प्रेम, ईर्ष्या और एकांतवास की कहानी है ‘शेखावत जी का प्याला’

एसएनए में 17 दिवसीय नाट्य महोत्सव का समापन, दो नाटकों का मंचन

लखनऊ। मंचकृति समिति संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश के सहयोग से आयोजित 17 दिवसीय नाट्य महोत्सव के 17वें दिन एसएनए के संत गाडगे प्रेक्षागृह में दो नाटकों का मंचन किया गया जिसका निर्देशन संगम बहुगुणा व विकास श्रीवास्तव ने किया। नाट्य महोत्सव में पहले नाटक शेखावत जी का प्याला का मंचन किया गया।

शेखावत जी का प्याला
सारांश-शेख साहब की पूरी दुनिया अपने बदरंग प्याले के इर्द-गिर्द इस कदर सिमटकर रह गई थी कि वह उनका हम निवाला हम प्याला बन गया था। शेखावत जी के एकांतवास ने उनकी जिÞन्दगी में इतनी चुप्पी ला दी थी की उन्हें बेजान में जान तलाशनी पड़ी। सच है हम दो वक़्त बिना खाए तो रह सकते है किंतु बिना बोन इंसान का गुजारा नहीं रहता। आखिर मन में हो रही हलचल को भीतर ही तो नहीं घोंटा जा सकता? बहुत जरूरी होता है उसे बाहर निकालना। शेख साहब जितना संजीदा इंसा रहे उनका बदरंग प्याला उतना ही रसिक है। प्रेम, ईर्ष्या, पलायनवाद परिवार और एकांतवास का मिला-जुला गुच्छा है शेखावत जी का प्याला। मंच-पर संगम बहुगुणा, संजय देगलूरकर, विकास श्रीवास्तव।

वो हसीन शाम
डॉ. करुणा पांडे द्वारा लिखित नाटक के सारांश-वह हसीन शाम सारांश आज की इस व्यस्तम जिंदगी में कोई किसी के साथ दो क्षण भी नहीं बैठ पा रहा है, यहां तक की पति अपनी पत्नी को भी थोड़ा समय नहीं दे पा रहे हैं। में, अपनी शादी की दसवीं वर्षगांठ के शुभ अवसर पर, पति द्वारा पत्नी को होटल में रात्रि बिताने का जब आॅफर देता है, तो पत्नी खुशी के मारे सातवें आसमान पर विचरने ला है। पति-पत्नी अपनी कार से होटल पहुंच जाते हैं, उसके बाद जो होता है उसका आनंद लीजिए। मंच-पर-अम्बरीश बॉबी, फरहाना फातिमा, संगम बहुगुणा, शुभम कुमार दुबे व अन्य।
डॉक्टर करुणा पाण्डे, एम.ए. (हिंदी राजनीति शास्त्र) एम.एड.पी.एच.डी. (हिंदी), बीस साल अध्यापन करने के बाद एच्छिक सेवा निवृ सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय लेखन अभिनव संग्रह (कविता संग्रह) राम चरित मानस, और रघुवंश एक तुलना (शोध), यथार्थ की चादर (उपन्या कोहरे में किलकारी (कहानी संग्रह) एवं अन्य, अधूरा कैनवस (कहानी संग्रह) जीवन वृत महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी आदि, बाल साहि जिज्ञासु बच्चे आदि, ज्ञान और नीति की कहानी संपादन हिंदी का वैश्विक परिदृश्य आदि, कुमाऊनी गीतों से भीगते संसार, संस्कार शकुना आदि लोक वार्ता थारू जनजाति पर विशेष उद् बोधन। अनेक सम्मानों से अलंकृत ।

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