लखनऊ। लक्ष्य न ओझल होने पाये, कदम मिलाकर चल, मंजिल तेरे पग चूमेगी, आज नहीं तो कल…। यह कविता आज उन मजदूरों पर फिट बैठ रही है जो सैकड़ों किलोमीटर चलकर अपने घर जाने की जद्दोजहद में लगे हैं। मजदूर के कदम आंधी, पानी और तेज धूप भी उनको उनके मंजिल तक जाने से नहीं रोक पा रही है। पूछताछ पर गरीबों के मुंह से एक ही बात निकलती है। दूरी है तो क्या हुआ घर पहुंच जायेंगे तो सब ठीक हो जायेगा।
यू तो मजदूरों, छात्रों व किसी को भी उनके घर भेजने की जिम्मेदारी सरकार ले रही है पर अभी भी लाखो मजदूरों का एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में जाने का सिलसिला कम होने का नाम नहीं ले रहा है। गुरूवार को कई दिन पैदल चलने के बाद लखनऊ के रास्ते गोरखपुर जाने वाले दुर्गेश का कहना है कि हम आठ दोस्त दिल्ली मजदूरी करने गये थे।
मजदूरी अभी मिली भी नहीं थी कि लॉकडाउन लग गया। अब कब लॉकडाउन खत्म होगा यह भी पता नही है। ऐसे में दिल्ली जैसे में रहना खाना मुश्किल होने लगा था जिससे हम सभी ने एक साथ पैदल घर जाने के लिए निकल पड़े। दिल्ली से गोरखपुर जाने के दौरान लखनऊ पहुंचे दुर्गेश, नगीना, संतोष, बिहारी, रमेश, रामनरेश, श्रवण, और शैलेश दो दिन खाना भी नसीब नहीं हो सका।
ऐसे में एक दोस्त थक जाता तो दूसरा उसके खाने का इंतजाम करता। रमेश ने बताया कि रास्ते में किसी ने अपने घर के बाहर भी नहीं बैठना दिया। पानी मांगने पर पता पूछते जब दिल्ली से आने की बात कहा तो लोग पानी देने के बजाय दूर हटो, दूर हटो की आवाज लगाने लगते। श्रवण ने कहा कि शहर के लोगों को दुख में नजदीक से देखने के बाद पता चला कि ये लोग गांव वालो से कैसा व्यवहार करते हैं।
गांव में ऐसा नही होता है कम से कम दरवाजे पर बैठने के बाद पानी तो पूछ ही लेते हैं। सरकार से मिलने वाली सुविधा के सवाल पर इनका कहना है कि अगर मजदूरों को उनके गांव भेज ही रहे हैं तो क्या सड़क पर चलने वाले मजदूर सरकार को नही दिखाई दे रहे हैं। एक तरफ विदेश से लोग हवाई जहाज से लाने की तैयारी है। मगर अपने ही प्रदेश मे रहने के बाद सरकार एक जिले से दूसरे जिले में नहीं भेज पा रही है। खैर, हमे किसी से कोई शिकायत नही है बस चलते रहेगें तो एक न एक दिन गोरखपुर अपने गांव पहुंच ही जायेंगे।
अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि प्रवासी कामगार, श्रमिक पैदल यात्रा कर प्रदेश में न आएं। प्रवासी कामगारों व श्रमिकों की सुरक्षित वापसी के लिए कार्य कर रही है।
संजय गोयल
उत्तर प्रदेश राहत आपदा आयुक्त