सिख समाज के लोगों ने तिल और मूंगफली डालकर एक-दूसरे को दी बधाई, घर से गुरुद्वारे तक लोहड़ी की रही धूम
लखनऊ। सुंदर मुंदरिए ओए, तेरा कौन विचारा होए, दूल्हा पट्टी वाला होए। दूल्हे तीहि ब्याई सेर शक्कर पाई…, किन-किन चूरी कुट्टी, अस्सा मल लई तेरी ड्योडी माये नि सहनु दे लोहड़ी…ऐसे ही लोकगीतों से सोमवार की शाम पूरी तरह गूंज रही थी। कड़ाके की ठंड के बीच खुशियों का स्वागत करती लोहड़ी को मनाने के लिए शहर उमड़ पड़ा। भांगड़े और गिद्दे पर धूम मचाती कुड़ियों-मुंडों ने सोमवार को जमकर लोहड़ी मनाई। सिख समाज के लोगों ने जलती लकड़ियों के ढेर में तिल और मूंगफली डालकर एक-दूसरों को लोहड़ी की बधाई दी और नाचते-गाते पर्व मनाया। जिनके घर शिशु का जन्म हुआ था या दुल्हन आई थी, उनके आंगन की रौनक देखते ही बनी। गुरुद्वारों में भी शबद कीर्तन हुए। फैजाबाद रोड स्थित इन्द्रप्रस्थ स्टेट अपार्टमेंट में सर्वधर्म समभाव के रूप में लोहड़ी मनाई गई। लोगों ने आग के चारों ओर नाचते-गाते तिल के लड्डू, पॉपकार्न, गजक और रेवड़ी का आनंद लिया। आर्य नगर में रहने वाले दलजीत सिंह ने अपने पौत्र की पहली लोहड़ी धूमधाम से मनाई। इसी तरह पान दरीबा में रहने वाली परम सिंह ने घर में पत्नी लवलीन को पहली लहड़ी पर भांगड़े और गिद्दे का आयोजन किया।
समर विहार ने पारंपरिक ढंग से मनाई लोहड़ी:
गत वर्षों की भाँति आज भी समर विहार कॉलोनी के सेंट्रल पार्क मे अत्यंत हर्षोल्लास के साथ लोहड़ी का पारंपरिक पर्व बड़ी धूमधाम के साथ सभी धर्म के लोगों ने मिलकर मनाया।
अग्नि प्रज्ज्वलित करने के लिए तनेजा परिवार के नव विवाहित जोड़े मनजीत सिंह और कमलजीत कौर (शिल्पी) और पुत्र रत्न प्राप्त जीतू और मोना सेठी के बेटे बहू उपस्थित थे। नई फसलों की कटाई, अन्नदाताओं की प्रसन्नता, गृहस्थो की टोली ने अग्नि के फेरे लेते हुए रेवड़ी, मूँगफली, गुड़ तिल इत्यादि अर्पित करते हुए प्रसाद वितरण किया। इस अवसर पर हमेशा की तरह ” सुन्दर मुंन्दरिये तेरा कौन बेचारा दुल्ला भट्टी वाला, दुल्लै धी बियाही, सेर शक्कर पाई ‘ गायन करते हुए डांस किया। लोहड़ी पर्व सबने मिलकर गाया। मूंगफली की खुशबूते गुड़ दी मिठास, मक्के दी रोटी ते सरसों दा साग, दिल दी खुशी ते अपनों दा प्यार, मुबारक हो तु हा नू लोहड़ी दा त्योहार । इस अवसर पर कॉलोनी निवासियों को लोहड़ी की बधाई समर विहार वेल्फेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष कृपाल सिंह ऐबट और जनप्रिय नेता गिरीश मिश्रा ने दी।
बारा बरसी खटन गया सी गीत पर किया भांगड़ा:
