नई टाउनिशप में वॉक टू वर्क व नॉन मोटाराइज्ड ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा
क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों से निपटेंगी वेटलैंड, वाटर बॉडीज
लखनऊ, आशीष मौर्य। यूपी के शहरों में अब सुनियोजित नगरीय विकास यानी प्लान्ड डेवलपमेंट होगा। किसी टाउनशिप में विकासकर्ता को वॉक टू वर्क को बढ़ावा देना होगा। इसके साथ ही टाउनशिप में नॉन मोटाराइज्ड ट्रांसपोर्ट को प्रोत्साहित करना होगा। योगी सरकार की मंशा है कि छोटे-बडेÞ शहरों में अब प्लान्ड कॉलोनियां विकसित हो। इसीलिए नई टाउनशिप नीति 2023 को सरकार ने मंजूरी दी है। उत्तर प्रदेश में अभी शहरीकरण पश्चिमी इलाके जैसे नोएडा और गाजियाबाद के आसपास तक सीमित है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का लगभग 1 तिहाई हिस्सा शहर में तब्दील हो चुका है, जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में ये महज 13.4 प्रतिशत है। वहीं अवध के इलाके में ये 20.6 प्रतिशत है तो बुंदेलखंड में 22.75 प्रतिशत। जबकि पूरे उत्तर प्रदेश में शहरीकरण महज 23.3 प्रतिशत हुआ है, जो राष्ट्रीय 31.16 प्रतिशत के औसत से काफी कम है। उत्तर प्रदेश टाउनशिप नीति 2023 में सरकार ने इसे संतुलित करने का काम किया है। कैबिनेट से मंजूर होने के बाद अपर मुख्य सचिव नितिन रमेश गोकर्ण ने पॉलिसी को लागू करने के लिए आवास विकास व विकास प्राधिकरणों को भेज दिया है।
प्रस्तावित नीति के हिसाब से टाउनशिप तक पहुंच के लिए 25 मीटर चौड़ी सड़क देना अनिवार्य होगा, जबकि कॉलोनी के अंदर भी कम से कम 12 मीटर चौड़ी सड़क देनी होगी। इससे लोगों को मोहल्ले के अंदर खुली और चौड़ी सड़कें मिलेंगी। संकरी गलियों का दौर खत्म होगा। नई टाउनशिप पॉलिसी में घर और दफ्तर को पास-पास बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा। यानी सरकार का प्रयास है कि ऐसी कॉलोनियां या टाउनशिप विकसित की जाएं जहां लोगों के लिए घर से दफ्तर की दूरी सिर्फ वॉकिंग डिस्टेंस पर हो। पॉलिसी में इसे वॉक टू वर्क के तौर पर पेश किया गया है। इसका मकसद पीक आॅवर्स में सड़कों पर लंबे-लंबे जाम से छुटकारा पाना है। वहीं हॉरिजोंटल विकास के लिए सरकार चंडीगढ़ की जैसी टाउनशिप प्लानिंग को बढ़ावा देगी। इसमें पैदल यात्रियों के लिए पर्याप्त फुटपाथ और खराब जगह को ग्रीन बेल्ट में बदलने का प्रावधान शामिल है। इस तरह से विकासकर्ता को टाउनशिप में नॉन मोटाराइज्ड ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देना होगा। इससे कार्बन उत्सर्जन को कम से कम किया जा सकेगा।
क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों से निपटने के लिए वेटलैंड, वाटर बॉडीज और बाढ़ क्षेत्र को टाउनशिप के साथ इंटीग्रेट किया जाएगा। पर्यावरण की दृष्टि से सुस्थिर विकास के लिए न्यू टाउनशिप एनर्जी एफिशिएंट होगी, जिसके नियोजन व विकास में जीरो वेस्ट निस्तारण, जल संरक्षण, रेन वाटर हार्वेस्टिंग व वाटर रिसाइक्लिंग, ग्रीन कवर, ग्रीन बिल्डिंग्स, सोलर पावर आदि के उपयोग को अनिवार्य हिस्सा बनाया जाएगा। इसके अलावा पार्क, स्पोर्ट कॉम्प्लेक्स, पार्किंग, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, पुलिस स्टेशन, बागवानी की सुविधा इत्यादि का विकास किया जाएगा। जबकि शहर की डिजाइनिंग के लिए बड़ी इमारतों के डिजाइन में वहां के इतिहास, सांस्कृतिक और हेरिटेज को बढ़ावा दिया जाएगा। टाउनशिप में 18 मीटर व उससे अधिक चौड़ी सड़कों पर बने भवनों में समानता स्थापित करने के लिए फसाड कंट्रोल को बढ़ावा दिया जाएगा।
गांव के आसपास के इलाके भी होंगे विकसित
नई टाउनशिप पॉलिसी में विलेज सोसायटी के विकास का भी ध्यान रखा गया है। 50 एकड़ कृषि भूमि पर कॉलोनियां बनाने के लाइसेंस दिए जाएंगे। ऐसे प्रोजेक्ट्स ही शहरों के मास्टर प्लान में शामिल होगा। विलेज सोसायटी और अन्य सरकारी भूमि का कन्वर्जन भी अब आसान होगा। इन्हें बदलने का काम 60 दिन के अंदर हो जाएगा। पॉलिसी में निजी सेक्टर में टाउनशिप डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के भी कई प्रावधान किए गए हैं। जैसै पहले किसी टाउनशिप के डीपीआर को मंजूर होने में 3 साल तक का वक्त लगता था, जो अब महज 18 महीने में पूरा हो जाएगा। वहीं नॉन-रिफंडेबल फीस जो पहले 1 लाख रुपये लगती थी, वो अब 1000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से चार्ज होगी। इतना ही नहीं औद्योगिक और इंटरनल ट्रेड को बढ़ावा देने के लिए 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होगी।