श्रीनगर: नेशनल कान्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के कदम को सोमवार को असंवैधानिक रूप से किया गया एक विश्वासघात करार दिया। जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश मसूदी ने कहा कि राज्य विधानसभा की सहमति के बिना राज्य का विभाजन दो केंद्र शासित राज्यों में नहीं किया जा सकता है। मसूदी ने यहां संवाददाताओं से कहा, जम्मू-कश्मीर को छोड़ें, राज्य विधानमंडल के विचार लिए बिना किसी भी राज्य में ऐसा नहीं हो सकता है। इस मामले में, वे स्वयं ही याचिकाकर्ता, प्रतिवादी, अधिवक्ता और न्यायाधीश सभी हैं। उन्होंने कहा, मौलिक रूप से एक विश्वासघात हुआ है और यह असंवैधानिक रूप से किया गया है। वे विश्वासघात का जश्न मना रहे हैं। हम केवल संविधान के बारे में बात कर रहे हैं, 1947 में हमसे वादे किए गए थे, दिल्ली समझौता हुआ था। ये वादे सर्वसम्मति से किए गए थे लेकिन अब सभी एकतरफा तौर पर तोड़ दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोग केंद्र के इस कदम के बारे में चिंतित हैं क्योंकि उन्होंने न केवल अपना विशेष दर्जा खो दिया है, बल्कि अपनी पहचान भी खो दी है। मसूदी ने कहा, लोग घटनाक्रम पर बहुत चिंतित हैं…ऐसे इलाके हैं जहां न्यूनतम प्रतिबंध हैं लेकिन लोग बाहर नहीं आ रहे हैं। आपको यह देखना होगा कि हमने क्या खोया है – हमने राज्य, झंडा, अपना संविधान, पहचान और अपनी सरकारी भाषा खो दी है।
यह पूछे जाने पर कि क्या नेशनल कांन्फ्रेंस के तीनों लोकसभा सांसद केंद्र के इस कदम का विरोध करने के लिए इस्तीफा देंगे, तो उन्होंने कहा कि यह फैसला उनके उस नेतृत्व को लेना है, जिसे गिरफ्तार किया जा चुका है। उन्होंने कहा, जब नेतृत्व को रिहा किया जाएगा, तो वे ऐसा निर्णय लेंगे जो राज्य के लोगों के हित में होगा। मसूदी ने कहा कि उन्होंने और उनकी पार्टी के सहयोगी मोहम्मद अकबर लोन ने इस कदम के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की है। उन्होंने कहा, हमारे पास एक ठोस मामला है। हमने अपना राज्य खो दिया है – एक राज्य जहां कभी अवंतिवर्मन और ज़ैनुल आबिदीन जैसे राजाओं का शासन था। अब इसे एक नगरपालिका में तब्दील कर दिया गया है। लोन ने कहा कि अगर लोकसभा से इस्तीफा देने से हमारे मामले में मदद मिलेगी, तो हम तुरंत इस्तीफा दे देंगे। हम बतौर सांसद अपने विशेषाधिकारों का लाभ उठाने के लिए नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त करने को लेकर लोगों में बहुत गुस्सा है और प्रतिबंध हटने के बाद वे इसका विरोध करेंगे।