदिर में बड़े मंगल पर विशेष पूजन के साथ भंडारे का आयोजन होगा। वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय मार्ग स्थित हनुमान सेतु मंदिर में सोमवार रात 12 बजे मंदिर के कपाट खुलने के साथ मंगला आरती हुई। पहले बड़े मंगल पर 75 हजार लड्डू प्रसाद के रूप में बांटा जाएगा। मंदिर के कपाट मंगलवार रात 12 बजे बंद होगा। पक्का पुल स्थित श्री अहिमर्दन पातालपुरी हनुमान जी मंदिर में सुबह सिंदूर लेप कर श्रृंगार किया जाएगा। सुबह नौ बजे आरती उतारी जाएगी। बजरंगबली को 56 व्यंजन का भोग लगाया जाएगा। वहीं हजरतगंज स्थित दक्षिणमुखी मंदिर, छाछी कुआं हनुमान मंदिर, अमीनाबाद हनुमान मंदिर आदि मंदिरों में मंगल पर बजरगंबली की विशेष पूजन होगा।

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