नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मंगलवार को कहा कि भारत, नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के मामले में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है और इसकी क्षमता 257 गीगावाट है जो 2014 के 81 गीगावाट से तीन गुना अधिक है। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन सभा के 8वें सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि भारत की सौर क्षमता 2014 में 2.8 गीगावाट से बढ़कर आज 128 गीगावाट हो गई है।
उन्होंने कहा,भारत अब नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के मामले में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है। नवीकरणीय ऊर्जा 2014 की 81 गीगावाट से बढ़कर आज 257 गीगावाट है। जोशी ने बताया कि सौर मॉड्यूल निर्माण क्षमता 2014 में दो गीगावाट से बढ़कर वर्तमान में 110 गीगावाट हो गई है। इसी तरह सौर सेल निर्माण भी शून्य से बढ़कर 27 गीगावाट हो गया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व मेंभारत ने गैर-जीवाश्म स्रोतों से 50 प्रतिशत क्षमता के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान लक्ष्य को समय सीमा से पांच वर्ष पहले ही हासिल कर लिया।मंत्री ने कहा कि भारत के नवीकरणीय ऊर्जा शुल्क, चाहे वह सौर ऊर्जा हो, सोलर-प्लस-बैटरी हो या हरित अमोनिया हो, विश्व स्तर पर सबसे कम हैं।
यह स्वच्छ ऊर्जा को किफायती बनाने के लिए गति और कौशल को संयोजित करने की देश की क्षमता को दर्शाता है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने भारत के दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा बाजार बनने का अनुमान लगाया है।जोशी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी भारत को ऊर्जा परिवर्तन की एक महाशक्ति मानती है।
जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक में भी भारत शीर्ष प्रदर्शन करने वाले देशों में बना हुआ है। उन्होंने कहा कि वास्तव में जी-20 देशों में भारत एकमात्र ऐसा देश है, जिसने 2030 के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को 2021 में ही हासिल कर लिया है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा, हम जलवायु परिवर्तन को कम करने के वैश्विक प्रयासों में लगातार अग्रणी बने रहे हैं।
बिजली उत्पादन क्षमता में वृद्धि के मामले में भारत पिछले पांच वर्ष में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे कम प्रति व्यक्ति उत्सर्जन और सबसे कम प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत वाले देशों में से एक होने के नाते स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता वास्तव में उल्लेखनीय है।
मंत्री ने उल्लेख किया कि वैश्विक सौर ऊर्जा अब।,600 गीगावाट से अधिक हो गई है और कुल नवीकरणीय उत्पादन का करीब 40 प्रतिशत है। उन्होंने कहा,फिर भी प्रगति असमान बनी हुई है। उप-सहारा अफ्रीका और छोटे द्वीपीय देशों में लाखों लोग अब भी निरंतर बिजली आपूर्ति के बिना जी रहे हैं। इस खाई को पाटने के लिए सामूहिक महत्वाकांक्षा एवं समान वित्त की आवश्यकता है।
जोशी ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के सभी साझेदारों को इस मिशन में शामिल होने, ऊर्जा प्रदान करने और एक नई वैश्विक ऊर्जा व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए आमंत्रित करता है। भारत, समूचे अफ्रीका में मिनी-ग्रिड और वितरित नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश को समर्थन देने के लिए अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के अंतर्गत अफ्रीका सौर सुविधा में 2.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर के योगदान पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह ग्लोबल साउथ में समान वृद्धि में हमारे विश्वास को दर्शाता है। ग्लोबल साउथ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।





