लखनऊ। कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में अनामिका शुक्ला मामले के बाद से एक बार फिर सरकारी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के फर्जी शिक्षक राडार पर आ गये हैं। इसमें खासतौर से पैन कार्ड व आधार कार्ड में परिवर्तन करवाने वाले शिक्षकों पर विभाग पैनी नजर रखे है। ऐसे शिक्षकों में भी हड़कम्प मचा है, जो फर्जी तरीके से नियुक्ति हासिल कर नौकरी कर रहे हैं।
गौरतलब है कि यदि अभी तक हुई नियुक्तियों की परत दर परत खुलती जायें तो निश्चित रूप से कई बड़े के नाम सामने आयेंगे। फिलहाल विभाग में फर्जीवाड़ा करते हुये जो फर्जी कागजों पर नियुक्ति पाये हैं, ऐसे 1701 शिक्षकों को बर्खास्त कर चुका है लेकिन माना जा रहा है कि ये संख्या और बड़ी भी हो सकती है क्योंकि 2012 से 2016 के बीच जितनी भी भर्तियां हुयी, उनमें दो प्रमाणपत्रों के सत्यापन पर ही वेतन जारी करने का आदेश था।
नियम की बात की जाएं तो सरकारी कर्मचारी को वेतन तभी मिलता है जब उसके प्रमाणपत्र सत्यापित होते हैं लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इस दौरान लगभग पौने दो लाख शिक्षकों की भर्ती हुयी। चूंकि 2014 से शिक्षामित्रों का समायोजन भी शुरू हो गया था, लिहाजा सत्यापन में बहुत समय लग रहा था। शिक्षामित्रों के दबाव में दो प्रमाणपत्रों के सत्यापन के बाद वेतन जारी करने के आदेश हुए।
इनमें हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के प्रमाणपत्रों का सत्यापन करवाया गया। हालांकि आदेश में साफ था कि बाकी प्रमाणपत्रों का सत्यापन भी करवाया जाए लेकिन इसमें लापरवाही बरती गई। जिलों में बीएसए लगातार बदलते रहे, लिहाजा उन पर भी विभाग सख्ती नहीं कर पाया।
2018 में पकड़ी गयी थी गड़बड़ी
मथुरा में 12,460 शिक्षक भर्ती में एसटीएफ की जांच में फर्जी नियुक्तियों का खुलासा हुआ था। इसके बाद कई जगह से शिकायतें आयी। जिस पर विभाग ने सभी जिलों की शिक्षक भर्ती की जांच का निर्णय लिया था। जून 2018 में जिलों में अपर जिला मजिस्ट्रेट, अपर पुलिस अधीक्षक व बेसिक सहायक मंडलीय शिक्षा निदेशक की तीन सदस्यीय कमेटी गठित हुई।
जांच के बिन्दु भी शासन से तय हुए लेकिन ये पूरी नहीं हुई क्योंकि अगर पूरी होती तो फर्जी शिक्षक पकड़े जा चुके होते। इसमें जांच के बिन्दु निर्धारित किए थे, जिसमें चयन वर्ष में प्रकाशित मेरिट सूची से मिलान करके देखा जाएगा कि वर्तमान में जो शिक्षक काम कर रहे हैं, वे वही हैं जिनके नाम चयन सूची में थे। चयनित शिक्षकों ने शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन किया था?
नियुक्ति पत्र रजिस्टर्ड डाक से भेजने का नियम है। ऐसे शिक्षकों की सूची जिन्होंने नियुक्ति पत्र सीधे कार्यालय जाकर लिया था। चयनित अभ्यर्थी संबंधित अर्हता को पूरा करता है या नहीं? कोषागार के माध्यम से वेतन सूची का मिलान चयन सूची से, जो शिक्षक वेतन ले रहे हैं क्या वे वही हैं जिनका नाम चयन सूची में था?
वर्ष 2011 से निकली शिक्षक भर्ती में जिन शिक्षकों ने फर्जीवाड़ा करके नियुक्ति पायी है, उनकी जांच के दौरान गलत दस्तावेज पाये जाने पर बर्खास्तगी की गयी है।
-बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह