लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आरोप लगाया है कि एक ओर लॉकडाउन में जहां पूरा प्रदेश का जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ है वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश सरकार आरक्षण की मूल भावना और पिछड़े वर्गों के हितों पर करारा प्रहार कर रही है।
अजय कुमार लल्लू ने रविवार को जारी जारी बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव द्वारा जारी किए गए शासनादेश में यह कहा गया कि प्रदेश के सामान्य वर्ग और अनुसूचित जाति के वर्ग के अभ्यथियों को आईएएस, पीसीएस तथा अन्य अधीनस्थ परीक्षाओं में प्रीलिम्स में चयनित अभ्यथियों को मुख्य परीक्षा में इनके लिए बेहतर कोचिंग की सुविधा हेतु 55-55 लाख रुपए का बजट का प्रावधान किया गया।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि शासनादेश में ओबीसी वर्ग के लिए पहले से चले आ रहे हैं बजट के प्रावधान को खत्म कर दिया गया। यह प्रदेश के ओबीसी वर्ग के साथ सरासर अन्याय है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शासनादेश में संशोधन कर संविधान सम्मत ओबीसी वर्ग के लिए भी बजट का प्रावधान करें। उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 21 अप्रैल को अधीनस्थ सेवाओं में भर्ती के लिए आवेदन जारी करने हेतु विज्ञप्ति जारी की गई है। आवेदन हेतु ओबीसी अभ्यथियों को जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना पड़ेगा। ऐसे में जब लॉकडाउन चल रहा है तो जाति प्रमाणपत्र बनना बहुत मुश्किल होगा। उत्तर प्रदेश सरकार या तो आवेदन की तिथि को आगे बढ़ा दे या फिर 31 मार्च से पहले जो जारी हुए हैं उन्हें मान्य कर ले।
अजय कुमार ने आगे कहा 30 अप्रैल को मुख्य सचिव ने एक शासनादेश जारी किया जिसमें कहा गया कि ग्राम विकास अधिकारी के 336 पद खाली हैं। इसलिए इन पदों को भरने के लिए ग्राम विकास विभाग राजपत्रित अधिकारी सेवा नियमावली 1991 में संशोधन करने की आवश्यकता है। मुख्य सचिव का यह सुझाव कि खाली पदों को भरने के लिए सरकारी अधिकारियों से प्रतिनियुक्त पर भरे, यह एक प्रकार से लैटरल एंट्री है, जैसे कि केंद्र सरकार में सचिवों की भर्ती लैटरल एंट्री से होती है। इससे सामाजिक न्याय और संविधान की मूल भावना प्रभावित होगी।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सामाजिक न्याय और बाबा साहेब के बनाये गये संविधान की मूल भावना पर प्रदेश सरकार द्वारा किये जा रहे प्रहारों को कतई बर्दाश्त नही किया जाएगा। प्रदेश सरकार इन फैसलों को तुरंत बदले।