लखनऊ। महाशिवरात्रि पर्व को लेकर राजधानी के विविध शिवालयों में तैयारियां अंतिम चरण में हैं। जहां भस्म आरती से लेकर शोभायात्रा और रुद्राभिषेक तक का आयोजन किया जायेगा। इस बार महाशिवरात्रि 26 फरवरी को है।
मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरी ने बताया कि महाशिवरात्रि को भोर के चार बजे से दर्शन के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। जलाभिषेक करने के लिए दो जलधारी के माध्यम से गर्भगृह के बाहर से किया जाएगा। सदर सदर स्थित शिव श्याम मंदिर में सामूहिक रुद्राभिषेक होगा। ठाकुरगंज कल्याण गिरी मंदिर द्वारा शिव बारात नहीं निकाली जाएगी। रात में रुद्राभिषेक का आयोजन किया जाएगा। राजेंद्र नगर महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि पर सुबह 4 बजे भस्म आरती होगी और शाम 7 बजे शिव पार्वती पार्वती का विवाह महोत्सव होगा। सदर के दादश ज्योतिर्लिंग धाम में 14 परिवारों द्वारा रुद्राभिषेक किया जाएगा।
भगवान का अभिषेक करें
ज्योतिषाचार्य पं। राकेश पांडेय के अनुसार वैसे तो शिव भक्त प्रत्येक कृष्ण चतुर्दशी को व्रत करते है। परंतु फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी का व्रत जन्म जन्मांतर के पापों का समन करने वाला है। इसमें रात्रि जागरण करते हुये रात्रि में चारों प्रहर में चार प्रकार के द्रव्यों से अभिषेक करने का विधान है। स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन सूर्यास्त के बाद भगवान शिव-पार्वती अपने गणों के सहित भूलोक में सभी मंदिरों में प्रतिष्ठित रहते हैं। ऐसे में, प्रथम प्रहर में षोडशोपचार पूजन कर गोदुग्ध से, द्वितीय प्रहर में गोदधि से, तृतीय प्रहर में गोघृत से व चतुर्थ प्रहर में पंचामृत से अभिषेक करने का विधान है।
ऐसे करें महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक
भगवान शिव का पूजन व रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। रुद्राभिषेक करने से कार्य की सिद्धि शीघ्र होती है। धन की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को स्फटिक शिवलिंग पर गोदुग्ध से, सुख समृद्धि की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को गोदुग्ध में चीनी व मेवे के घोल से, शत्रु विनाश के लिए सरसों के तेल से, पुत्र प्राप्ति को मक्खन या घी से, अभीष्ट की प्राप्ति को गोघृत से तथा भूमि भवन एवं वाहन की प्राप्ति को शहद से रुद्राभिषेक करना चाहिए। यदि जन्म कुंडली में सूर्य से संबंधित कष्ट या रोग हो तो श्वेतार्क के पत्तों को पीस कर गंगाजल में मिलाकर रुद्राभिषेक करें। चंद्रमा से संबंधित कष्ट या रोग हो तो काले तिल को पीस कर गंगाजल में मिलाकर, मंगल से संबंधित कष्ट या रोग हो तो अमृता के रस को गंगाजल में मिलाकर, बुध जनित रोग या कष्ट हो तो विधारा के रस से, गुरु जन्य कष्ट या रोग हो तो हल्दी मिश्रित गोदुग्ध से, शुक्र से संबंधित रोग एवं कष्ट हो तो गोदुग्ध के छाछ से, शनि से संबंधित रोग या कष्ट होने पर शमी के पत्ते को पीस कर गंगाजल में मिलाकर, राहु जनित कष्ट व पीड़ा होने पर दूर्वा मिश्रित गंगा जल से, केतु जनित कष्ट या रोग होने पर कुश की जड़ को पीसकर गंगाजल में मिश्रित करके रुद्राभिषेक करने पर कष्टों का निवारण होता है। साथ ही समस्त ग्रह जनित रोग का समन होता है।
इस बात का रखें ध्यान
शिव मंदिर में व्रती को चाहिए कि वह विभिन्न द्रव्यों से अभिषेक कर दूसरे दिन सूर्योदय के बाद काले तिल, त्रिमधु युक्त पायस एवं नवग्रह समिधा से हवन कर एक सन्यासी को भोजन कराकर स्वयं पारणा करें। शिवलिंग पर चढ़ाई गयी कोई भी वस्तु जनसामान्य के लिए ग्रहण करने के लिए नहीं है। अपितु अलग से मिष्ठान व फल आदि का भोग लगाकर उसे वितरण कर स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए।
भव्य श्रृंगार किया जाएगा
मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्यागिरि ने बताया कि महाशिवरात्रि के पर्व पर सूर्योदय से पहले बाबा का भव्य श्रृंगार और महाआरती होने के बाद कपाट सुबह 3:30 बजे भक्तों के दर्शनों के लिए खोल दिये जाएंगे। दर्शन के लिए महिलाओं व पुरुषों की लाइन की अलग-अलग व्यवस्था रहेगी। वहीं, महादेव का दुग्धाभिषेक और जलाभिषेक बाहर से ही करने की अनुमति रहेगी। भक्तों में बाबा का प्रसाद भी वितरित किया जायेगा। सुरक्षा के लिए मंदिर के सेवादार भी मुस्तैद रहेंगे।
