डा. करुणा पाण्डे की कृति नदियों में भारतीय संस्कृति का लोकार्पण
कथक नृत्य नाटिका में उतरे पुस्तक के अंश
लखनऊ। चर्चित लेखिका डा. करुणा पाण्डे की कृति नदियों में भारतीय संस्कृति का सोमवार का लोकार्पण हुआ। गोमतीनगर स्थित अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्थान के सभागार में पुस्तक के अंश कथक नृत्य नाटिका के रुप में मंच पर उतरे। संस्कृति विभाग के सहयोग से लखनऊ लिटरेरी क्लब के तत्वावधान में हुए आयोजन में बड़ी संख्या में साहित्यकार, कलाकार, प्रशासनिक अधिकारी और गणमान्य लोग सम्मिलित हुए।
मुख्य अतिथि डॉ. अनीता भटनागर जैन ने कहा कि डा. करुणा पांडे की कृति पर्यावरण चेतना की वाहक है। वे भारतीय संस्कृति पर्यावरणीय संचेतना और सनातन समरसता को अपनी लेखनी से प्रस्तुत करने वाली समकालीन हिन्दी साहित्य की उजार्वान साहित्यकार हैं। पुस्तक की समीक्षा करते हुए डॉ. महेश दिवाकर ने पुस्तक को अपने समय का दायित्वबोध बताते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब हमें अपनी प्राकृतिक संपदा का संरक्षण करना होगा और इस तरह के विषय उठाने वाले लोगो को प्रोत्साहित करना होगा।
अध्यक्षीय उद्बोधन में भातखण्डे विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ. पूर्णिमा पांडे ने कहा कि आज पर्यावरण की समस्या केवल भारत की नहीं विश्व की समस्या बन गयी है। ऐसे समय में करुणा जी ने इस गहन विषय पर अध्ययन करके, उसको संगीत और नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत करके जो दायित्व बोध जगाया, वह प्रशंसनीय है। विशिष्ट अतिथि मुकुल सिंघल जी ने कहा आज जब नयी पीढ़ी सनातन संस्कृति और भारतीयता से विमुख होती जा रही है ऐसे में सुन्दर मंचन के द्वारा पुस्तक प्रकाशित होना एक अद्भुत कार्य है। विशिष्ट अतिथि एन. के. एस. चौहान ने कहा कि नदियों पर गहन अध्ययन करके लिखी करुणा पांडे की पुस्तक लोगों को अपनी संस्कृति में नदियों के महत्त्व को पुन: महसूस करायेगी।
विशिष्ट अतिथि एमएलसी पवन सिंह चौहान ने कहा कि यह पुस्तक समाज में प्रकृति के प्रति व्याप्त विद्रूपताओं को दूर करने की ऐसी कुंजी है जो नदियों के अनछुए पहलुओं को रोचकता से नवीन पीढ़ी के सामने लाकर उन्हें मुख्य धारा से जोड़ती है। हर नदी के जन्म, उसके नाम, और उसके जीवन घटनाओं से जुड़ी कोई ने कोई कहानी होती है। उन कथाओं को स्वरचित स्क्रिप्ट के तथ्यात्मक गीतों से नदी के स्वरुप और उनके जीवन सफर को बारीकी से और मनोरंजक तरीके से करुणा जी ने कथक नृत्य की शैली में प्रस्तुत करके यह समझाने की कोशिश की है कि जैसे संगीत का सबसे रसपूर्ण पक्ष नृत्य है उसी तरह जीवन का उल्लास और आधार नदियों में ही है।
कार्यक्रम के दौरान रेणु शर्मा के नृत्य निर्देशन में कथक की छात्र छात्राओं ने नदियों का रूप धारण कर मनमोहक प्रस्तुति के माध्यम से पुस्तक की विषय वस्तु को मंच पर सजीव किया। नृत्य नाटिका का संगीत निर्देशन कमलाकांत तथा गायन आशा श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम में लखनऊ लिटरेरी क्लब की अध्यक्ष प्रो. ज्योति काला, अवकाश प्राप्त आईआरएस अधिकारी अनिल पाण्डे सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।