आईटी चौराहे स्थित इंद्रप्रस्थ स्टेट में व चित्रगुप्तनगर सोसाइटी और आशियाना से.जी निवासियों ने भी शाम को लोहड़ी मनाई। परिवारों के साथ आए कुड़ियों-मुंडों ने बारा बरसी खटन गया सी, खट-खट ल्यांदा आलू चुप कर जाओ कुड़ियों होवै भांगड़ा चालू… पर भांगड़ा पाया। राजाजीपुरम, कैंट, आशियाना, आलमबाग, कृष्णानगर, चारबाग, इंदिरानगर, महानगर, चौक, गोमतीनगर के इलाकों में भी लोगों ने घरों में लोहड़ी पर अनाज छुड़ाए। आलमबाग के समर विहार कॉलोनी पार्क में स्थानीय निवासियों ने परिवारों के साथ लोहड़ी की रंगत बढ़ाई। सैकड़ों लोगों ने ढोल की थाप पर भांगड़ा.गिद्दा पर धमाल मचाया। कइयों ने अपनी संतान के साथ तो अधिकतर परिवारों ने घर में आई बहुओं के साथ गलन भरी कोहरे की ठंड में लोहड़ी के चारों ओर घूमते हुए अनाज छुड़वाए।
लोकगीतों के साथ मनाई लोहड़ी:
पंजाबी समाज में लोकगीतों के साथ लोहड़ी का पर्व बेहद धूमधाम के साथ मनाया गया। खुशियों से भरपूर लोहड़ी का त्योहार मुख्य रूप से पंजाब समाज में धूमधाम से मनाया जाता है। जहां शहर में विभिन्न संगठनों ने लोहड़ी जलाई वहीं पंजाबी परिवारों में यह त्योहार बेहद हर्षोल्लास से मनाया गया।
इससे जुड़ी हैं कई लोककथाएं:
पंजाब के कुछ इलाकों में इसे लोही या लाई भी कहा जाता है। लोहड़ी का संबंध कई ऐतिहासिक कहानियों के साथ जोड़ा जाता है। पर इससे जुड़ी प्रमुख लोककथा अब्दुल्ला की है, जो मुगलों के समय का एक बहादुर योद्धा था। अब्दुल्ला जो बाद में दुल्ला भट्टी कहलाया, उसने मुगलों के बढ़ते जुल्म के खिलाफ कदम उठाया। कहा जाता है कि एक ब्राहमण की सुंदर कुंवारी कन्या सुंदरी व मुंदरी से मुगल जबरन शादी करना चाहता था, पर उन दोनों बहनों की सगाई कहीं और हुई थी। मुगल शासक के डर से उनके ससुराल वाले शादी के लिए तैयार नही थे। इसी मुसीबत में दुल्ला भट्टी ने ब्राह्मण की मदद की। बस तभी से सिख समाज में यह त्योहार मनाया जाता है और यह जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने का संकल्प लेते हुए यह गीत गाया जाता है।
रेबड़ी और मूंगफली:
लोहड़ी पर पॉपकॉर्न रेबड़ी और मूंगफली के साथ काले तिल को आग में डालने की प्रथा होती है। जिसके बाद पॉपकॉर्न, रेवड़ी और मूंगफली का प्रसाद बांटा जाता है।
हर साल होता है प्रोग्राम:
इंदिरानगर में लोहड़ी का पर्व बेहद धूमधाम के साथ मनाया गया। मानस विहार पार्क में पंजाबी समाज ने लोहड़ी कार्यक्रम का आयोजन किया। इस दौरान पहले बाल गायक श्रद्धा के द्वारा भजन गाया, उसके बाद परिवार वालों ने लोकगीत गा कर एक दूसरे को लोहड़ी की बधाई दी। मानस विहार के मनजीत सिंह ने बताया कि हम हर साल इसी पार्क में लोहड़ी का पर्व धूमधाम से मनाते हैं।
श्री गुरु नानक गर्ल्स डिग्री कॉलेज में मना लोहड़ी पर्व
लखनऊ। श्री गुरू नानक गर्ल्स डिग्री कालेज में पावन लोहड़ी पर्व आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रबन्धक मण्डल से रबिन्दर कौर एवं महाविद्यालय की प्राचार्या डा. सुरभि गर्ग ने लोहड़ी की अग्नि प्रज्ज्वलित की। इस पर्व पवित्र अग्नि में सभी ने गुड और तिल डालकर ईश्वर से प्रार्थना की, जैसे-जैसे काले तिल जलें वैसे-वैसे अज्ञानता व पापों का हमारे जीवन से शमन हो और हम सतकर्माे के प्रति अग्रसर होकर पारिवारिक एवं वैश्विक समृद्धि प्राप्त कर सकें। इस कार्यक्रम की पारम्परिक रूपरेखा बताते हुए