लखनऊ। अब विद्यालय जाना विद्यार्थियों के लिए बोझ नहीं, सहूलियत बन जाएगा। प्रदेश सरकार ने बुंदेलखंड के छह जिले झांसी, चित्रकूट, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा और सोनभद्र के उन छात्र-छात्राओं को यात्रा भत्ता (ट्रैवल अलाउंस) देने का फैसला किया है, जो राजकीय माध्यमिक विद्यालयों से पांच किलोमीटर या अधिक दूरी पर रहते हैं। इसके तहत कक्षा 9 से 12 तक पढ़ने वाले विद्यार्थियों को सालाना छह हजार रुपये की आर्थिक सहायता सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जाएगी। इसके अलावा, पीएम श्री योजना के तहत चयनित 146 राजकीय विद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं को भी इसका लाभ मिलेगा। विभाग ने इस संबंध में सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं और योजना को इसी शैक्षिक सत्र से लागू करने की तैयारी है।
माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से इसके लिए एक प्रोफार्मा तैयार किया गया है। योजना का लाभ उठाने के लिए छात्रों को प्रोफार्मा भरकर देना होगा कि उनके घर से पांच किलोमीटर के भीतर कोई राजकीय माध्यमिक विद्यालय नहीं है। उस प्रोफार्मा और घोषणा का ग्राम स्तर पर ग्राम प्रधान और विद्यालय स्तर पर प्रधानाचार्य से सत्यापन आवश्यक होगा। शहरी क्षेत्रों में यह जिम्मेदारी पार्षदों को दी गई है। सत्यापन के बाद पैसा डीबीटी (डायरेक्ट बेनफिट ट्रांसफर) के माध्यम से छात्रों के खातों में भेजा जाएगा। पहली किस्त पांच सितंबर को जारी की जा सकती है। इस सुविधा का मकसद न सिर्फ विद्यार्थियों की आर्थिक मदद करना है, बल्कि उन्हें नियमित रूप से विद्यालय आने के लिए प्रोत्साहित भी करना है।
योजना की शर्त है कि लाभ लेने वाले विद्यार्थियों की विद्यालय में उपस्थिति नियमित होनी चाहिए। साथ ही कम से कम 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी होनी चाहिए। इस योजना के लिए बुंदेलखंड के छह जिले और सोनभद्र में कुल 24 हजार विद्यार्थी चिन्ह्ति किए गए हैं, वहीं पीएम श्री राजकीय विद्यालयों में चार हजार छात्राएं हैं। जिनका घर राजकीय विद्यालय से पांच किलोमीटर से अधिक की दूरी पर है और उस बीच में कोई राजकीय विद्यालय संचालित नहीं है।
समग्र शिक्षा माध्यमिक के अपर राज्य परियोजना निदेशक विष्णु कांत पांडेय ने बताया कि यह पहल पहली बार की जा रही है और इससे न केवल विद्यार्थियों की उपस्थिति में सुधार होगा, बल्कि ड्रापआउट रेट को भी कम करने में मदद मिलेगी। दूर-दराज़ के गांवों से स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए यह योजना किसी राहत से कम नहीं। न सिर्फ उनकी जेब पर बोझ घटेगा, बल्कि शिक्षा की राह अब उनके लिए और सहज हो जाएगी।