पुणे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बैंकिंग सेवाओं से अब तक वंचित रहे लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली के दायरे में लाने में बैंकों की भूमिका की बुधवार को सराहना की। उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रणाली के दायरे में लाये गये इन नये लोगों को अब मजबूती के साथ प्रणाली का हिस्सा बनाये रखना की चुनौती है। उन्होंने राष्ट्रीय बैंक प्रबंधन संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोह में कहा कि देश की प्रगति गरीबों की सामूहिक आर्थिक क्षमता के योगदान पर निर्भर करती है। उन्होंने बैंकों से आग्रह किया कि एक भी नागरिक को पीछे नहीं छूटने दिया जाये।
कोविंद ने कहा कि हमारे सामने चुनौती है कि जिन्हें जोड़ा गया है, उन्हें मजबूती से जोड़े रखा जाये। मैं आप लोगों से ऐसे वित्तीय उत्पादों पर ध्यान देने का आग्रह करूंगा जो समाज के पिरामिड में सबसे निचले क्रम की जरूरतों को पूरा करें। उन्होंने कहा कि किसी भी बैंक के लिये बाजार में दखल बढ़ाने तथा परिचालन का जोखिम कम करने का सबसे अच्छा तरीका है कि अधिक से अधिक लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली के दायरे में लाया जाये। राष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक पिरामिड के सबसे निचले क्रम के लोगों को मजबूती से जोड़े रखने के लिये बैंकरों द्वारा सहानुभूति और सह्म्दयता प्रदर्शित करने की जरूरत है। इसके लिये हाशिये के लोगों के साथ बैंकों द्वारा भागीदारी बढ़ाने तथा उनके प्रति नजरिये में बदलाव लाने की जरूरत है।
उन्होंने वित्तीय संपत्तियों के स्वामित्व के मामले में लैंगिक समानता लाने के लिये बैंकों को सक्रिय उपाय करने को कहा। कोविंद ने कहा कि बैंक देश की आर्थिक प्रणाली के आधार हैं। इन्होंने पिछले कई साल से देश की आर्थिक वृद्धि को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। उन्होंने कहा कि देश ने पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य तय किया है। ऐसे में बैंकों को अगली बड़ी छलांग के लिये तैयार रहना चाहिये।