लखनऊ। हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष प्रारंभ होता है। चंद्र ग्रहण सात सितंबर को है। नौ घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाएगा। रात 9:57 बजे ग्रहण शुरू होगा और देर रात 1:27 बजे तक रहेगा। ग्रहण का समय तीन घंटे 30 मिनट है। पं. विन्द्रेस दुबे ने बताया कि चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण के नौ घंटे पहले लग जाएगा और मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाएंगे।
मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितर पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों पर कृपा बरसाते हैं। इस बार पितृ पक्ष की शुरूआत 7 सितंबर 2025 को पूर्णिमा तिथि से हो रही है। यह तिथि न केवल धार्मिक बल्कि खगोल विज्ञान की दृष्टि से भी खास है। दरअसल, 7 सितंबर 2025 को साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है, तो सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती है। इससे धरती की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस खगोलीय घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को रात 9 बजकर 58 मिनट से शुरू होगा। इसका समापन देर रात 1 बजकर 26 मिनट पर है। यह ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। इसके अलावा इस चंद्र ग्रहण को भारत में देखा जाएगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य होगा। वहीं चंद्र ग्रहण का प्रभाव पूजा-पाठ से लेकर अन्य शुभ कार्यों पर भी पड़ेगा। इसलिए आप इस अवधि में भूलकर भी धार्मिक यात्रा और खरीदारी न करें।
नौ घंटे पहले सूतक काल शुरू
चंद्र ग्रहण सात सितंबर को है। नौ घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाएगा। रात 9:57 बजे ग्रहण शुरू होगा और देर रात 1:27 बजे तक रहेगा। ग्रहण का समय तीन घंटे 30 मिनट है। देश के साथ ही यह ग्रहण एशिया, यूरोप, अंटार्कटिका, आस्ट्रेलिया और प्रशांत व अटलांटिक महासागर में भी दिखाई देगा। पं. विन्द्रेस दुबे ने बताया कि चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण के नौ घंटे पहले लग जाएगा और मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाएंगे। मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरी ने बताया कि सभी के कल्याण की प्रार्थना के साथ मंदिर के कपाट बंद होंगे। दोपहर 12:57 बजे मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे। महाकाल मंदिर के व्यवस्थापक अतुल मिश्रा ने बताया कि मध्याह्न में महाकाल की आरती के साथ कपाट बंद हो जाएंगे। आठ सितंबर को भोर में मंदिर के कपाट खोले जाएंगे।
हनुमान सेतु मंदिर के आचार्य चंद्रकांत ने बताया कि सात सितंबर की रात 9:57 बजे ग्रहण का स्पर्श काल होगा। रात 11:41 बजे मध्यकाल और रात 1:27 बजे मोक्ष काल होगा। मंदिर आठ को सुबह पांच बजे मंदिर के शुद्धिकरण के साथ दर्शन शुरू होंगे। ग्रहण के दौरान श्रद्धालुओं का प्रवेश नहीं होगा। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि चंद्र ग्रहण के दिन सूतक काल में हमें कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए। घर में रखे खाने के सामान पर कुश या तुलसी के पत्ते डालने चाहिए, जिससे खाने की सामग्री अशुद्ध न हो जाए। गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
दशकों बाद श्राद्ध पक्ष में दो ग्रहण
हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष कहा जाता है। इस बार पितृ पक्ष 7 सितंबर रविवार से आरंभ होकर 21 सितंबर(सर्वपितृ अमावस्या) तक रहेगा। दशकों बाद पहले ही दिन पूर्णिमा श्राद्ध और खग्रास चंद्रग्रहण दोनों पड़ रहे हैं। समाप्ति पर सूर्यग्रहण होगा, जो भारत में नहीं दिखेगा। ऐसे भारतीय परिवार जो सूर्यग्रहण ग्रस्त देश में रह रहे हैं उनको भी पितृ अमावस्या पर सूतक का ध्यान रखना होगा।
सूतक से पहले होगा श्राद्ध तर्पण:
7 सितंबर की दोपहर 12:57 बजे से चंद्र ग्रहण का सूतक आरंभ हो जाएगा। इसलिए पूर्णिमा श्राद्ध और तर्पण दोपहर 12:57 से पहले ही कर लेना आवश्यक है। रात 9:57 बजे ग्रहण लगेगा, जिसका मध्यकाल 11:42 पर और मोक्ष रात 1:27 बजे होगा। ग्रहण अवधि लगभग साढ़े तीन घंटे की रहेगी और यह पूरे भारत सहित कई अन्य देशों में भी दिखाई देगा। ज्योतिषाचार्य राहुल अग्रवाल ने बताया कि दशको बाद श्राद्ध पक्ष में दो ग्रहण हैं। शुरूआत में चंद्रग्रहण और समापन पर सूर्यग्रहण। भारत में चंद्रग्रहण का पूरा असर होगा, लेकिन सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। ऐसे में जो परिवार उन देशों में हैं जहां सूर्यग्रहण होगा उन्हें सूतक से पहले श्राद्ध करना होगा।
कहां-कहां दिखाई देगा चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण भारत सहित एशिया, यूरोप, आॅस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अफ्रीका, पश्चिमी और उत्तरी अमेरिका तथा दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में भी देखा जा सकेगा।
इन बातों का रखें ध्यान
पं. विन्द्रेस दुबे ने बताया कि चंद्र ग्रहण में किसी भी धार्मिक या शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। चंद्र ग्रहण के दौरान देवता या पेड़-पौधों को छूने से बचना चाहिए। यात्रा से बचना चाहिए। चंद्र ग्रहण के दौरान कैंची, चाकू, सुई का प्रयोग करने से बचें। गर्भवती को गाय के गोबर या गेरू से पेट को गोठना चाहिए। ग्रहण देखने से बचना चाहिए। ग्रहण काल में भोजन या पानी का सेवन न करें। ग्रहण बाद स्नान करना चाहिए।