लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में दलित समुदाय की एक युवती के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म और मौत मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 10 दिन का और समय दिया गया है। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने बुधवार को बताया कि एसआईटी को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 10 दिन का और समय दिया गया है।
अतिरिक्त समय दिए जाने की वजह के बारे में पूछे जाने पर अवस्थी ने बताया ‘इसका एक ही कारण है, वह यह कि अभी जांच पूरी नहीं हो पाई है।’ गौरतलब है कि हाथरस में एक दलित लड़की से कथित रूप से सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी मौत के मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने 30 सितंबर को एसआईटी का गठन किया था। उस वक्त उसे अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए सात दिन का समय दिया गया था। यह अवधि आज समाप्त हो रही है।
राज्य सरकार हाथरस मामले में अंतरराष्ट्रीय साजिश का दावा कर रही है। पुलिस का कहना है कि सरकार को बदनाम करने के लिए यह षड्यंत्र रचा गया है। इस मामले में करीब डेढ़ दर्जन मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं। हाथरस में 14 सितम्बर को 19 साल की एक दलित लड़की से कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया गया था। इस दौरान उसके साथ मारपीट भी की गई थी।
लड़की को पहले अलीगढ़ के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां से तबीयत खराब होने पर उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दाखिल कराया गया था, जहां इलाज के दौरान 29 सितम्बर को उसकी मौत हो गई थी। हालांकि अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से दावा किया कि लड़की के साथ बलात्कार नहीं हुआ है।
लड़की के शव का 29/30 सितम्बर की दरम्यानी रात को अंतिम संस्कार किया गया था। परिजन का आरोप है कि पुलिस ने शव को जबरन पेट्रोल डालकर जलाया था, जबकि पुलिस का दावा है कि परिजन की रजामंदी से ही अंतिम संस्कार किया गया था। बहरहाल, हाथरस मामले को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां खासी तेज हैं। इस मुद्दे को लेकर तमाम विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा है। राज्य सरकार ने इसकी सीबीआई जांच की भी सिफारिश की है।