थोक मुद्रास्फीति अक्टूबर में घटी, लगातार सातवें माह नकारात्मक दायरे में

नयी दिल्ली। थोक मुद्रास्फीति अक्टूबर में शून्य से 0.52 प्रतिशत नीचे रही है। यह लगातार सातवां महीना है जबकि थोक मुद्रास्फीति शून्य से नीचे बनी हुई है। विशेषज्ञों ने कहा कि सब्जियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव, अधिकतर खाद्य पदार्थों की घरेलू कीमतों में बढ़ोतरी के साथ-साथ प्रतिकूल आधार प्रभाव से थोक मुद्रास्फीति निकट भविष्य में बढ़ सकती है।

थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल से लगातार शून्य से नीचे बनी है। सितंबर में यह शून्य से 0.26 प्रतिशत नीचे थी। अक्टूबर, 2022 में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 8.67 प्रतिशत थी। अक्टूबर में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति घटकर 2.53 प्रतिशत पर आ गई। सितंबर में यह 3.35 प्रतिशत थी।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने मंगलवार को कहा, अक्टूबर 2023 में मुद्रास्फीति शून्य से नीचे रही। इसकी मुख्य वजह पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में रसायनों और रासायनिक उत्पादों, बिजली, कपड़ा, बुनियादी धातुओं, खाद्य उत्पादों, कागज और कागज उत्पादों आदि की कीमतों में गिरावट रही। डब्ल्यूपीआई के शून्य से नीचे रहने का अर्थ है कि कुल थोक कीमतों में सालाना आधार पर गिरावट आ रही है।

खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति अक्टूबर में 2.53 प्रतिशत रही, जो सितंबर में 3.35 प्रतिशत थी। सब्जियों और आलू की मुद्रास्फीति क्रमश: शून्य से नीचे 21.04 प्रतिशत और शून्य से नीचे 29.27 प्रतिशत रही। प्याज में मूल्य वृद्धि की वार्षिक दर अक्टूबर में 62.60 प्रतिशत के उच्चस्तर पर बनी रही। दालों और धान की मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर पर क्रमश: 19.43 प्रतिशत और 9.39 प्रतिशत रही।

इक्रा लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री एवं प्रमुख (अनुसंधान एवं संपर्क) अदिति नायर ने कहा कि सालाना आधार पर डब्ल्यूपीआई अपस्फीति अक्टूबर, 2023 में थोड़ा बढ़कर 0.5 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर 2023 में 0.3 प्रतिशत थी। ईंधन व बिजली खंड की मुद्रास्फीति अक्टूबर में शून्य से 2.47 प्रतिशत नीचे रही, जो सितंबर में शून्य से 3.35 नीचे थी।
वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी बार्कलेज के प्रबंध निदेशक एवं ईएम (उभरते बाजार) एशिया अर्थशास्त्र के प्रमुख राहुल बाजोरिया ने कहा कि कुल मिलाकर मुद्रास्फीति मोटे तौर पर नियंत्रण में बनी हुई है। स्थिर रुपये, प्रबंधन योज्ञ ऊर्जा लागत और र्इंधन कीमतों पर कर नीति से मुद्रास्फीति को स्थिर सीमा में रखने में मदद मिल रही है।

विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति अक्टूबर में शून्य से 1.13 प्रतिशत नीचे रही। सितंबर में यह शून्य से 1.34 प्रतिशत नीचे थी। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) की ओर से पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति सालाना आधार पर घटकर पांच माह के निचले स्तर 4.87 प्रतिशत पर आ गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष (2023-24) में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत पर रहेगी। पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में यह 6.7 प्रतिशत रही थी।

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