प्रधानमंत्री मोदी ने पुनर्विकसित अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन का किया उद्घाटन, ट्रेनों को दिखाई हरी झंडी

दो अमृत भारत रेलगाड़ियों और छह वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ किया

लखनऊ। अयोध्या में आधुनिक विश्वस्तरीय अवसंचरना का विकास करने, कनेक्टिविटी में सुधार करने और शहर के समृद्ध इतिहास व विरासत के अनुरूप नागरिक सुविधाओं का कायाकल्प करने को साकार रूप देने के लिए शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अयोध्या में आगमन हुआ । प्रधानमंत्री ने अयोध्या दौरे के अवसर पर नए पुनर्विकसित अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन के पहले चरण का उद्घाटन, दो अमृत भारत रेलगाड़ियों और छह नई वंदे भारत रेलगाड़ियों को हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ किया । प्रधानमंत्री ने रूमा-चकेरी-चंदारी तीसरी लाइन परियोजना, जौनपुर-अयोध्या-बाराबंकी दोहरीकरण परियोजना का हिस्सा तथा मल्हौर-डालीगंज रेल सैक्शन का दोहरीकरण और विद्युतीकरण भी राष्ट्र को समर्पित किया ।

इस अवसर पर राज्यपाल, उत्तर प्रदेश आनंदीबेन मफतभाई पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव, केशव प्रसाद मौर्य एवं ब्रजेश पाठक,उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश, लल्लू सिंह सांसद/लोकसभा, उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधुरी, मण्डल रेल प्रबंधक लखनऊ डॉ. मनीष थपल्याल सहित रेलवे के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण भी उपस्थित थे ।

पुनर्विकसित अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन के पहले चरण का उद्घाटन

नए अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन की इमारत एक तीन मंजिला इमारत है जिसका फुटप्रिंट 140 मीटर ७ 32.6 मीटर है। यात्रियों को प्रतिकूल मौसम की स्थिति से बचाने के लिए ड्रॉप-आॅफ जोन पर 140 मीटर 7 12 मीटर का एक अतिरिक्त फ्रंट पोर्च भी प्रदान किया गया है। यात्रियों के आगमन और प्रस्थान के लिए अलग-अलग प्रावधान रखा गया है । सुविधाएं में लिफ्ट, एस्केलेटर, फूड प्लाजा, पूजा की जरूरतों के लिए दुकानें, क्लॉक रूम, शिशु देखभाल कक्ष आदि । भूतल और प्रथम तल पर वेटिंग हॉल उपलब्ध कराए गए हैं। स्टेशन भवन ‘सभी के लिए सुलभ’ और ‘आईजीबीसी प्रमाणित ग्रीन स्टेशन भवन’ होगा। अयोध्या स्टेशन के पुनर्विकास पर लगभग 241 करोड़ रुपये की लागत आई है।

अमृत भारत रेलगाड़ियां

दरभंगा-अयोध्या धाम -आनंद विहार टर्मिनल और मालदा टाउन-सर एम. विश्वेश्वरैया टर्मिनस (बेंगलुरु) , दो नई अमृत भारत रेलगाड़ियां हैं । अमृत भारत रेलगाड़ी एलएचबी पुश पुल वाली रेलगाड़ी है, जिसमें गैर-वातानुकूलित कोच लगाए गए हैं । बेहतर पिकअप (त्वरण) के लिए इस रेलगाड़ी के दोनों छोर पर लोको हैं । इस रेलगाड़ी का बाहरी रूप नए रंगों वाला और आकर्षक है। इस रेलगाड़ी में शंटिंग की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि दोनों सिरों पर लगे इंजन रेलगाड़ी को दोनों दिशाओं में चलने में सक्षम बनाते हैं । इसमें यात्रियों के लिए बेहतर एलईडी लाइटें, सीसीटीवी, सार्वजनिक सूचना प्रणाली, फोल्डेबल स्नैक टेबल, उपयुक्त मोबाइल होल्डर के साथ मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट, सुन्दर और आकर्षक डिजाइन वाली सीटें, बेहतर सामान रैक जैसी सुविधाएं प्रदान की गई हैं। अमृत भारत रेलगाड़ियां अमृतकाल में देशवासियों के लिए एक नई सौगात हैं ।

छह नई वंदे भारत रेलगाड़ियां

प्रधानमंत्री द्वारा शुभारंभ की गईं श्रीमाता वैष्णों देवी कटड़ा-नई दिल्ली, अमृतसर-दिल्ली जंक्शन, कोयंबटूर-बेंगलुरु कैंट, मैंगलोर-मडगांव, जालना-मुंबई, अयोध्या धाम -आनंद विहार टर्मिनल के बीच छह नई वंदे भारत रेलगाड़ियां उत्तर प्रदेश, पंजाब, जम्मू एवं कश्मीर, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, दिल्ली जैसे राज्यों में रेल संपर्क को बेहतर बनाएंगी । ये वंदे भारत रेलगाड़ियां अपने परिचालित रेलमार्गों पर सबसे तेज रेलगाड़ियां होंगी और यात्रियों का काफी समय बचाने में मदद करेंगी।

दोहरीकरण एवं विद्युतीकरण परियोजनाएँ

12.50 किलोमीटर लंबी रूमा-चकेरी-चंदारी तीसरी लाइन परियोजना 182 करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई है । यह कानपुर-प्रयागराज सैक्शन पर भीड़भाड़ को कम करके सुचारू रेल परिचालन सुनिश्चित करेगा और सैक्शन की क्षमता में भी वृद्धि करेगा। जौनपुर-अयोध्या-बाराबंकी दोहरीकरण परियोजना के 152 किलोमीटर के हिस्से को 1919 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। यह परियोजना उत्तरी/दक्षिणी/पश्चिमी भारत से अयोध्या और वाराणसी की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों की आकांक्षाओं को पूरा करेगी । इससे टांडा स्थित एनटीपीसी बिजली संयंत्र को कोयले की तीव्र गति से आपूर्ति सुनिश्चित होगी । साथ ही, यह ट्रैक/सिग्नलिंग//अन्य अचल संपत्तियों के रखरखाव के लिए पर्याप्त कॉरिडोर के साथ वाराणसी-अयोध्या-लखनऊ सैक्शन पर रेलगाड़ियों की समयबद्धता को बेहतर करेगा ।

12.62 किलोमीटर के मल्हौर-डालीगंज रेल सैक्शन के दोहरीकरण और विद्युतीकरण को 200 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया है। यह परियोजना सैक्शन की लाइन क्षमता को बढ़ाएगी। इससे उत्तर प्रदेश में रेल नेटवर्क का विस्तार होगा । यह महानगरों की ओर यात्रा करने वाले यात्रियों को विश्वसनीय और तीव्र रेल संपर्क उपलब्ध कराएगा । यह यातायात विकल्प कम कार्बन उत्सर्जन वाला होने के कारण अधिक पर्यावरण अनुकूल होगा ।

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