लखनऊ। सपा मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यह दु:ख और क्षोभ का विषय है कि जहां एक ओर स्वयंसेवी संगठन और पार्टी के कार्यकर्ता अपने साधनों से जरूरतमंदों को राशन और भोजन उपलब्ध करा रहे हैं वहीं सरकारी कोटेदार गरीबों के राशन पर डाका डालने से नहीं चूक रहे हैं। राशन वितरण में लगातार अनियमितताएं बरती जाने की शिकायतें आ रही है। सरकारी तंत्र पीडीएस के मामलों में ‘घोटाला’ राजनीति ही चला रहा है इसमें उसके अपने स्वार्थ हैं।
उन्होंने कहा है कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते लोगों की जिंदगी ठहर गई है। यह समय जनता की भूख और धैर्य की परीक्षा लेने का भी नहीं है। उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) कामयाब नहीं है। इसमें लगातार उजागर हो रहे प्रदेशव्यापी गड़बड़झाले का संज्ञान लेकर सरकार को इसे रोकना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण लॉकडाउन का अनेक डरावने पक्ष हैं। आगरा के थाना हरीपर्वत के सामने दो दिन पूर्व एक दम्पत्ति राशन खत्म होने पर भूख से लड़ते-लड़ते जब हार गये तो दोनों पति-पत्नी अपना खून बेचकर भोजन की व्यवस्था करने निकले तो पुलिस रोक कर पूछा कि लॉकडाउन क्यों तोड़ा? उनकी हृदय विदारक व्यथा सुनकर पुलिस भी सन्न रह गयी। मेरठ में 17 अप्रैल को राशन के चावल में ईंट-पत्थर और मिट्टी थी। मेरठ में 929 सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों की तरह ही प्रदेश की यही स्थिति है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बदायूं में राशन लेने गई एक महिला तीन घंटे तक धूप में लाइन में खड़ी रही, वहीं उसकी मौत हो गई। यह दु:खदायी घटना है। अव्यवस्था और भूख से हारी जिंदगी। सरकार कब तक गरीबों की मौत का तमाशा देखती रहेगी? राशनकार्ड धारकों को ही जब निर्धारित राशन नहीं मिल पा रहा है तो उन गरीबों, जरूरतमंदों को कौन पूछेगा जिनके पास अपने राशनकार्ड या आधारकार्ड नहीं है।