मलमास कल से, गुरु-शुक्र तारा अस्त होने से मई-जून में नहीं बजेगी शहनाई

लखनऊ। मकर संक्राति से प्रारंभ हुए विवाह के शुभ मुहुर्तों में पांच शुभ मुहूर्त थे। इस माह का आखिरी मुहूर्त 13 मार्च को है। 14 मार्च से सूर्य, मीन राशि में प्रवेश कर रहा है, इस दिन से मीन मलमास प्रारंभ होगा जो 14 अप्रैल को सूर्य के राशि बदलने पर समाप्त होगा। अशुभ माने जाने वाला मीन मलमास और होलाष्टक साथ-साथ चलेगा। साथ ही विवाह के लिए कारक माने जाने वाला गुरु तारा और शुक्र तारा अस्त होने से विवाह के लिए जून तक श्रेष्ठ मुहूर्त नहीं है। जुलाई में भी देवशयनी एकादशी तक छह मुहूर्तों में विवाह होंगे। इसके पश्चात चातुर्मास में चार माह तक फिर विवाह की शहनाइयां नहीं बजेंगी।

मीन मलमास 14 मार्च से 14 अप्रैल तक
पं. बिन्द्रेस दुबे के अनुसार इस साल 2024 में अशुभ माने जाने वाला मीन मलमास और होलाष्टक दो दिन-आगे-पीछे शुरू हो रहा है। मीन मलमास में सूर्य जब मीन राशि में प्रवेश करता है, तब सूर्य मलीन अवस्था में होता है। चूंकि सूर्य को विवाह का प्रमुख कारक ग्रह माना गया है, इसलिए मीन मलमास में विवाह संस्कार संपन्न नहीं होंगे। मीन मलमास 14 मार्च से लेकर 14 अप्रैल तक चलेगा। इस दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाएंगे। इसी तरह होली के आठ दिनों के पूर्व के काल को होलाष्टक कहा जाता है। आठ दिनों तक भक्त प्रहलाद को कठोर यातनाएं दी गई थीं। इस होलाष्टक काल को भी शुभ कार्यों के लिए उचित नहीं माना जाता। मीन मलमास प्रारंभ होने के दो दिनों पश्चात 17 मार्च से होलाष्टक काल प्रारंभ होगा जो 24 मार्च को होलिका दहन के दिन समाप्त होगा। इस तरह होलाष्टक और मीन मलमास साथ-साथ चलेगा। मीन मलमास खत्म होने तक सगाई, मुंडन, जनेऊ, गृह प्रवेश, विवाह आदि संस्कारों पर रोक लगी रहेगी।

गुरु-शुक्र तारा अस्त
सनातन धर्म के अनुरुप कोई भी शुभ कार्य विशेष मुहूर्तों में ही संपन्न करने की परंपरा चली आ रही है। ज्योतिष शास्त्र में विवाह के लिए कुंडली मिलान और ग्रह नक्षत्रों की सही स्थिति को देखा जाता है। मुहूर्त विशेष में विवाह करने से देवी-देवता, नवग्रहों का आशीर्वाद मिलता है। विवाह के लिए गुरु और शुक्र तारा का आकाश में उदित होना जरूरी है। यदि ये दोनों तारा, ग्रह अस्त हों तो विवाह नहीं किया जाता।
14 अप्रैल को मीन मलमास समाप्त होगा। इसके पश्चात चार मुहूर्त हैं। 23 अप्रैल को शुक्र तारा अस्त हो जाएगा, जो 29 जून को उदय होगा। इसी बीच 6 मई को गुरु तारा भी अस्त हो जाएगा, जो 2 जून को उदित होगा। इन दोनों ग्रह के अस्त होने से 23 अप्रैल से लेकर 30 जून तक विवाह के लिए एक भी श्रेष्ठ मुहूर्त नहीं है।

देवशयनी से देवउठनी तक मुहूर्त नहीं
जुलाई में भी मात्र 5 मुहूर्त में फेरे लिए जा सकेंगे। इसके पश्चात 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी से 16 नवंबर तक चातुर्मास लगने से शुभ कार्य नहीं किए जाएंगे। देवउठनी एकादशी के बाद नवंबर में पांच और दिसंबर में खरमास शुरू होने से पहले 6 मुहूर्त हैं।

विवाह के मुहूर्त
मार्च-4, 5, 6, 11 और 13
अप्रैल -18, 19, 20 और 21
मई-मुहूर्त नहीं
जून-मुहूर्त नहीं
जुलाई -9, 11, 12, 13 और 15
अगस्त-कोई मुहूर्त नहीं
सितंबर-कोई मुहूर्त नहीं
अक्टूबर-कोई मुहूर्त नहीं
नवंबर -17, 22, 23, 24 और 25
दिसंबर-2, 3, 4, 10, 13, 15

RELATED ARTICLES

श्री काशी विश्वनाथ धाम में श्रावण मास का भव्य शुभारंभ, बाबा के अद्भुत श्रृंगार का करें दर्शन

वाराणसी। श्रावण मास के पहले दिन का शुभारंभ शुक्रवार सुबह श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में मंगला आरती के साथ अत्यंत भव्यता और भक्तिभाव से...

सावन की भक्ति में डूबा देश, काशी, हरिद्वार और प्रयागराज में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

वाराणसी/प्रयागराज/हरिद्वार।पवित्र सावन माह की शुरुआत होते ही पूरे देश में शिवभक्ति का उल्लास उमड़ पड़ा है। वाराणसी, हरिद्वार और प्रयागराज जैसे पावन तीर्थ स्थलों...

विकट संकष्टी चतुर्थी कल, बप्पा की होगी पूजा

गणेश जी की पूजा करने से मानसिक तनाव दूर होता हैलखनऊ। विकट संकष्टी चतुर्थी हर साल वैशाख महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि...

Latest Articles