वाराणसी। श्रावण मास के पहले दिन का शुभारंभ शुक्रवार सुबह श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में मंगला आरती के साथ अत्यंत भव्यता और भक्तिभाव से हुआ। इस बार मंदिर न्यास द्वारा सनातन परंपरा को समृद्ध करते हुए एक विशेष नवाचार की शुरुआत की गई, जिसकी पहल मंदिर न्यास की कार्यपालक समिति के पदेन अध्यक्ष एवं मंडलायुक्त वाराणसी श्री एस. राजलिंगम द्वारा की गई।
हर वर्ष की भांति इस बार भी श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया गया, किंतु इस बार यह अभिनंदन मंदिर के तीन पवित्र शिखरों भगवान विश्वनाथ, भगवान दंडपाणि एवं भगवान वैकुण्ठेश्वर के समक्ष किया गया। शिखर आराधना के इस पहले चरण में भक्तों पर पुष्पवर्षा कर उनकी आस्था का सम्मान किया गया।

द्वितीय चरण में पुष्पवर्षा के साथ हरि-हर की काशी परंपरा को दर्शाते हुए श्रद्धालुओं को मुख्य गर्भगृह से मंदिर परिसर में स्थित भगवान बद्रीनारायण मंदिर तक ले जाया गया। यह चरण वैष्णव और शैव आस्था के संगम का प्रतीक रहा।
तीसरे और अंतिम चरण में तीन पुष्प थाल माता अन्नपूर्णा को समर्पित किए गए। यह पुष्प पत्रदल दिन भर भक्तों को माता के अक्षत प्रसाद के साथ प्रदान किए जा रहे हैं, जो श्रावण मास के प्रथम दिवस की स्मृति के रूप में भेंट स्वरूप दिए जा रहे हैं।
सनातन परंपरा में शुक्रवार मातृ शक्ति की आराधना का विशेष दिन माना जाता है, और इसी भाव के अनुरूप इस नवाचार की पूर्णाहुति माता अन्नपूर्णा को अर्पित पुष्प थालों के साथ की गई।
- नवाचार के साथ पुष्पवर्षा, शिखर आराधना और माँ अन्नपूर्णा को अर्पण
इस त्रि-चरणीय नवाचार में त्रिशक्ति, त्रिदेव और त्रैगुण्य शैव दर्शन की समग्र अभिव्यक्ति हुई। भगवान शिव के त्रिशूल, त्रिपुण्ड, और त्रिदल बेलपत्र के प्रतीक रूपों को इस नवाचार में जीवंत किया गया।

इस विशेष अवसर पर मंदिर न्यास के पदेन अध्यक्ष एवं मंडलायुक्त वाराणसी श्री एस. राजलिंगम, मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री विश्व भूषण, डिप्टी कलेक्टर श्री शम्भू शरण एवं तहसीलदार श्री मिनी एल शेखर सहित अनेक श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने यह सुनिश्चित किया है कि सनातन परंपराओं को आधुनिक संवेदना के साथ जोड़ते हुए काशी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गरिमा को निरंतर सशक्त किया जाए।
।।श्री काशीविश्वनाथो विजयतेतराम।।