सावन का पहला सोमवार आज, शिवालयों में गूंजेगा बम-बम भोले

लखनऊ। भगवान भोले का प्रिय श्रावण मास 22 जुलाई को शुरू हो रहा है, और 22 जुलाई को ही सावन का पहला सोमवार भी है, जो कि श्रावण मास की विशेष तिथि मानी जाती है। सावन के पहले सोमवार के लिए राजधानी के सभी शिवालय भोले बाबा का आराधना के लिए सजधज कर तैयार हैं। सोमवार भोर से ही शहर के सभी शिवालयों में बम-बम भोले की उदघोष से गूंज उठेंगे। शहर के सबसे प्राचीन शिव मंदिरों में से एक मनकामेश्वर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर लिए हैं। इसी तरह कोनेश्वर मंदिर, चौपटिया स्थित छोटा शिवाला और बड़ा शिवाला भी भक्तों के लिए तैयार हैं।

भगवान शिव का होगा विशेष शृंगार:
श्रावण मास के पहले सोमवार पर शहर के सभी शिवालयों में भगवान शिव का विशेष शृंगार किया जाएगा। डालीगंज स्थित मनकामेश्वर सिद्घपीठ में चंदन, भांग, बेसन और फूलों से अनोखी शिव आकृति बनाई जाएगी, जिसका पूजन किया जाएगा। वहीं भोर में ही भगवान शिव की भस्म आरती की जाएगी। महंत देव्यागिरी ने बताया कि भोर में भस्म आरती के बाद भगवान शिव का विशेष शृंगार होगा, उन्हें विशेष पगड़ी भी पहनाई जाएगी। वहीं, पांच प्रकार के फूल सूरजमुखी, बेला, कमल, कनेर और गेंदा से भगवान शिव का भव्य पुष्प शृंगार होगा। उन्हें शमी का फूल, धतूरा और बेल पत्र की माला पहनाई जाएगी। शाम को महाआरती होगी।

व्रत पूजा विधि:
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करें। भोलेनाथ के सामने आंखे बंद करके शांति से बैठें और व्रत का संकल्प लें। दिन में 2 बार सुबह और शाम को भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती जी की पूजा अर्चना करें। भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दिया प्रज्वलित करें और फल व फूल अर्पित करें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान भोलेनाथ को सुपारी, पंच अमृत, नारियल व बेल की पत्तियां चढ़ाएं। व्रत कथा का पाठ करें और दूसरों को भी व्रत कथा सुनाएं एवं शिव चालीसा पढ़ें। प्रसाद बांटने के बाद शाम को पूजा करके अपना व्रत खोलें।

लखनऊ के द्वादश मंदिर में होते हैं 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन:
भगवान शिव की आराधना के श्रावण मास में पुण्य की कामना को लेकर श्रद्धालु शिव मंदिरों की ओर से रुख करते हैं। रुद्राभिषेक और शिवार्चन के बीच सदर के द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर में एक साथ भगवान शिव के 12 स्वरूपों के दर्शन होते हैं। शिवार्चन और रुद्राभिषेक के साथ ही भगवान शिव को चढ़ने वाला जल सीधे जमीन में जाकर भूजल स्तर बढ़ाता है। अध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने बताया कि मंदिर में परिवार के साथ रुद्राभिषेक करने की पूरी व्यवस्था रहती है। पुजारी गुड्डू पंडित के सानिध्य में विद्वानों की टोली अभिषेक कराती है। श्रावण के चारों सोमवार व नागपंचमी पर 15 परिवार को एक बार में रुद्राभिषेक की सुविधा मिलेगी।

मनकामेश्वर में होगी महाकाल की भस्म आरती:
श्रावण मास में देवादिदेव महादेव का नाम लेने मात्र से सारे दु:ख दूर हो जाते हैं। उनकी महिमा का बखान कर रुद्राभिषेक करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भगवान शिव की आराधना के इस महीने के सोमवार को महिलाएं व्रत रखकर सुख समृद्धि की कामना करती हैं। मंदिरों में जहां विशेष इंतजाम होंगे वहीं रुद्राभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की कतारें भी लगेंगी। राजेंद्रनगर स्थित महाकाल मंदिर में सुबह चार बजे उज्जैन की तर्ज पर महाकाल की भस्म आरती होगी। मनकामेश्वर मंदिर के कपाट भी भोर में ही खोल दिए जाएंगे। महंत देव्या गिरि के महाआरती के साथ ही मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए मंदिर में क्लोज सर्किट कैमरे लगाए गए हैं। पूजन सामग्री व प्रसाद की दुकानों को सुव्यवस्थित लगाने के मंदिर प्रशासन की ओर से निर्देश दिए गए हैं।

