श्रद्धा व सत्कार से मना गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाश पर्व

लखनऊ। सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर साहिब का प्रकाश पर्व मंगलवार को शहर भर के गुरुद्वारों में श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान गुरुद्वारों में विशेष दीवान सजाया गया। कार्यक्रम समापन के बाद भक्तों में गुरु का लंगर वितरित किया गया। सभी ने गुरु के दीवान के सामने सिर झुकाकर गुरु का आशीष लिया। कार्यक्रम की शुरूआत आसा दी वार कीर्तन के साथ हुई। कार्यक्रम के अंत में सभी के बीच गुरु का प्रसाद वितरित किया गया।

नाका गुरुद्वारे में प्रकाश पर्व पर सजा दीवान:
सिखों के नवें गुरु साहिब श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी का प्रकाश पर्व जन्मदिवस मंगलवार को श्री गुरू सिंह सभाए ऐतिहासिक गुरूद्वारा नाका हिंडोला में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया। प्रकाशोत्सव के विशेष दीवान मैं रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह ने अपनी मधुरवाणी में नाम सिमरन एवं शबद कीर्तन तेग बहादुर सिमरिअ‍ै घर नौ निध आवै धाइ।। सभ थाई होए सहाइ।। गायन कर समूह साध संगत को निहाल किया। ज्ञानी सुखदेव सिंह ने साहिब गुरु तेग बहादुर साहिब जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आप का जन्म आज ही के दिन अमृतसर में हुआ था। आप के पिता जी का नाम गुरु हरिगोबिन्द साहिब जी एवं माता जी का नाम नानकी जी था। बचपन से ही आप संत स्वरुप गहरे विचारवान निर्भय व त्यागी स्वभाव के थे। आपके स्वभाव के अनुरुप आपका नाम त्यागमल रखा गया अपने पास जो भी चीज हो लोगों को नि:संकोच दे देनी। एक बार अमृतसर के यु़द्ध में हाथ में तलवार पकड़कर दुश्मनों का मुकाबला किया और तलवार के खूब करतब दिखाये। तब गुरु हरिगोबिन्द जी ने अपने लाडले पुत्र को कहा कि तुम तो तलवार चलाने मे बडे़ निपुण हो पंजाबी भाषा में तलवार को तेग के नाम से जाना जाता है। तब से आपका नाम त्यागमल से तेग बहादुर रख दिया। अमृतसर की लड़ाई के बाद आपका मन बैराग से भर गया। आपने लड़ाईयों मे भाग लेना छोड़ दिया और अमृतसर से कुछ दूर बाबा बकाला मे आकर भक्ति करने लगे और सिख संगतों को बैरागमयी उपदेश देकर उनके अन्दर भक्ति भावना पैदा करते थे और कहते थे कि संसार में सब कुछ नाशवान है। प्रभु का नाम ही मनुष्य के साथ जाता है। आपका श्लोक है जो उपजियो सो बिनस है परो आज के काल, नानक हर गुण गाये ले छाड सगल जंजाल।। कार्यक्रम का संचालन स. सतपाल सिंह मीत ने किया। दीवान की समाप्ति के पश्चात लखनऊ गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष स. राजेन्द्र सिंह बग्गा ने आई साध संगत को साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी के प्रकाश पर्व प्रकाशोत्सव की बधाई दी। तत्पश्चात गुरु का लंगर दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों द्वारा श्रधालुओं में वितरित किया गया।

फूलों से सजायी गयी चौकी:
शबद चौकी के बाद फूलों के साथ सजाए गये दीवान हाल में श्री गुरुग्रंथ साहिब का प्रकाश किया गया। अखंड पाठ साहिब के पाठ की समाप्ति के बाद रागी जत्थे ने अपनी मधुर बाणी में शबद कीर्तन गायन कर समूह संगत को निहाल किया। कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा ने प्रकाश पर्व की बधाई दी। दीवान की समाप्ति के बाद गुरु का लंगर समूह संगत में वितरित किया गया।

सदर गुरुद्वारा:
तेग बहादुर सिमरिऐ, घर नउ आवै धाइ: सदर गुरुद्वारे में प्रकाश पर्व को समर्पित सुबह का विशेष दीवान सजा। हजूरी रागी नवनीत सिंह ने तेग बहादुर सिमरिऐ, घर नउ आवै धाइ शबद गायन कर संगत में गुरु भक्ति का संचार किया। ज्ञानी हरविंदर सिंह ने गुरु के जीवन से अवगत कराते हुए बताया कि गुरु जी का जन्म 1621 में अमृतसर में हुआ था। वह अपने त्याग, शौर्य और बलिदान के कारण विख्यात हुए। गुरुद्वारे के अध्यक्ष हरपाल सिंह जग्गी ने सभी को गुरु पर्व की बधाई दी। गुरु का प्रसाद लंगर भी वितरित किया गया।

