सुबह-सुबह प्रभात फेरियां निकाली जाती है
लखनऊ। सिख समुदाय को कार्तिक पूर्णिमा का बेसब्री से इंतजार रहता है, क्योंकि इसी दिन गुरु नानक देव जी की जयंती मनाई जाती है। इस पवित्र अवसर पर गुरुद्वारों में भजन-कीर्तन, अरदास और लंगर का आयोजन किया जाता है। सुबह-सुबह प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं और पूरे वातावरण में भक्ति का माहौल छा जाता है। इस दिन गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को याद कर उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया जाता है। गुरु नानक देव जी का जन्म वर्ष 1469 में ननकाना साहिब हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। उनके पिता का नाम मेहता कालू चंद और माता का नाम माता तृप्ता था। उन्होंने सिख धर्म की स्थापना की और मानवता, समानता व ईश्वर-भक्ति का संदेश फैलाया। उन्होंने पूरे जीवन में अनेक यात्राएं कीं ताकि लोगों को सत्य, सेवा और करुणा का मार्ग दिखाया जा सके। हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि की शुरूआत 04 नवंबर को रात 10:36 होगी और इसका समापन-05 नवंबर को शाम 06:48 मिनट पर होगा। ऐसे में साल 2025 में यह पर्व 5 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा।
गुरु नानक देव जी के प्रेरणादायक संदेश
सेवा और विनम्रता:
गुरु नानक देव जी ने कहा कि मनुष्य को सदैव नम्रता और सेवा भाव से जीवन जीना चाहिए। अहंकार व्यक्ति के पतन का कारण बनता है।
समानता का संदेश:
उन्होंने सिखाया कि स्त्री और पुरुष दोनों एक समान हैं। महिलाओं का सम्मान करना ही सच्चे धर्म का पालन है।
तनाव से मुक्ति:
उनका संदेश था कि व्यक्ति को हमेशा प्रसन्न और तनावमुक्त रहना चाहिए। मन की शांति से ही सफलता संभव है।
धन से मोह न करें:
उन्होंने कहा कि धन को हृदय में स्थान न दें, क्योंकि लालच और अहंकार यहीं से जन्म लेते हैं।
स्वयं पर विजय:
गुरु नानक देव जी के अनुसार, जो व्यक्ति अपनी बुराइयों और कमजोरियों पर विजय पा लेता है, वही सच्ची सफलता प्राप्त करता है। गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं आज भी लोगों को जीवन में शांति, सत्य और करुणा का मार्ग दिखाती हैं। उनका संदेश हर युग में प्रासंगिक और प्रेरणादायक बना हुआ है।
गुरु नानक जयंती का महत्व
गुरु नानक देव जी का जीवन मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने समाज में समानता, भाईचारा और सेवा का संदेश दिया। उनके उपदेश लोगों को धर्म, सत्य और करुणा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। इस दिन श्रद्धालु उनके वचनों को जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं। उन्होंने जाति-पाति, भेदभाव और अंधविश्वास जैसी सामाजिक बुराइयों का विरोध किया और एक समान समाज की स्थापना का संदेश दिया। गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन गुरुद्वारों में विशेष सजावट की जाती है, दीये जलाए जाते हैं, नगर कीर्तन निकाले जाते हैं और गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ किया जाता है। लंगर में हर व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के शामिल होकर सेवा और समानता का अनुभव करता है।





