समाज व सत्ता की विडंबनाओं को उजागर करता है ‘दो आदमी दो कुर्सी’

नाटक और मुशायरे का आयोजन
लखनऊ। रूपांतर नाट्य मंच की ओर से जारी रंग-ए-आवारगी महोत्सव में शनिवार को व्यवस्था की सच्चाई को दिखाते नाटक और मुशायरे का आयोजन किया गया। संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में विनय वर्मा के निर्देश में दो आदमी दो कुर्सी का मंचन किया गया।
नाटक समाज और सत्ता की विडम्बनाओं को उजागर करता है। कहानी दो व्यक्तियों और दो कुर्सियों के इर्द-गिर्द घूमती है, लेकिन इसकी परिधि पूरे समाज को अपने घेरे में ले लेती है। संवादों और घटनाओं के माध्यम से यह नाटक दिखाता है कि किस प्रकार आम आदमी व्यवस्था, राजनीति और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के बीच उलझकर अपनी असल पहचान खो बैठता है। रंगकर्मी विनय वर्मा और अशोक सिंह ने अपनी अदाकारी से दोनो किरदारों को जीवंत किया। कहानी में केवल दो पात्र और दो कुर्सियां ही सत्ता, संघर्ष और शोषण का बड़ा रूपक बन जाती हैं। नाटक समाज के मौजूदा हालात को न केवल दशार्ता है बल्कि दर्शकों को आत्ममंथन के लिए भी प्रेरित करता है। महोत्सव में रविवार को री-डेवलपमेंट नाटक का मंचन और बैंड की प्रस्तुति होगी।

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