इस व्रत के प्रभाव से सभी कष्टों का निवारण होता है
लखनऊ। हर महीने कृष्ण पक्ष चतुर्थी पर भक्त भगवान गणेश का उपवास रखते हैं। संकष्टी या संकट हारा चतुर्थी व्रत के नाम से पहचाने जाने वाला ये व्रत, भगवान गणेश के उपासकों के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। प्रत्येक संकष्टी व्रत का अपना नाम होता है, और जो मार्गशीर्ष के महीने में होता है, उसे अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। जीवन में समृद्धि और धन- वैभव पाने के लिए भी लोग ये व्रत करते हैं। श्रद्धालु मानते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से सभी कष्टों का निवारण होता है, और शांति प्राप्त होती है। इस बार दिसंबर में अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 7 दिसबंर को है।
व्रत का महत्व
यह व्रत सभी प्रकार के संकटों और बाधाओं से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सुख-समृद्धि आती है। इस व्रत का पालन करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। गणेश चालीसा या मंत्रों का जाप करने और गणेश स्तोत्र का पाठ करने से आध्यात्मिक शांति मिलती है।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की पूजा कैसे करें ?
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह शुद्ध पानी से नहा कर साफ कपड़े पहनें।
भगवान गणेश की उपासना मंत्रों और जाप के साथ करें। संध्याकाल में भगवान गणेश की पूजा करें और उसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा संपन्न करें। पूजा करने के लिए सबसे पहले भगवान गणपती का शुद्ध जल से अभिषेक करें। इसके बाद भगवान को पुष्प अर्पित करें। इसके अलावा भगवान गणेश को दुर्वा अर्पित करें। उसके बाद भगवान गणेश की कथा पढ़ें और दूसरों को भी सुनाएं। आरती कर पूजा का समापन करें।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत व्रत के दौरान क्या खाएं ?
व्रत के दौरान कई लोग निर्जला व्रत भी करते हैं। लेकिन अगर आप फलाहार के साथ व्रत कर रहे हैं तो आप रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद आप साबूदाने की खिचड़ी खा सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि ज्यादा तेल का खाना खाने से आपको स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। इसीलिए फलों को भी अपने व्रत में शामिल करें।





