विचार और अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कई बार हम अपनी महान उपलब्धियों पर संकीर्ण राजनीतिक नजरिए से वाद-विवाद करते हैं जिसके कारण न सिर्फ हानिकारक भ्रम फैलता है बल्कि इन उपलब्धियों के पीछे जिन लोगों ने कठिन परिश्रम, ज्ञान-विज्ञान एवं अनुसंधान किया है उनकी उत्कृष्टम प्रतिभा भी लांछित होती है। गौर करिए जब मार्च के आखिरी सप्ताह में देश में लॉकडाउन का एलान किया गया था।
दुनिया भर में कोरोना से मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा था। संक्रमण की रफ्तार सुपरसोनिक के मानिंद थी, फिजां में तैरते तमाम अफवाहों और भय के वातावरण के बीच ऐसा लग रहा था कि मानव समाज शायद फिर से सामान्य जीवन में न लौट सके, तब हमारे वैज्ञानिकों ने कोरोना को हराने के लिए वैक्सीन के रूप में प्रभावी हथियार विकसित करने का संकल्प लिया था। जब कोरोना वायरस दुनिया भर में एक पहेली थी, जब इस वायरस के जीनोम को डिकोड कर इसकी प्रकृति को जानना-समझना और इसके प्रतिकार के लिए मानव शरीर में प्रभावी सुरक्षा तंत्र विकसित करने वाला टीका खोजना भगीरथ प्रयास जैसा था।
ऐसा प्रयास जिसमें सफलता मिलेगी या नहीं इस पर कुछ भी भरोसे से कहना संभव नहीं था, तब हमे हमारे देश के वैज्ञानिकों ने टीके पर अनुसंधान शुरू कर देश को भरोसा दिलाया था। हमे अपने वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं एवं अध्येताओं पर गर्व करना चाहिए और उनका शुक्रगुजार होना चाहिए जिन्होंने दुनिया में सबसे कम अवधि में प्रभावी वैक्सीन विकसित कर भारत को सिर उठाने, मानवता की सेवा करने और सांप-सपेरों की सोच रखने वाले देशों को अपनी समझ दुरुस्त करने के लिए विवश किया है।
जो लोग क्षुद्र एवं संकीर्ण राजनीति में पड़कर भारत की वैक्सीन को बीजेपी, संघ से जोड़ रहे हैं, गरीबों के लिए खतरनाक बता रहे हैं या इससे बांझ हो जाने की अफवाह फैला रहे हैं, उनको पोलियो टीकाकरण के दौरान घटी घटनाओं पर गौर करना चाहिए। पोलियो दुनिया के अधिकांश देशों से खत्म हो चुका था लेकिन भारत में इसका प्रकोप बना हुआ था। बच्चे पोलियो से पीड़ित होकर विकलांग हो रहे थे तब पल्स पोलियो अभियान शुरू किया गया था, लेकिन कुछ मूर्ख और कुछ शातिर दिमाग के लोगों ने भ्रम फैला दिया कि पोलियो का टीका खतरनाक है।
इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि एक लंबे समय तक एक वर्ग पोलियो के टीके से बचता रहा। पोलियो पर भ्रम दूर होने में एक दशक लग गया जिससे इस बीमारी पर विजय भी एक दशक बाद मिली। कोरोना बहुत खतरनाक है। एक दशक में तो यह दुनिया उलट-पलट देगा। इसीलिए वैज्ञानिकों ने दिन-रात एक कर आपात स्थिति में वैक्सीन विकसित की है और आपात मंजूरी भी मिली है। जिसके फलस्वरूप 16 जनवरी से देश में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू रहा है। देश के लिए यह एक दुर्लभ अवसर है। कृपया इस मौके को कोरोना के खिलाफ निर्णायक युद्ध में बदल दें।
देश रहेगा, समाज रहेगा तो राजनीति भी होती रहेगी। इसलिए सभी नेताओं, पत्रकारों, धर्मगुरुओं और सोशल मीडिया पर सक्रिय लोगों को मिलकर इस महाअभियान को सफल बनाने में सहयोग करना चाहिए। यही अपील देश के 49 प्रमुख चिकित्सकों, वैज्ञानिकों एवं शिक्षाविदों ने खुला पत्र लिखकर की है कि वैक्सीन पर भ्रम न फैलायें। भारत वैक्सीन का ग्लोबल लीडर बनकर उभरा है और दुनिया के 188 देशों भारत वैक्सीन का निर्यात करता है।