जय श्रीराम और हर हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा मंच

अभिनेता आशुतोष राणा ने मंच पर हमारे राम नाटक का मंचन किया
लखनऊ। प्रसिद्ध अभिनेता आशुतोष राणा ने मंच पर हमारे राम नाटक का मंचन किया तो अंबेडकर सभागार जय श्रीराम और हर हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा। कलाकारों ने सरल भाषा और अपने सारगर्भित संवादों से नाटक को रोचक बनाए रखा। नाटक में कलाकारों का मंचन और संवाद इतना प्रभावी रहा कि दर्शक पूरी तल्लीनता से अपनी कुर्सियों पर डटे रहे।
आशियाना के डॉ. बीआर अंबेडकर सभागार में फैलिसिटी थिएटर की ओर से महाकाव्यात्मक हमारे राम की नाट्य प्रस्तुति को देखने के लिए राज्यपाल आनंदी बेन पटेल शनिवार दोपहर पहुंची। उन्होंने आशुतोष राणा समेत दूसरे कलाकारों की प्रस्तुति को काफी सराहा। कहा कि इस प्रकार के आयोजन समाज में नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना में सहायक सिद्ध होते हैं। कहा कि प्रभु श्रीराम का पात्र और रावण का ज्ञान सदैव हमें याद रखना चाहिए। ऐसे नाट्य मंचनों से युवा पीढ़ी को रामायण जैसे महाकाव्यों को आत्मसात करने का अवसर मिलता है। राज्यपाल ने नाटक के पात्रों को पुस्तक चुनौतियां मुझे पसंद हैं, हमारा राजभवन एवं राजभवन बैंड : विस्मरणीय अनुभव भेंट किया।
दोनों शो में हमारे राम नाटक की शुरूआत लव और कुश की मौजूदगी में मां सीता के पृथ्वी की बाहों में अंतिम शरण लेने से होती है। नाराज बेटे अपनी मां सीता को लेकर प्रभु श्रीराम से कई गंभीर और तीखे सवाल करते हैं। प्रभु के दृष्टिकोण से नाटक हमारे राम दर्शकों को श्रीराम, माता सीता और उनके शाश्वत प्रेम, कठिनाइयों की यात्रा पर ले जाता है।
रावण के किरदार में अभिनेता आशुतोष राणा और मंदोदरी के रूप में साथी कलाकार मंच पर पहुंचती हैं। आशुतोष समेत कलाकारों के संवाद, भाव भंगिमाओं को देखकर दर्शक कई बार तालियां बजाकर उनका स्वागत करते हैं। आशुतोष महादेव को बुलाने के लिए शिव पूजन की शुरूआत करते हैं, लेकिन यज्ञ करने के दौरान उन्हें प्रज्जवलित अग्नि में चढ़ाने के लिए मौके पर नारियल नहीं दिखता। इस पर रावण अपना सिर ही उसी अग्नि में चढ़ा देते हैं। इस दृश्य के तुरंत बाद ही प्रसन्न होकर महादेव लंका नरेश रावण को साक्षात दर्शन देते हैं।
महादेव कहते हैं कि परम भक्ति का यह रूप मैने किसी में नहीं देखा है, तेरा यह बलिदान अमर हो। तूने मुझे एक शीश चढ़ाया है। मैं तुझे 10 शीश देता हूं। 10 शीश ही नहीं, बल्कि 20 भुजाएं भी देता हूं। अब मेरा दर्शन कर। रावण महादेव से कहता है कि आपके चरणों का मै आभारी हूं। महादेव के जाने पर रावण उन्हें रोकता और अनुन्य आग्रह कर शिव तांडव स्तोत्र जटाओं से जिनके… सुनाते हैं तो महादेव प्रसन्न होकर नाचने लगे। बाद में महादेव ने प्रसन्न होकर रावण को चंद्रहास सौंपकर चले जाते हैं। यह प्रस्तुति भक्ति के भाव से लोगों को जोड़ती है।
महाकाव्य रामायण के अनेक प्रसंग इस नाटक में सीता स्वयंवर के जरिए नारी सम्मान को भी प्रदर्शित करता है। रावण बने आशुतोष कहते हैं कि हम सभी श्रीराम के गुण गा रहे हैं, हम केवल उनके चरणों तक ही सीमित रह जाते हैं। उनके आचरणों को धारण नहीं करते हैं। जिस दिन हम प्रभु श्रीराम के आचरणों को भी अपने अंदर धारण कर लेंगे, उस दिन हमारे अंदर का रावण मर जाएगा। प्रभु श्रीराम ने मृत्यु शैय्या पर लेटे रावण को नीति का ज्ञाता बताया। लक्ष्मण को रावण के पास ज्ञान लेने के लिए भेजा। रावण ने लक्ष्मण से कहा कि आने वाला समय कहेगा। रावण के पराजय का एक मात्र कारण था। उसके पास लक्ष्मण जैसा भाई नहीं था।
मंच बॉलीवुड अभिनेता आशुतोष राणा ने रावण, प्रभु श्रीराम की भूमिका में अभिनेता राहुल आर भूचर, हनुमान जी की भूमिका में दानिश अख्तर, तरुण खन्ना ने महादेव, हरलीन कौर रेखी ने सीता माता, करण शर्मा ने सूर्यदेव की भूमिका में अपने अभिनय का दम दिखाया। लेखक नरेश कात्यानन, पार्श्व गायक कैलाश खेर, शंकर महादेवन और सोनू निगम ने विशेष रूप से हमारे राम के लिए बनाई गई मूल रचनाओं में अपनी आवाज दी है।

RELATED ARTICLES

हरियाली तीज आज, सुहागिनें रखेंगी पति के दीर्घायु के लिए व्रत

लखनऊ। हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। विवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़कियां दोनों ही इस व्रत को...

‘शैडो आफ शिवा’ में दिखे कथक के मनमोहक रूप

कथक की विविध रचनाओं को मंच पर किया पेश लखनऊ। लखनऊ घराने के कथक को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने वाले कथक गुरु, कलाकार तथा कोरियोग्राफर...

सैनिक के परिवारों की दृढता और साहस को भी दर्शाता है ‘शहीद’

कारगिल विजय दिवस के अवसर पर नाटक का मंचनलखनऊ। कारगिल विजय दिवस के अवसर पर संस्कृति निदेशालय उ.प्र. के सहयोग से मदद एजूकेशनल एण्ड...