कोविड-19 मामलों में हालिया बढ़ोतरी पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है : हर्षवर्धन

नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शुक्रवार को कहा कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में हालिया बढ़ोतरी पर कड़ी नजर रखी जा रही है जिनमें कोविड संबंधी प्रोटोकॉल का सख्त अनुपालन तथा सूक्ष्म निषेध क्षेत्र बनाया जाना शामिल है ताकि इसके प्रसार पर लगाम लगाई जा सके।

उन्होंने कहा, उन लोगों पर ज्यादा ध्यान है जो उच्च जोखिम वाले आयु वर्ग में हैं और जो महामारी के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे हैं। शुक्रवार तक 5.31 करोड़ टीके की खुराक दी जा चुकी हैं। जनवरी में रोजाना जहां 2.4 लाख खुराक दी जा रही थीं वहीं मार्च के आखिरी हफ्ते में यह 20 लाख है। सरकार अब 45 साल तक के लोगों को भी टीका लगवाने वालों की श्रेणी में लेकर आई है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, टीकाकरण की रफ्तार बढ़ने जा रही है। जहां तक पाबंदी लगाने की बात है, कोविड-19 की स्थिति हर दिन बदलती है। यहां उम्मीद की किरण यह है कि हम महामारी की वजह से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए पहले से बेहतर तैयार हैं। टाइम्स नाऊ द्वारा आयोजित इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में उन्होंने कहा कि बढ़ते मामलों को रोकने के लिए कोविड-19 संबंधी दिशानिर्देशों के सख्त अनुपालन, सुक्ष्म निषेध क्षेत्रों समेत अन्य कदम जहां भी जरूरत होगी उपयोग में लाए जाएंगे।

भारत में कोविड-19 के मामलों और इनमें हाल में आए उछाल पर टिप्पणी करते हुए वर्धन ने कहा कि केंद्र व राज्यों द्वारा किए गए ठोस प्रयासों और भारत द्वारा जांच, निगरानी व उपचार की रणनीति में किए गए निवेश का नतीजा है कि भारत उन देशों में शामिल है जहां प्रति 10 लाख की आबादी पर मामलों और मृतकों की संख्या सबसे कम है। उन्होंने कहा, हमनें यह सशक्त रूप से दिखाया है कि जांच, निगरानी और उपचार की हमारी नीति प्रभावी रूप से विषाणु का प्रसार रोकती है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था को क्रमिक रूप से खोलने और वाणिज्यिक गतिविधियों को शुरू करने का फैसला देश में कोविड-19 के वक्र में सतत गिरावट के बाद लिया गया था। उन्होंने कहा, कोविड-19 के भारत समेत वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़े नकारात्मक प्रभाव से उबरने के लिए यह जरूरी था। ऐतिहासिक रूप से पूर्व में महामारियां लहरों में आई हैं और कोविड भी अपवाद नहीं है। यह स्पष्ट रूप से नजर आया जब इसकी दूसरी लहर यूरोप और अमेरिका में पहुंची। यह अभी भी वैज्ञानिक समुदाय के लिए अनसुलझा है कि महामारियां इस तरह व्यवहार क्यों करती हैं।

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