नग जड़ी होगी पगड़ी:

मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि ने बताया कि बाबा की पगड़ी में नग लगाए गए हैं और श्रद्धालुओं ने अपने हाथों से पगड़ी बनाई है। हर सोमवार बाबा को दूल्हे की तरह सजाया जाएगा। बम भोले के जयकारे के साथ श्रद्धालु बराती के स्वरूप में शामिल होंगे। सुरक्षा के चलते क्लोज सर्किट कैमरे से निगरानी होगी। मंदिर में आने और जाने की अलग.अलग व्यवस्था की गई है। मंदिर में प्रसाद स्वयं चढ़ाना होगा।

रंग-बिरंगी लाइटों से सजे शहर के शिवालय, तैयारी पूरी


लखनऊ। आज से सावन माह शुरू हो रहा है और सावन की शुरूआत सावन के सोमवार से हो रहा है। शहर के अन्य शिव मंदिरों में पूजन को लेकर तैयारियां जहां अंतिम दौर में पहुंच चुकीं हैं तो कई मंदिरों में अभिषेक के लिए समय देने का कार्य पूरा हो गया है।
चौक रानी कटरा स्थित के छोटा व बड़ा शिवाला में भी पहले सोमवार को लेकर विशेष इंतजाम किए गए हैं। कोनेश्वर मंदिर के साथ ही सदर के द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर में भी अभिषेक को लेकर तैयारियां पूरी हो गई हैं। आशियाना के सेक्टर.एच स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर, बंगलाबाजार के श्री रामजानकी मंदिर, इंद्रेश्वर मंदिर, मौनी बाबा मंदिर व गुलाचिन मंदिर के अलावा सिद्धेश्वर मंदिर, सैसोवीर मंदिर, गोमतेश्वर मंदिर व विन्ध्याचल मंदिर के अलावा शहर के सभी शिव मंदिर पूजन के लिए तैयार हैं। स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर, इंदिरानगर भूतनाथ मंदिर, महानगर के सिद्धेश्वर मंदिर, राजाजीपुरम, सआदतगंज, आलमबाग, चिनहट के अलावा बख्शी का तलाब के मां चंद्रिका देवी मंदिर के चंद्रकेश्वर महादेव मंदिर, कालेश्वर महादेव मंदिर, इटौंजा के रत्नेश्वर महादेव मंदिर, टीकाश्वर महादेव मंदिर के साथ ही शहर के सभी छोटे बड़े शिव मंदिरों पर तैयारियां पूरी होने के साथ ही मंदिरों को झालरों से सजाया गया है।

महाकाल के भस्म से होगी आरती:

राजेंद्र नगर के महाकाल मंदिर में श्रावण के सभी आठ सोमवार को भोर में चार बजे भस्म आरती होगी। मुख्य व्यवस्थापक अतुल मिश्रा ने बताया कि महाकाल मंदिर से आई भस्म से आरती होगी। आरती व रुद्राभिषेक के लिए मंदिर प्रशासन से संपर्क करना होगा।

सावन के पहले सोमवार को पांच अद्भुत संयोग
लखनऊ। भगवान शिव को प्रिय श्रवण मास 22 जुलाई से शुरू होगा और इसका समापन 19 अगस्त रक्षाबंधन के साथ होगा। इस बार सावन के पांच सोमवार होंगे। सावन के पहले सोमवार पर एक या दो नहीं बल्कि 5 शुभ योग का संयोग भी बन रहा है।
इस बार सावन की शुरूआत सोमवार से हो रही है और समापन भी सोमवार को ही होगा। सावन के पहले दिन बन रहे शुभ योग में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं।
श्रवण मास में रूद्राभिषेक करने से पापों का क्षरण और कष्टों से मुक्ति मिलती है। ज्योतिषाचार्य सुनील चौपड़ा ने बताया कि शास्त्रों में श्रावण मास के महत्व को विस्तार से बताया गया है। देवशयनी एकादशी के बाद सृष्टि के संचालन का पदभार भगवान शिव के हाथों में आ जाता है और आषाढ़ माह के बाद सावन महीना शुरू होता है।

