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प्रदोष व्रत आज, होगी भोले बाबा की आरधना

माता पार्वती का आशीर्वाद भी मिलता है
लखनऊ। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित व्रत है। हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। हर महीने की की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यह व्रत किया जाता है। ऐसा मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से और पूरी निष्ठा के साथ यह व्रत करता है उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। साथ ही जीवन में सुख समृद्धि में वृद्धि होती है और प्रदोष व्रत करने वाली पर भगवान शिव की असीम कृपा तो रहती ही है साथ ही माता पार्वती का आशीर्वाद भी मिलता है। 3 नवंबर सोमवार के दिन त्रयोदशी तिथि का आरंभ 3 नवंबर को सुबह में 5 बजकर 8 मिनट से आरंभ होगा और रात में 2 बजकर 6 मिनट पर त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी। ऐसे में नवंबर महीने का पहला प्रदोष व्रत 3 नवंबर को किया जाएगा। इस बार त्रयोदशी तिथि के साथ चतुर्दशी का संयोग भी रहेगा। जिससे बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। ऐसे में इस बार के प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव के साथ-साथ भगवान शिव की कृपा पाने का दोहरा मौका मिलेगा। यानी इस बार व्रत करने से आपको प्रदोष व्रत के साथ साथ चतुर्दशी तिथि का व्रत करने का लाभ भी मिलेगा।

3 नवंबर प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त
अमृत चौघड़िया शाम में 4 बजकर 12 मिनट से 5 बजकर 34 मिनट तक।
चल चौघड़िया शाम में 5 बजकर 34 मिनट से 7 बजकर 12 मिनट तक।
गोधूलि मुहूर्त 5 बजकर 34 मिनट से 6 बजे तक।

प्रदोष व्रत का महत्व
जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति के साथ इस व्रत का पालन करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। भगवान शिव और माता पार्वती शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों को सुख, समृद्धि और संतोष का आशीर्वाद देते हैं।

प्रदोष व्रत की संपूर्ण पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि के बाद सूर्यदेव को अर्ध्य देकर मन में व्रत का संकल्प करें। इसके बाद अपने घर के मंदिर की अच्छे से साफ सफाई करके घी की दीपक जलाएं इसके बाद भगवान शिव के मंत्रों का जप करें। इसके बाद किसी शिवालय में जाएं और वहां जाकर भगवान शिव का अभिषेक कच्चे दूध से करें। इसके अलावा आप गन्ने के रस से भी भगवान शिव का अभिषेक कर सकते हैं। ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
अभिषेक के बाद मंदिर में बैठकर ही प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें और अंत में आरती करके। सभी को प्रसाद दें और सबसे पहले प्रसाद खाकर अपने व्रत का पारण करें इसके बाद फलाहार कर लें। इस दिन दान पुण्य करने से भी विशेष लाभ मिलता है। आप चाहें तो इस दिन साबुत अनाज जैसा गेहूं, चावल आदि का दान कर सकते हैं।

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