इस व्रत से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
लखनऊ। त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है। हर महीने में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि भगवान महादेव को समर्पित है। इस खास तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। मान्यता है कि सच्चे मन से भगवान महादेव की उपासना करने से मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। साथ ही सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरूआत 03 जुलाई को सुबह 07 बजकर 10 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 04 जुलाई को सुबह 05 बजकर 54 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत 03 जुलाई को किया जाएगा।
प्रदोष व्रत का महत्व
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का अधिक महत्व है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से जातक को हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस दिन शिव भक्त इस दिन का उपवास रखते हैं और कुछ भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए मंदिर भी जाते हैं और रुद्राभिषेक करते हैं।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। साफ वस्त्र धारण कर सूर्य देव को जल अर्पित करें। मंदिर में चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और मां पार्वती की मूर्ति विराजमान कर व्रत का संकल्प लें। शिवलिंग का शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करें। कनेर के फूल, बेलपत्र और भांग अर्पित करें। इसके बाद देशी घी का दीपक जलाकर आरती करें और शिव मंत्रों का जप करें। विधिपूर्वक शिव चालीसा का पाठ करना भी फलदायी साबित होता है। भगवान शिव को फल और मिठाई का भोग लगाएं। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।