काठमांडू। नेपाल की सत्ताधारी पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक पांचवीं बार रविवार तक के लिए टाल दी गई ताकि प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की अगुवाई वाले प्रतिद्वंद्वी गुट को आपसी मतभेद दूर करने के लिए और समय दिया जा सके।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की स्थाई समिति की बैठक शुक्रवार को अपराह्न तीन बजे होने वाली थी लेकिन ओली और प्रचंड के आग्रह पर उसे रविवार अपराह्न तीन बजे तक के लिए टाल दिया गया। इससे पहले दिन में दोनों नेताओं के बीच बातचीत के लिए बैठक कुछ घंटों के लिए स्थगित की गई थी।
ओली के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने ट्वीट किया, बैठक रविवार अपराह्न तीन बजे होगी। स्थाई समिति की पिछली बैठक दो जुलाई को हुई थी। स्थाई समिति के सदस्य गणेश शाह ने कहा कि पार्टी ने भी अपनी 441 सदस्ईय केंद्रीय कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के भविष्य पर अगले सप्ताह होने वाली सीडब्ल्यूसी की बैठक में निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि प्रचंड की अगुवाई वाले असंतुष्ट खेमे द्वारा एक व्यक्ति एक पद की नीति को पार्टी में लागू करने की मांग पर निर्णय लेने का अधिकार सीडब्ल्यूसी को है। शाह ने कहा कि रविवार को स्थाई समिति की बैठक में सीडब्ल्यूसी की बैठक की तारीख की घोषणा की जा सकती है जिसमें प्रधानमंत्री ओली के भविष्य पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
पार्टी के भीतर कलह का अंत करने के लिए पार्टी अध्यक्ष ओली, प्रचंड और पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल ने प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर एक अनौपचारिक बैठक की थी। इस बैठक में ओली ने एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था। पार्टी के सूत्रों ने बताया कि बैठक में ओली और असंतुष्ट गुट के मतभेद को दूर करने की कोशिश की गई थी लेकिन प्रधानमंत्री को एक व्यक्ति एक पद की शर्त स्वीकार नहीं थी।
प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रचंड समेत एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि ओली द्वारा दिए गए भारत विरोधी बयान न तो राजनीतिक रूप से सही थे और न ही कूटनीतिक दृष्टिकोण से उचित थे। कई नेता ओली के कामकाज करने के तरीके के भी खिलाफ हैं। पार्टी के भीतर अंतर्विरोध और गहरा गए जब ओली ने कहा था कि उनकी सरकार द्वारा देश का नया मानचित्र जारी करने के बाद पार्टी के कुछ नेता पड़ोसी देश भारत के साथ मिलकर उन्हें सत्ता से हटाने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रचंड-नेपाल गुट ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि इस्तीफा उन्होंने मांगा है भारत ने नहीं। विरोधी गुट ने ओली के आरोपों के समर्थन में साक्ष्य प्रस्तुत करने को कहा है। प्रचंड ने कहा है कि वह किसी भी कारण से पार्टी को टूटने नहीं देंगे और पार्टी की एकता को खंडित करने का प्रयास कोरोना वायरस महामारी से मुकाबला करने के जज्बे को कमजोर करेगा।