सुखों को भोगता हुआ अंत में वैकुंठ को प्राप्त होता है
लखनऊ। हिंदू धर्म में भगवान श्री विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष में पड़ने वाली एकादशी व्रत का विधान है. यही एकादशी जब आश्विन मास के कृष्णपक्ष में पड़ती है तो वह इंदिरा एकादशी कहलाती है। हिंदू मान्यता के अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत करने पर व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और वह सभी सुखों को भोगता हुआ अंत में वैकुंठ को प्राप्त होता है। पंचांग के अनुसार आश्विन मास की एकादशी तिथि सितंबर महीने की 17 तारीख को पूर्वाह्न 12:21 बजे से प्रारंभ होकर 17 सितंबर 2025 की तारीख को ही रात्रि 11:39 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि को आधार मानते हुए इंदिरा एकादशी का व्रत 17 सितंबर को करना उचित रहेगा, जबकि इस व्रत के लिए बेहद जरूरी माना जाने वाला पारण 18 सितंबर को सुबह 06:07 से लेकर 08:34 बजे के बीच किया जा सकेगा।
इंदिरा एकादशी व्रत की कथा
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को इंदिरा एकादशी की कथा सुनाते हुए इसके महत्व को बताया है, जिसके अनुसार सतयुग में एक महिष्मती नाम की नगरी में राजा इन्द्रसेन का राज्य था। वह अत्यंत ही धर्मनिष्ठ था। एक दिन उनके पास नारद मुनि आए और उन्हें बताया कि हे राजन आपके पिता एकादशी व्रत के टूट जाने से जो पाप लगा, उसके चलते यमलोक में हैं और अगर आप इंदिरा एकादशी व्रत को विधि-विधान से करके उसका पुण्यफल पिता को अर्पित कर देते हैं तो उन्हें मुक्ति मिल जाएगाी। इसके बाद नारद मुनि द्वारा बताए गये नियम को अपनाते हुए इंद्रसेन ने इस व्रत को किया और उनके पिता को वैकुंठ लोक प्राप्त हुआ।
इंदिरा एकादशी की पूजा विधि
भगवान श्री विष्णु की कृपा पाने के लिए इस दिन तन-मन से पवित्र होकर सबसे पहले इस व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहन कर सूर्य नारायण को अर्घ्य दें और उसके बाद सप्त ऋषियों को जल देने के बाद अपने पितरों को जल दें। इसके बाद अपने पूजा घर में भगवान श्री विष्णु के चित्र या प्रतिमा की पीले पुष्प और चंदन अर्पित करें। इसके बाद श्री हरि को पंजीरी, पंचामृत आदि का भोग लगाएं और धूप-दीप जलाकर इंदिरा एकादशी व्रत की कथा करें. पूजा के अंत में श्री हरि की आरती अवश्य करें. भगवान विष्णु के इस व्रत को विधि-विधान से करने के बाद अगले दिन शुभ मुहूर्त में इसका पारण करें।