नई दिल्ली। केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसानों के आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप काफी विचार-विमर्श के बाद दिया जिनसे किसानों को नए अधिकार और नए अवसर मिले हैं और इन अधिकारों ने बहुत कम समय में किसानों की समस्याओं को कम करना शुरू कर दिया है।
मोदी ने अपने मासिक मन की बात कार्यक्रम में कहा, भारत में खेती और उससे जुड़ी चीजों के साथ नए आयाम जुड़ रहे हैं। बीते दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं। किसानों की वर्षों से कुछ मांगें थीं और उन्हें पूरा करने के लिए हर राजनीतिक दल ने कभी न कभी वादा किया था, लेकिन वे कभी पूरी नहीं हुईं।
प्रधानमंत्री ने कहा, संसद ने काफी विचार-विमर्श के बाद कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप दिया। इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बंधन समाप्त हुए हैं, बल्कि उन्हें नए अधिकार और अवसर भी मिले हैं। इन अधिकारों ने बहुत ही कम समय में, किसानों की परेशानियों को कम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने महाराष्ट्र के एक किसान का उदाहरण दिया जिन्होंने एक कारोबारी द्वारा वादे के मुताबिक भुगतान नहीं किए जाने पर पैसा प्राप्त करने के लिए इन कानूनों के प्रावधानों का इस्तेमाल किया।
गौरतलब है कि संसद द्वारा मॉनसून सत्र में पारित तीन कृषि विधेयकों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद कानूनों के रूप में इन्हें लागू किया जा चुका है, जिनका कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं और अनेक किसान, मुख्य रूप से पंजाब के किसान सड़कों पर उतर आए हैं। नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए बहुत से किसान उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में एक मैदान में जमा हुए हैं।
केंद्र सरकार ने किसानों से बात करने की इच्छा प्रकट करते हुए उनसे संपर्क साधा है। सरकार ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और सरकारी मंडियों की व्यवस्थाएं यथावत रहेंगी, जिन मुद्दों पर किसान संगठन चिंता व्यक्त कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी क्षेत्र में लोगों के लिए सही जानकारी रखना और अफवाहों तथा किसी भी प्रकार के संशय से दूर रहना एक बड़ी ताकत होती है।
उन्होंने खेती के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग कर रहे कुछ किसानों के उदाहरण भी प्रस्तुत किए। मन की बात में अपने करीब आधे घंटे के संबोधन में प्रधानमंत्री ने विभिन्न विषयों पर बात की। उन्होंने देशवासियों को बताया कि 1913 के आसपास वाराणसी के एक मंदिर से चुराई गई देवी अन्नपूर्णा की प्राचीन प्रतिमा को कनाडा से भारत वापस लाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की तरह ही अंतरराष्ट्रीय गिरोहों ने हमारी अनेक अमूल्य धरोहरों को लूटा है। ये गिरोह इन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत अधिक दाम में बेच देते हैं। अब न केवल उन पर कड़े प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं, बल्कि भारत ने ऐसी धरोहरों की वापसी के प्रयास भी बढ़ा दिए हैं।