सुबह होगी भस्म आरती
राजेंद्रनगर स्थित महाकाल मंदिर के अतुल मिश्रा ने बताया कि 25 फरवरी को हल्दी-मेहंदी कार्यक्रम, 26 फरवरी को मंदिर के कपाट खोले जाएंगे, दो बजे रुद्राभिषेक के बाद सुबह 4 बजे भस्म आरती होगी। इसके बाद 4-12 बजे तक पट खुले रहेंगे। वहीं, 12:30 बजे से 5 बजे तक महारुद्राभिषेक होगा। रात में महाआरती और महाभोग लगेगा। वहीं, चौक स्थित कोनेश्वर महादेव मंदिर के राजीव मेहरोत्रा ने बताया कि महाशिवरात्रि पर महादेव का दूध, दही, घी, शक्कर आदि से अभिषेक किया जाएगा। साथ ही गेंदा व गुलदाऊदी से मंदिर को सजाया जाएगा। साथ ही महाआरती का भी आयोजन होगा। जबकि, मां पूर्वी देवी में एक हजार पंचमुखी दियों से मंदिर को रौशन किया जाएगा।
महाशिवरात्रि पर 24 घंटे खुले रहेंगे लखनऊ के मशहूर शिवालय
लखनऊ। देवों के देव महादेव की पूजा आराधना का सबसे बड़ा दिन महाशिवरात्रि इस बार 26 फरवरी को है। इसको लेकर बात देशभर के साथ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सभी शिव मंदिर सज कर तैयार हो चुके हैं। भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए यहां आने वाले भक्तों को कोई दिक्कत न हो इसको लेकर पुख्ता तैयारियां की जा रही हैं। इस साल 26 फरवरी को महा शिवरात्रि का पर्व है, इस वजह से यह भक्तों के लिए और भी खास है।
बुद्धेश्वर महादेव मंदिर:
महाशिवरात्रि पर यह मंदिर रात 12 बजे से खुल जाएगा और पूरे दिन यहां पर भक्त दर्शन पूजन कर सकते हैं। सिर्फ आरती और श्रृंगार के लिए सुबह 11:30 बजे से लेकर करीब दोपहर एक बजे तक मंदिर के कपाट बंद रहेंगे। यहां पर आपको दर्शन करने के लिए जाना है, तो आप किसी भी तरह के ड्रेस कोड में जा सकते हैं. कोई भी रोक नहीं होगी। मंदिर के बाहर ही आपको बेलपत्र, गंगाजल, मिठाई और सभी तरह के फूल के साथ ही दूध भी आसानी से मिल जाएगा। यह मंदिर बुद्धेश्वर इलाके में स्थित है।
मनकामेश्वर मंदिर:
मनकामेश्वर मंदिर बेहद प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भी महाशिवरात्रि पर पूरा दिन खुला रहेगा। यहां पर भी आपको भोलेनाथ के शृंगार और उनकी पूजा-अर्चना का सारा सामान मंदिर के बाहर मिल जाएगा। हालांकि इस मंदिर में अगर आपको शिवलिंग के करीब जाकर जल चढ़ाना है, तो पुरुषों को धोती कुर्ता और महिलाओं को साड़ी में ही जाना अनिवार्य होगा। यह मंदिर लखनऊ विश्वविद्यालय के ठीक पीछे जाने वाले रास्ते पर है।
कोतवालेश्वर महादेव:
यह मंदिर चौक चौराहे के करीब है और चौक कोतवाली के बिल्कुल बगल में है। यहां के महंत विशाल गौड़ ने बताया कि मंदिर में पूरा दिन लोग दर्शन पूजन कर सकते हैं। मंदिर किसी भी वक्त बंद नहीं किया जाएगा. सुबह 5 बजे और रात में 8 बजे आरती होगी. बाबा का श्रृंगार की आरती के बाद ही की जाएगी। इसमें भी लोग शामिल हो सकते हैं। इस मंदिर में कोई भी ड्रेस कोड लागू नहीं है।
श्री महाकाल मंदिर:
यह मंदिर लखनऊ के राजेंद्र नगर इलाके में स्थित है। प्राचीन मंदिर है उज्जैन के महाकाल की तर्ज पर यहां पर भस्म आरती सुबह 4 बजे होगी। 5 बजे से महाशिवरात्रि पर भक्तों के लिए मंदिर खोल दिया जाएगा. दिन के साथ रात के 12 बजे मंदिर खुला रहेगा। इस दौरान कुछ भक्तों ने रुद्राभिषेक के लिए एडवांस बुकिंग भी करा रखी है। यहां पर भी कोई ड्रेस कोड लागू नहीं है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर:
द्वादश ज्योतिर्लिंग लखनऊ की प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहां पर महादेव के द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन एक ही छत के नीचे करने का मौका भक्तों को मिलता है। इस मंदिर के कपाट भी सुबह 5 बजे खुल जाएंगे और पूरा दिन आप यहां पर पूजा अर्चना कर सकते हैं। यहां रुद्राभिषेक भी चलेगा। इस मंदिर में भी भक्तों के लिए किसी भी प्रकार का कोई ड्रेस कोड लागू नहीं किया गया है। इस मंदिर की खासियत यह है कि आपको शिवलिंग के करीब ही शुद्ध जल शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए मिल जाएगा।