प्रेमचंद ने अपने साहित्य में नारियों को गढ़ा है : अमिता दुबे

प्रेमचंद की कहानी प्रतिशोध का वाचन नूतन वशिष्ठ, पुनीता अवस्थी और अनिल त्रिपाठी द्वारा किया गया
लखनऊ। कथा रंग फाउंडेशन द्वारा एक कार्यक्रम प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर आयोजित किया गया। कार्यक्रम में कथा रंग फाउंडेशन की अध्यक्ष नूतन वशिष्ठ एवं पुनीता अवस्थी उपाध्यक्ष,सचिव अनुपम शरद उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। प्रेमचंद की कहानी प्रतिशोध का वाचन नूतन वशिष्ठ, पुनीता अवस्थी और अनिल त्रिपाठी द्वारा किया गया। प्रेमचंद के साहित्य में स्त्री पात्र पर हिन्दी संस्थान की संपादक डा अमिता दुबे से प्रेमचंद के नारी पात्र पर बातचीत की। डॉ. अपूर्वा अवस्थी ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने साहित्य में स्त्री के जिस रूप का चित्रण किया है वह पवित्र है सहनशील है और उसमें क्षमा है। डा अमिता दुबे ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने साहित्य में नारियों को गढ़ा है। उनके साहित्य में नारियां स्वाभाविक और सहज रूप में हैं। इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा प्रेमचंद के पात्र,जो सब एक अपराध बोध से ग्रसित हैं जिसकी परिकल्पना कौंतेय जय द्वारा की गई। सूत्रधार अनुपमा शरद ,सोनल शर्मा ने निर्मला,कृषिका ने गंगी और कृष्णा, अंकित ने जोखू, दर्शिका ने धनिया, मानस बाजपेई घीसू, अभिनव तिवारी माधव, अमोल ने चंदर का किरदार निभाया। क्राफ्ट और स्टेज सहयोगी हर्षिता आर्या रहीं। एवं स्टेज सहयोगी डा सुमन मिश्रा एवं अर्चना त्रिपाठी रहीं। कार्यक्रम का संचालन अनुपमा शरद और सोम गांगुली ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन उपाध्यक्ष पुनीता अवस्थी ने दिया।

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