मनुष्य के दैवीय गुण

न्तरात्मा या आत्मध्वनि का आदेश मनुष्य का एक दैवीय गुण है। मनुष्य की आत्मा ही उसे उचित-अनुचित, सत्य-असत्य का ज्ञान कराती है। अन्तरात्मा का आदेश मनुष्य को मिला हुआ एक दैवीय वरदान है, जो हमें सच्चाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। जैसे ही हम कोई पाप या कोई बुरा काम करने की सोचते हैं वैसे ही हमारी अन्तरात्मा हमें धिक्कारती है या कचोटती है।

अन्तरात्मा की आवाज सभी मनुष्य को सुनाई देती है। हो सकता है कि अधिक पापों अथवा बार-बार उपेक्षित होने के कारण इस पर मैल मिट्टी जम जाय और यह कुछ क्षीण हो जाय किन्तु यह रहती अवश्य है। किसी में तीव्र तो किसी में धीमी। दुष्ट, पापी व्यक्तियों में अनाचार के कारण यह मोह, स्वार्थ और हिंसा में दब जाती है। अगर हमें सांसारिक और आध्यात्मिक उन्नति चाहिए तो हमें अपनी अन्तरात्मा की आवाज को सुनना होगा और कभी उसकी अवहेलना नहीं करनी होगी। किसी भी कार्य करने से पहले अपने अन्तरात्मा की गवाही अवश्य लेनी होगी। दुनिया भर का विरोध करने पर भी अगर हम अपनी अन्तरात्मा के आदेश का पालन करेंगे तो हमें सफल होने से कोई रोक नहीं सकता। दरअसल हमारी अंतरात्मा ही हमारे लिए एक मार्गदर्शक, नियंत्रक है जो हमे हमेशा सत्य पथ के लिए प्रेरित करती है। हम जितना अपनी अंतरात्मा की आवाज को सुनते हैं, हमारे लिए उतना ही ठीक रहता ह

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