डा. रंजीत कौर ने चालीस मुक्तों की कथा बताई जिसमें उन्होंने चालीस सिंहो के बेदावा फाड़नें की बात कही और सुन्दरिया-मुन्दरिया की लोककथा भी सुनाई तथा पर्व की समाजिक मान्यताओं को भी इंगित किया। उन्होंने बताया कि यह पर्व नव-वधुओं एवं नवजात शिशुओं के लिए विशेष होता है जिसमें इनकी झोली भरकर यह कामना की जाती है कि इन लोगों के नवीन जीवन में पूर्णता, सम्पन्नता और सफलताएं सदैव बनी रहें। इस उल्लासपूर्ण पर्व पर छात्राओं ने रंग-बिरंगे परिधानों में उत्साहपूर्वक भंगडा व गिद्दा पाया तथा पतंगबाजी में भी अपना हुनर दिखाया। सभी प्रवक्ताओं संग छात्राओं ने भी लोहड़ी के चारों ओर हर्षोल्लास के साथ परिक्रमा की व एक-दूसरे को लोहड़ी की बधाइयाँ दीं।
शहर के गुरुद्वारों में धूमधाम से मना लोहड़ी का पर्व
लखनऊ। सोमवार को लोहड़ी के त्यौहार का विशेष आयोजन ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरु नानक देव जी सिंह नाका हिण्डोला, सहित शहर के सभी गुरुद्वारों में मनाया गया।
नाका गुरुद्वारे में रात के दीवान के बाद गुरुद्वारा भवन के सामने लोहड़ी पर्व मनाया गया। इस अवसर पर लखनऊ गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बग्गा जी ने उपस्थित संगतों एवं समस्त नगरवासियों को लोहड़ी के त्यौहार की बधाई देते हुए कहा कि लोहड़ी एक सामाजिक पर्व है सिक्खों का धार्मिक त्यौहार नहीं है। इसे पंजाबी समाज के लोग बेटे की शादी की पहली लोहड़ी या बच्चे के जन्म की पहली लोहड़ी बड़ी खुशी एवं उल्लास के साथ गुरु महाराज का आशीर्वाद लेकर मनाते हैं। लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द तिल और रोड़ी, गुड़ की रोड़ी के शब्दों से बना है जो समय के साथ बदल कर लोहड़ी के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इस पर्व पर लकड़ियों को इकट्ठा कर आग जलाई जाती है और अग्नि के चारो तरफ चक्कर लगाकर अपने जीवन को खुशियों और सुख शान्ति से व्यतीत होने की कामना करते हैं और उसमे रेवड़ी, मूंगफली खील, मक्की के दानों की आहूति देते हैं और नाचते गाते हैं जिस घर में नई शादी हुई होती है या बच्चा पैदा होता है वह इस त्यौहार को विशेष तौर पर मनाते हैं। लोहड़ी की रात लोग आग जला कर और रंग.बिरंगे कपड़े पहन कर नाचते गाते हैं और उसका गुणगान करते हैं।
यहियागंज गुरुद्वारे में सजा विशेष दीवान:
यहियागंज गुरुद्वार में मिष्ठान, रेबड़ी, मूंगफली, बूंदी का लड्डू का प्रसाद चढ़ा। फूलों की झालरों की सजावट देखते ही बनी। सुबह विशेष दीवान, नितनेम साहब के पाठ शुरू हुआ। आसा जी वार का कीर्तन के बाद कथा की। शाम को रहिरास के पाठ से दरबार शुरू हुआ। वीर सिंह ने संगत के समक्ष कीर्तन हुआ। इस मौके पर श्रद्धालुओं को मक्के के दाने, रेवड़ी, चिड़वड़े और तिल के लड्डू का प्रसाद बांटा गया। यहियागंज गुरुद्वारे के सचिव मनमोहन सिंह ने बताया कि यहां 15 जनवरी को शाम 6 बजे से रात 9:30 बजे तक मकर संक्रांति पर्व मनाया जायेगा।