नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कांग्रेस की सांसद सुष्मिता देव से कहा कि आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को क्लीन चिट देने संबंधी निर्वाचन आयोग के आदेश रिकार्ड पर लाए जाएं।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने इसके साथ ही सिलचर से कांग्रेस की इस सांसद की याचिका आठ मई के लिए सूचीबद्घ कर दी। सुष्मिता देव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने आचार संहिता के उल्लंघन के बारे में कांग्रेस पार्टी की शिकायतों को विस्तृत आदेश के बगैर ही खारिज कर दिया है। पीठ ने कांग्रेस सांसद से कहा कि वह भाजपा के इन दो प्रमुख नेताओं द्वारा आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर निर्वाचन आयोग के आदेशों को एक अतिरिक्त हलफनामे के साथ रिकार्ड पर लाएं। आयोग ने प्रधान मंत्री को उनके लातुर और वर्धा के भाषणों के लिए क्लीन चिट दी थी।
समर्पित करने का अनुरोध किया था
लातूर में मोदी ने पहली बार मतदान करने वाले युवाओं से बालाकोट एयर स्ट्राइक के हीरो और पुलवामा हमले में मारे गए जवानों को मत समर्पित करने का अनुरोध किया था जबकि वर्धा में एक अप्रैल को उन्होंने संकेत दिया था कि वायनाड संसदीय क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदाय के अधिक वोट हैं। शीर्ष अदालत ने इससे पहले आयोग को निर्देश दिया था कि मोदी और शाह द्वारा आचार संहिता के उल्लंघन के बारे में कांग्रेस पार्टी की नौ शिकायतों पर छह मई तक फैसला करे। सुष्मिता देव ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ आचार संहिता के उल्ल्ंघन के आरोप मे शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद निर्वाचन आयोग उन पर कार्वाई नहीं कर रहा है।