लखनऊ। महाकुंभ में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) के संस्थापक आचार्य अभय चरण भक्ति वेदांत श्रील प्रभुपाद जी को विश्वगुरु की उपाधि से अलंकृत किए जाने को इस्कॉन लखनऊ के अध्यक्ष अपरिमेय श्याम प्रभु ने ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा कि यह प्रतिष्ठित उपाधि सनातन धर्म और भक्ति आंदोलन के पुनर्जागरण में श्रील प्रभुपाद जी के अतुलनीय योगदान को प्रमाणित करता है। श्रील प्रभुपाद जी ने सम्पूर्ण विश्व में भगवद गीता और वैदिक संस्कृति का प्रचार करके लाखों लोगों को कृष्ण भक्ति से जोड़ा। उन्होंने बताया कि आज तक यह उपाधि किसी अन्य आध्यात्मिक व्यक्तित्व को नहीं दी गई है। यह उपाधि श्रील प्रभुपाद जी की असाधारण उपलब्धियों का परिचायक है।
तीन भक्ति गीतों का हुआ लोकार्पण
लखनऊ। महाकुंभ के पावन अवसर पर जूना अखाड़ा के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर अवधेशानंद महाराज ने अपने आश्रम में तीन भक्ति गीतों का लोकार्पण किया। इसकी रचना नगरीय विकास अभिकरण (सूडा) के निदेशक डा. अनिल कुमार पाठक ने की है। निर्देशन डा. दुर्गेश पाठक द्वारा किया गया है। इसे कैलाश खेर, अनूप जलोटा और शान के स्वर से सजाया गया है। तीर्थराज अति पावन। गंगा सहचरि कालिंदी संग होता अनुपम संगम। प्रकटित ब्रह्म कमण्डल से तू, ब्रह्म स्वरूपणि धाता। विष्णु चरण की शोभामणि हो मुक्तिदायिनी माता और तीसरा बारंबार प्रणाम मैया, बारंबार प्रणाम ’ पिता सूर्य और छाया माता शनि, यम तेरे भाई। गीत है।