श्री गुरु ग्रंथ साहिब पर हुई गुलाब के फूलों से वर्षा


लखनऊ। सिखों के नवम गुरु, महान तपस्वी और धर्म रक्षक साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज का प्रकाश उत्सव ऐतिहासिक गुरुद्वारा यहियागंज में बड़े ही श्रद्धा एवं भव्यता के साथ मनाया गया।
इस पावन अवसर पर गुरुद्वारा हॉल को सुंदर फूलों से सजाया गया प्रात: 7:30 बजे श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के ऊपर गुलाब के फूलों से फूलों की वर्षा हुई। प्रात: से देर रात्रि मिष्ठान प्रसाद एवं गुरु का लंगर वितरित किया गया और पंचवानियों के नितनेम एवं सुखमणि साहिब के पाठ से दीवान की शुरूआत हुई। कार्यक्रम की शुरूआत ज्ञानी परमजीत सिंह जी द्वारा श्री अखंड पाठ साहिब की समाप्ति और अरदास के साथ हुई। इसके बाद अमृतसर से पधारे भाई सुखजीत सिंह जी, हजूरी रागी श्री दरबार साहिब ने आसा की वार का भावपूर्ण कीर्तन कर संगत को भावविभोर कर दिया। भाई करनैल सिंह जी ने भी आसा की वार का मधुर कीर्तन प्रस्तुत किया। ज्ञानी जगजीत सिंह जी ने गुरु तेग बहादुर जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वे सिखों के छठे गुरु, श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी के पांचवें पुत्र थे। उन्होंने मात्र 13 वर्ष की आयु में मुगलों के विरुद्ध युद्ध में भाग लिया और उनकी वीरता देखकर गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने उन्हें ‘तेग बहादुर’ की उपाधि दी। कार्यक्रम में रागी भाई राजेंद्र सिंह जी, ज्ञानी किशन सिंह जी और शिरोमणि रागी का सम्मान प्राप्त भाई रविंदर सिंह जी ने गुरबाणी कीर्तन द्वारा संगत को मंत्रमुग्ध किया।समापन पर ज्ञानी परमजीत सिंह जी एवं डॉ. गुरमीत सिंह जी ने सेवा में लगे सभी सेवादारों को सिरोपे प्रदान कर सम्मानित किया। गुरुद्वारा महासचिव परमजीत सिंह द्वारा समुचित लंगर व्यवस्था की गई, जिसमें अनेक प्रकार के व्यंजन व बच्चों के लिए गोलगप्पों की विशेष व्यवस्था रही।कार्यक्रम में अमरजोत सिंह, गुलशन जौहर, दिलजीत सिंह, रणजीत सिंह, जसप्रीत सिंह एवं अमनप्रीत सिंह ने महत्वपूर्ण सेवाएं निभाईं। गुरद्वारा सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया कि डॉ गुरमीत सिंह के संयोजन मे प्रात: 5 बजे से देर रात तक विशेष रूप से श्री दरबार साहब श्री अमृतसर से आए भाई सुखजीत सिंह एवं भाई रविंदर सिंह कथा वाचक ज्ञानी किशन सिंह जी ने कथा एवं कीर्तन से संगत को निहाल किया।

शबद कीर्तन सुन संगत हुई निहाल


लखनऊ। धन-धन साहिब श्री गुरू तेग बहादर जी महाराज के 404वां प्रकाश पर्व के अवसर पर श्री अखण्ड पाठ साहिब की आरम्भता गुरूद्वारा मानसरोवर में हुई, जिसकी समाप्ति आज हुई। शुक्रवार को कीरतन दिवान सजा। इस शुभ अवसर पर भाई गुरबचन सिंह जी दरबार साहब वाले, भाई दिलीप सिंह जी पटियाला वाले, भाई लवप्रीत सिंह जोश जी (ढाडी जत्था) अमृतसर वाले, ज्ञानी परमजीत सिंह जी, हजूरी रागी गुरमुख सिंह जी, गुरूद्वारा मानसरोवर वाले ने सभी साध संगतों को गुरवाणी, कीरतन, कथा से निहाल किया। इस अवसर पर गुरुद्वारा साहिब को फूलों, लाइटों एवं गुब्बारों से सजाया गया। विशेष समागम गुरूद्वारा मानसरोवर में धूमधाम से मनाया गया। बाहर से आये रागी जत्थे संगतों को कथा, शबद कीरतन से निहाल किया। जिसमे भाई गुरबचन सिंह जी दरबार साहब वालों ने हरि जसु रे मना गाइ लै जो संगी है तेरो। भाई दिलीप सिंह जी पटियाला वालों ने -प्रीतम जानि लेहु मन माही।
भाई लवप्रीत सिंह जोश जी (ढाडी जत्था) अमृतसर वालों ने गुरू तेग बहादर महाराज जी के प्रसंग सुनाकर संगतो को निहाल किया। ज्ञानी परमजीत सिंह ने गुरू जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि श्री गुरू तेग बहादर जी ने हिन्दू धर्म के तिलक और जनेऊ की रक्षा की, उन्होंने दिल्ली चाँदनी चौक में हिन्दू धर्म बचाने के वास्ते अपना बलिदान दिया। सन् 1621 अमृतसर गुरु के महल में गुरु हरगोबिन्द साहेब अते माता नानकी जी के घर आप जी का पावन प्रकाश हुआ। अंत में मुख्य सेवादार सरदार सम्पूरन सिंह बग्गा ने उग्राही सेवा के सदस्यों को गुरू घर का सरोपा देकर सम्मानित किया एवं सभी साध संगतो को गुरू पर्व की बधाई दी। इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के सभी सदस्य इकबाल सिंह, सुरेन्दर सिंह बग्गा, देवेन्दर पाल सिंह, चरनजीत सिंह छाबड़ा, परमजीत सिंह छाबड़ा, गगनदीप सिंह बग्गा, परमजीत सिंह चन्दर तथा गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के सारे मेम्बर मौजूद रहें।

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