प्रवासी श्रमिकों की चुनौती

लॉकडाउन के तीसरे चरण में पीएम ने मुख्यमंत्रियों के साथ एक बार फिर वीडियो कान्फे्रंसिंग के जरिए कोरोना के रोकथाम की समीक्षा की। महामारी के दस्तक देने के बाद प्रधानमंत्री ने पांचवीं बार मुख्यमंत्रियों के साथ विचार-विमर्श कर आगे रणनीति तय करने के लिए उनसे चर्चा की है। पीएम के साथ वीडियो कान्फे्रंसिंग में सीएम योगी ने प्रवासी श्रमिकों की वापसी और उनके नियोजन को एक बड़ी चुनौती बताते हुए वापस आने वाले श्रमिकों को नियोजित करने के लिए उठाये गये विभिन्न कदमों का जिक्र भी किया।

प्रदेश में अब तक 10 लाख के करीब श्रमिक वापस आ चुके हैं और इससे अधिक लौटने वाले हैं। अत्यधिक आबादी के कारण प्रदेश में पहले से ही रोजगार का टोटा था। सरकार इसे भली भांति जानती है। इसीलिए इस सरकार ने पहले ही दिन से प्रदेश में निवेश बढ़ाकर रोजगार सृजन का प्रयास शुरू कर दिया था। इन्वेस्टमेंट समिट, ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरेमनी और ओडीओपी जैसी योजनाओं के जरिये रोजगार सृजन का गंभीर प्रयास पहले ही दिन से चल रहा है। इसी कड़ी में शिक्षा, पुलिस और अन्य विभागों में भर्तियों के जरिए भी तीन लाख के करीब नियुक्तियां की गयीं हैं। कुल मिलाकर प्रदेश सरकार रोजगार के मोर्चे पर बहुत सक्रिय है लेकिन प्रदेश में पहले से ही बड़ी बेरोजगारी है।

अत्यधिक आबादी ने बेरोजगारी के संकट को पहले ही चिंताजनक जटिल बना दिया है और अब महामारी के कारण बड़े पैमाने पर प्रदेश में प्रवासी श्रमिकों की वापसी ने बेरोजगारी के संकट को और जटिल बना दिया है। सरकार के सामने श्रमिकों की सुरक्षित वापसी के साथ ही गांवों में कोरोना के प्रसार को रोकना और इसके साथ दूसरे प्रदेशों से लौटने वाले श्रमिकों को नियोजित करना भी एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में वे योजनाएं गेमचेंजर साबित हो सकती हैं जो पहले से रोजगार को लक्षित करके चलायी जा रही थीं।

मनरेगा, ओडीओपी, लेबर रिफॉर्म और एमएसएमई के वित्त पोषण के जरिये प्रदेश में रोजगार सृजन को गति दी जा सकती है। इससे बेरोजगारी का संकट भी कम होगा और दूसरे प्रदेशों से लौटने वाले श्रमिकों को अपने ही प्रदेश में रोजगार का मौका मिलेगा। प्रवासी श्रमिकों को नियोजित करने में सरकार अगर सफल होती है तो इससे प्रदेश का विकास तेज हो सकता है। निश्चित रूप से यह बड़ी चुनौती है लेकिन उतना ही बड़ा अवसर भी है।

अगर प्रदेश के समग्र औद्योगीकरण की शुरूआत होती है तो 23 करोड़ की आबादी जो अभी एक बड़ी चुनौती लगती है वह 46 करोड़ हाथ बनकर प्रदेश के विकास को शिखर पर पहुंचाने में महती भूमिका भी अदा कर सकती है। इसलिए नब्बे लाख एमएसएमई इकाइयों के वित्त पोषण के जरिए हरेक यूनिट में एक रोजगार बनाने की पहल, लेबर रिफार्म के जरिए निवेश आकर्षित करने के प्रयास, मनरेगा और ओडीओपी जैसी योजनाएं विकास के साथ रोजगार अवसरों का सृजन भी करेंगी। इसलिए प्रदेश सरकार के समक्ष चुनौती बड़ी है लेकिन यह अवसर भी उतना ही बड़ा है।

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