दिल्ली की अंतरध्वनि कल्चरल सोसायटी द्वारा बली आॅडिटोरियम में हुई यादगार संगीत संध्या
लखनऊ। अंतरध्वनि कल्चरल सोसायटी द्वारा शनिवार 6 दिसम्बर को कैसरबाग स्थित राय उमानाथ बली आॅडिटोरियम में ध्वनि फेस्टिवल आयोजित किया गया। दिल्ली की इस संस्था द्वारा आयोजित इस यादगार शाम में दिल्ली के सुप्रसिद्ध कलाकार शुभम सरकार ने सुमधुर वायलिन वादन किया। इसी क्रम में लखनऊ की सुप्रसिद्ध कथक नृत्यांगना डॉ. आकांक्षा श्रीवास्तव के दल ने मन ले गयो री सांवरा पर प्रभावी भावों का प्रदर्शन कर तालियां अर्जित की। ध्वनि फेस्टिवल की मुख्य अतिथि बिरजू महाराज कथक संस्थान की अध्यक्षा डॉ. कुमकुम धर एवं विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की पूर्व अध्यक्षा डॉ. पूर्णिमा पांडे थीं।
इस संगीत संध्या की शुरूआत हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत पर आधारित वायलिन वादन से हुई। इसमें सुप्रसिद्ध वायलिन कलाकार शुभम सरकार ने विलंबित 9 मात्रा में गत निकास प्रस्तुत की। आलाप, जोड़, झाला के उपरांत उन्होंने तीन ताल द्रुत लय में विभिन्न प्रकार की लयकारियां सुनाकर प्रशंसा हासिल की। शुभम सरकार ने प्रारंभिक शिक्षा पंडित भजन सोपोरी से प्राप्त की है वहीं वर्तमान में आप वरिष्ठ कलाकार पंडित संतोष नाहर से शिक्षा हासिल कर रहे हैं। इसके साथ ही विदुषी संघमित्रा आचार्य से भी मार्गदर्शन और तालीम ले रहे हैं। शुभम सरकार के साथ तबले पर वरिष्ठ तबला वादक पंडित प्रदीप कुमार सरकार ने प्रभावी संगत दी।
अलका निवेदन के संचालन में हुई ध्वनि उत्सव के दूसरे चरण में लखनऊ घराने की सुप्रसिद्ध कथक नृत्यांगना एवं गुरु डॉ. आकांक्षा श्रीवास्तव और उनके शिष्यों द्वारा कथक की सौंदर्य पूर्ण प्रस्तुतियां पेश की गई। परंपरा के अनुसार सबसे पहले उन्होंने गुरु को नमन करते हुए गुरु चरनन पर सीस नवाऊं पर मनोहारी भावों का प्रदर्शन किया। पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज जी की इस रचना को पंडित जी ने स्वयं संगीतबद्ध भी किया था। इसमें डॉ. आकांक्षा श्रीवास्तव के साथ उनकी शिष्या शैली मौर्य, सिमरन कश्यप एवं प्रीति तिवारी ने उत्साह के साथ प्रतिभाग किया।
इसके उपरांत द्वितीय प्रस्तुति परंपरागत कथक नृत्य की रही। उसमें श्रेया अग्रहरि, वैष्णवी सक्सेना, परणिका श्रीवास्तव, स्वधा गोंड एवं रिदम गुप्ता ने भाग लिया। उन्होंने तीन ताल मध्य में टुकड़े, परन, फरमाइशी तिहाइयां एवं लड़ियां भी पेश की। सहयोगी कलाकारों में दिनकर द्विवेदी ने गायन, पंडित विकास मिश्रा ने तबला वादन और गुरु डॉ. आकांक्षा श्रीवास्तव ने बोल पढ़ंत पर सहयोग दिया। तृतीय प्रस्तुति अभिनय पर आधारित रही। इसमें वियोगी नायिका का चित्रण किया गया। इसमें डॉ.आकांक्षा श्रीवास्तव के साथ सिमरन कश्यप, प्रीति तिवारी, शैली मौर्या, विकास अवस्थी, प्रखर मिश्रा, अंश रावत और आदित्य गुप्ता ने मन ले गए सांवरा, सखी री मोरा लागे कैसे जियरा पर सुंदरता के साथ विभिन्न भावों को प्रदर्शित कर तालियां अर्जित की। यह बंदिश राग मारू बिहाग पर आधारित थी जो कि तीन ताल में निबद्ध थी। इसमें प्रखर पाण्डेय ने गायन, पंडित विकास मिश्रा ने तबला वादन और नीरज मिश्रा ने सितार वादन का दायित्व कुशलता के साथ निभाया।