सावन के पहले सोमवार को बन रहे पांच शुभ योग के महत्व

सावन के पहले सोमवार पर प्रीति योग बन रहा है और इस योग के स्वामी स्वयं भगवान नारायण हैं। पुराणों में बताया गया है कि प्रीति योग सदा मंगल करने वाला और भाग्य को बढ़ाने वाला होता है।

दूसरा योग
आयुष्मान योग बन रहा है। भारतीय संस्कृति में लोग आयुष्मान भव: कहकर आशीर्वाद देते हैं अर्थात यह आशीर्वाद लंबी आयु के लिए दिया जाता है।

तीसरा योग
सावन के पहले सोमवार को चंद्रमा और मंगल एक दूसरे से नौवें और पांचवे भाव में मौजूद रहेंगे, जिससे नवम पंचम राजयोग का निर्माण हो रहा है। इस योग में शिव पूजन करने से कुंडली में मौजूद सभी ग्रह दोष दूर होते हैं।

चौथा योग
सावन के पहले सोमवार को शश राजयोग बन रहा है क्योंकि इस दिन शनि स्वराशि कुंभ में रहने वाले हैं। शश योग के स्वामी शनिदेव हैं, जो भगवान शिव के शिष्य हैं। इस योग में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से शनि के अशुभ प्रभाव में कमी आती है। साथ ही शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। इस योग में की गई पूजा से हर परेशानी दूर हो जाती है।

पांच योग

सावन के पहले सोमवार को सर्वाद्ध सिद्ध नामक शुभ योग का निर्माण भी हो रहा है। जैसा कि इसके नाम से जानकारी मिल रही है कि यह योग सभी कार्यों को सिद्ध करता है।

सात दशक बाद सावन की शुरूआत और समापन भी सोमवार को

सावन महीने में इस बार अद्भुत संयोग बन रहा है। यह महीना सोमवार से शुरू होगा और सोमवार को ही समाप्त होगा। 72 वर्षों बाद बन रहे इस अद्भुत संयोग को लेकर लोगों में उत्सुकता है। सर्वार्थ सिद्धि, प्रीति और आयुष्मान योग में सावन के महीने की शुरूआत होगी। पं. बिन्द्रेस दुबे ने बताया कि इस वर्ष 22 जुलाई से 19 अगस्त तक चलेगा। यह हिंदू पंचांग के पांचवें माह के रूप में माना जाता है और विशेष रूप से भगवान शिव के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस मास में शिवजी की पूजा, व्रत और अर्चना करने का महत्व अत्यंत उच्च माना जाता है। श्रावण मास पश्चिमी कैलेंडर के अनुसार आमतौर पर जुलाई और अगस्त महीने के बीच आता है। इस मास में हिंदू समुदाय के लिए विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियां होती हैं, जो उनके आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण होती है।
श्रावण मास को हिंदू धर्म शास्त्रों में पवित्र और शुभ मास माना गया है। इस मास में किसी भी शुभ कार्य को करने का महत्व अत्यधिक होता है, क्योंकि मान्यता है कि इस समय हर दिन भाग्यशाली और आध्यात्मिक रूप से ऊजार्वान होता है। श्रावण मास में भगवान शिव की विशेष पूजा और व्रत अधिकतर लोग करते हैं। जिससे उन्हें अपने जीवन में शांति, समृद्धि और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। सावन में सोमवती अमावस्या और सोमवती पूर्णिमा दोनों का संयोग बनेगा। इससे पहले ये संयोग 1976, 1990, 1997 व 2017 में बना था।

भक्तों को मिलती है शिव-पार्वती की कृपा
श्रावण मास में केवल जलाभिषेक से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है। सावन मास में प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और उन्नति के योग बनते है। श्रावण मास में ही समुद्र मंथन से 14 रत्न प्राप्त हुए थे। जिसमें एक था विष। इस विष को शिवजी ने अपने गले में स्थापित कर लिया था, जिससे उनका नाम नीलकंठ पड़ा। विष की जलन रोकने के लिए सभी देवताओं ने उन पर गंगा जल डाला। समूचा श्रावण शिव की खूबियां से भरा है। महादेव की तरह श्रावण भी गर्मी से तपती धरती को बारिश से तृप्त करता है। जीव-जंतु और प्रकृति का यह सृजन का काल है।

22 जुलाई – श्रावण पहला सोमवार
29 जुलाई – श्रावण दूसरा सोमवार
05 अगस्त – श्रावण तीसरा सोमवार
12 अगस्त – श्रावण चौथा सोमवार
19 अगस्त – श्रावण पांचवा सोमवार

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