एसएनए के संत गाडगे प्रेक्षागृह में पुस्तक विमोचन व नाटक का मंचन
लखनऊ। डॉ संदीप कुमार एवं अजय कुमार अग्रवाल द्वारा क्रमश हिन्दी एवं अंग्रेजी में अच्छे इलाज के 51 नुस्खे एवं हाफ डॉक्टर नामक पुस्तकों का विमोचन एसएनए के संत गाडगे प्रेक्षागृह में किया गया। विमोचन के बाद यायावर रंगमंडल की ओर से नाटक हाफ डॉक्टर का मंचन भी किया गया जिसका लेखन डा. छवि मिश्रा व निर्देशन पुनीत मित्तल ने किया।
पुस्तक विमोचन के अवसर पर यायावर रंगमंडल द्वारा संगीतमय नाटक हाफ डॉक्टर प्रस्तुत किया जा रहा है। इस नाटक का निर्देशन पुनीत मित्तल एवं स्क्रिप्ट लेखन डॉ छवि मिश्रा द्वारा किया गया है। इस नाट्य प्रस्तुति का उद्देश्य अपने पाठकों के हृदय में स्वास्थ्य और रोग ही विषयवस्तु को अंकित करना है। पुस्तकें मानव कल्याण एवं मानव सेवा को समर्पित है।
पुस्तकों में विभिन्न मानव रोगों की विशद विवेचना की गई है। इन पुस्तकों में आधुनिक चिकित्सा पद्धति की विवेचना करते हुए लोक स्वास्थ्य, निवारक चिकित्सा उपचारात्मक चिकित्सा सामुदायिक चिकित्सा, श्वसन रोग, मधुमेह उच्च रक्तचाप, हृदय रोग निद्रा विकार थायराइड विकार, मानसिक विकार, तंत्रिका रोग, रक्त विकार, जठर रोग, कब्जियत, फिश्चुला, फिशर आदि रोगों की व्याख्या करते हुए स्वस्थ जीवन शैली व्यतीत करने के सुझाव प्राय: हर अध्याय में दिए गए है। स्वस्थ जीवन शैली व्यतीत करने में योग-प्राणायाम-व्यायाम का भी महत्व समझाया गया है। भारत की स्वास्थ्य नीति की विवेचना में शासकीय माध्यम से स्वयं को स्वस्थ रखने के उपाय सुझाए गए हैं। पुस्तक में विभिन्न रोगों के इलाज में आधुनिक चिकित्सा में तकनीकी के प्रयोग में टेलीमेडिसिन, इंडोस्कोप, लैप्रोस्कोप, रोबोट इंटरनेट, गूगल ए आई (अक) आदि के बहुआयामी महत्व को रेखांकित किया गया है। पुस्तक में एक अध्याय रोगजनक आचरण को स्पष्ट करते हुए स्वस्थ जीवन शैली के अनुसार जीवन जीने की परिकल्पना संजोयी गयी है साथ ही पुस्तक में दीघार्यु बनते हुए स्वस्थ वृद्धावस्था व्यतीत करने का सुझाव भी दिया गया है।
पुस्तक के कतिपय अध्यायों में नैतिकता का विवरण भी प्रस्तुत किया गया है। उपचार प्रक्रिया में चिकित्सक को गंभीर रोगों से पीड़ित व्यक्ति की चिकित्सा ट्रीएज करते हुए प्राथमिकता के आधार पर ही करनी चाहिए। साथ ही रोगी अधिकार के अध्याय में यह संसूचित किया गया है कि यदि चिकित्सक अथवा अस्पताल द्वारा उसके साथ उचित व्यवहार न किया जाए तो वह अपने अधिकारों से सजग रहकर सरलतापूर्वक उपचार करा सकता है। एक अध्याय मेडीक्लेम पर लिखा गया है कि चिकित्सा में हो रहे अत्यधिक व्यय की प्रतिपूर्ति कैसे की जाए अर्थात मेडीक्लेम पालिसी एवं आयुष्मान भारत के माध्यम से सुझाया गया है कि इलाज में हो रहे अत्यधिक व्यय को कैसे कम किया जा सकता है। पुस्तक पाठक को अच्छा इलाज कराने में सक्षम बनाती है।





