दुर्दांत विकासके समर्थकों और राजनीतिक संरक्षकों की भूमिका जांचेगी
डीएम और एससपी से लिया घटना और उसके बाद की कार्रवाई का ब्यौरा
ग्रामीणों से की मुलाकात, विकास से जुड़ी जानकारी साझा करने की अपील की
कानपुर। कानपुर प्रकरण की जांच के लिए अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी के नेतृत्व में गठित विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) बिकरू गांव रविवार दोपहर पहुंच गया। भूसरेड्डी, अपर पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा और पुलिस उप महानिरीक्षक जे रविन्द्र गौड़ के साथ कुख्यात अपराधी विकास दुबे के साथ सहानुभूति रखने वालों और राजनीतिक संरक्षकों की भूमिका की जांच करेंगे। उल्लेखनीय है कि बिकरू गांव में ही कुख्यात अपराधी विकास दुबे के यहां दबिश देने गये पुलिस दल पर घात लगाकर हमला किया गया था, जिसमें आठ पुलिसकर्मी मारे गये थे।
एसआईटी के आगमन की खबर मिलने पर जिलाधिकारी ब्रहमदेव राम तिवारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार प्रभु बिकरू गांव पहुंच गये। एसआईटी ने बिकरू गांव पहुंचकर मुठभेड़ स्थल का निरीक्षण किया। भूसरेड्डी ने इससे पहले बताया था कि वे लोग बिकरू गांव जाएंगे, जहां फायरिंग हुई थी। उन्होंने हालांकि और ब्योरा देने से इनकार कर दिया था।
एसआईटी ने जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से घटना और उसके बाद की कार्रवाई की ब्योरा लिया। दल ने यह स्पष्टीकरण भी मांगा कि पूर्व के मामलों में अपराधी की जमानत को रद्द करने की प्रक्रिया क्यों नहीं शुरू की गयी थी। दुबे और उसके गुर्गों के हथियार लाइसेंस क्यों नहीं रद्द किये गये।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि एसआईटी ने गांव का दौरा किया और स्थानीय लोगों से बात की। गांव वालों को समझाया कि अगर उनके पास विकास दुबे से जुडी कोई जानकारी है तो वे आगे आयें और उसे साझा करें। अधिकारियों के कानपुर में अगले कुछ दिन रहने की संभावना है। एसआईटी को अपनी जांच रिपोर्ट 31 जुलाई तक राज्य सरकार को सौंपनी है।
उल्लेखनीय है कि कानपुर नगर में घटित घटना के सम्बन्ध में शासन द्वारा सम्यक विचारोपरान्त प्रकरण की जांच विशेष अनुसंधान दल से कराने का शनिवार को निर्णय लिया गया। अपर मुख्य सचिव (गृह एवं सूचना) अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया था कि इस सम्बन्ध में अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) का गठन किया गया है।
अवस्थी ने बताया कि अपर पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा तथा पुलिस उपमहानिरीक्षक जे रवीन्द्र गौड़ को एसआईटी का सदस्य नामित किया गया है। उन्होंने बताया कि विशेष अनुसंधान दल प्रकरण से जुड़े विभिन्न बिन्दुओं और प्रकरण की गहन जांच सुनिश्चित करते हुए 31 जुलाई, 2020 तक जांच रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेगा।
जांच के दायरे में यह बिन्दु भी रहेगा कि अभियुक्त विकास दुबे के विरूद्ध कितनी जन-शिकायतें आयीं और उन पर थानाध्यक्ष चौबेपुर द्वारा तथा जनपद के अन्य अधिकारियों द्वारा क्या जांच की गयी व पाये गये तथ्यों के आधार पर क्या कार्यवाही की गयी इसका विस्तृत परीक्षण करना।
एसआईटी यह जांच भी करेगी कि अभियुक्त विकास दुबे तथा उसके साथियों के विरुद्ध गैंगेस्टर अधिनियम, गुंडा एक्ट, एनएसए आदि अधिनियमों के अन्तर्गत क्या कार्यवाही की गयी तथा यदि कार्यवाही किये जाने में लापरवाही रही तो किस स्तर पर लापरवाही रही?
एसआईटी पता लगाएगी कि घटना के दिन क्या अभियुक्तों के पास उपलब्ध हथियारों एवं उसके फायर पावर के विषय में सूचना संकलन में लापरवाही की गयी। यह किस स्तर पर हुई, क्या थाने में इसकी समुचित जानकारी नहीं थी। एसआईटी इस तथ्य की जांच करेगी और अगर कोई दोषी है तो उसे चिन्हित करेगी।
एसआईटी यह जांच भी करेगी कि इतने अधिक अपराधों में संलिप्त रहने के बाद भी विकास और उसके साथियों का हथियार का लाइसेंस किसके द्वारा एवं कैसे दिया गया और लगातार अपराध करनें के बाद भी यह लाइसेंस और हथियार उसके पास कैसे बना रहा?
अभियुक्त विकास दुबे एवं उसके साथियों के द्वारा अवैध रूप से अर्जित सम्पत्ति, व्यापारों एवं आर्थिक गतिविधियों का परीक्षण करते हुए उनके संबंध में युक्तियुक्त अनुशंसाएं करना तथा यह भी इंगित करना कि स्थानीय पुलिस ने इस मामले में किसी प्रकार की ढिलाई, लापरवाही या संलिप्तता तो प्रदर्शित नहीं की एवं यदि ऐसा हुआ है, तो किस स्तर के अधिकारी दोषी हैं। यह सब पहलू एसआईटी की जांच में शामिल होंगे।
एसआईटी पता लगाएगी कि अभियुक्त विकास दुबे एवं उसके साथियों के द्वारा क्या सरकारी तथा गैर सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा किया गया है? यदि हां तो इसमें क्या अधिकारियों की भी भूमिका है तथा वे अधिकारी कौन हैं। आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी विकास उज्जैन से कानपुर लाये जाते समय शुक्रवार को मुठभेड में मारा गया था।