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आरोग्य, धन, समृद्धि और वैभव का प्रतीक धनतेरस आज

लखनऊ। हिंदू धर्म में दिवाली या दीपावली को सुख-समृद्धि और खुशहाली का त्योहार माना जाता है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा का विधान है। हर साल दिवाली के जश्न की शुरूआत धनतेरस से होती है। इस दिन धन्वंतरि देव, कुबेर देवता और मां लक्ष्मी की पूजा.अर्चना की जाती है। इसके साथ ही धनतेरस के दिन कई चीजों की खरीदारी को बेहद शुभ माना गया है। मान्यता है कि इन वस्तुओं की खरीदारी से घर के सदस्यों पर सालभर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और धन की तंगी का कभी भी सामना नहीं करना पड़ता है। हर साल कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल 18 अक्टूबर को धनतेरस है। धनतेरस जिसे ‘धन त्रयोदशी’ के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस का नाम ‘धन’ और ‘तेरस’ से बना है, जिसमें धन का मतलब संपत्ति और समृद्धि है और तेरस का अर्थ हिंदू कैलेंडर की 13वीं तिथि है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, साथ ही यह दिन कुबेर और लक्ष्मी माता की पूजा के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

पूजा का शुभ मुहूर्त
धनतेरस पर शाम के समय भगवान धनवतंरी, कुबेर महाराज और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। इस साल धनतेरस पर पूजा का शुभ मुहूर्त 18 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 11 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 22 मिनट तक रहने वाला है. यानी पूजा के लिए लोगों को करीब 2 घंटे 12 मिनट का समय मिलने वाला है।

सोने की खरीददारी का शुभ मुहूर्त

धनतेरस के दिन सोना खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन स्वर्ण की खरीदारी के लिए सबसे बेहतर समय यानी अमृत काल प्रात:काल 08:50 बजे से 10:33 बजे तक रहता है। इस दौरान सोना खरीदने से धन की वृद्धि होती है और घर में समृद्धि बनी रहती है।

धनतेरस पर चौघड़िया मुहूर्त
दिन का चौघड़िया
शुभ काल: सुबह 07:49 बजे से 09:15 बजे तक
लाभ काल: दोपहर 01:32 बजे से 02:57 बजे तक
अमृत काल: दोपहर 02:57 बजे से शाम 04:23 बजे तक
चर काल: दोपहर 12:06 बजे से 01:32 बजे तक

रात्रिकाल का चौघड़िया
शुभ काल: शाम 08:57 बजे से रात 10:32 बजे तक
लाभ काल: शाम 05:48 बजे से 07:23 बजे तक
अमृत काल: रात 10:32 बजे से अगले दिन 19 अक्तूबर 2025 की सुबह 00:06 बजे तक
चर काल: सुबह 12:06 बजे से 01:41 बजे तक

धनतेरस का महत्व:
धनतेरस का पर्व प्रदोष व्यापिनी तिथि में मनाने का विधान है। इस दिन परिवार में आरोग्यता के लिए घर के मुख्य दरवाजे पर यमदेव देवता का ध्यान करके दक्षिण दिशा पर दीपक स्थापित करना चाहिए। इस दिन प्रदोष काल में ‘ॐ नमो भगवते धन्वंतराय विष्णुरूपाय नमो नम:। मंत्र से षोडशोपचार विधि द्वारा पूजन अर्चन करना चाहिए जिसके फलस्वरूप परिवार में दीघार्यु और आरोग्यता बनी रहती है। शास्त्र भी कहते हैं कि ‘शरीर माध्यम खलु धर्म साधनम्’ अर्थात- धर्म का साधन भी निरोगी शरीर ही है, तभी आरोग्य रुपी धन के लिए ही भगवान धन्वन्तरि की पूजा आराधना की जाती है। ऐसा माना जाता है की इस दिन की आराधना प्राणियों को वर्षपर्यंत निरोगी रखती है।

धनतेरस पूजन विधि:
धनतेरस की शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा के समय घी का दीपक जलाएं। कुबेर को सफेद मिठाई और भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई चढ़ाएं। पूजा करते समय कुबेर मंत्र का जाप करना चाहिए। फिर धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करना चाहिए। माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को भोग लगाएं और फूल चढ़ाना चाहिए। धनतरेस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। शास्त्रों में वर्णित है की कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी की रात यम देवता का पूजन कर दक्षिण दिशा की ओर भेंट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इसलिए इस दिन घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखा जाता है।

ग्राहकों के स्वागत के लिए सर्राफा व बर्तन बाजार तैयार
लखनऊ। धन त्रयोदशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है और इस वर्ष 18 अक्टूबर को धनतेरस मनाई जाएगी। इसके लिए बाजार पूरी तरह से तैयार है।
दीप पर्व पर चाहे जितनी भी खरीदारी की जाए, जब तक बर्तन खरीदा न जाए पूजा विधि अधूरी ही समझी जाती है। कारोबारियों ने भी खूब तैयारियां कर रखी हैं, चाहे यहियागंज बाजार हो या फिर शहर के प्रमुख बाजारों.मॉल में स्थित प्रतिष्ठान, ग्राहकों को लुभाने के लिए कुछ न कुछ नया जरूर मंगाया है। कारोबारियों का कहना है कि स्टील के बर्तन तो शगुन करने को खरीदे जाएंगे ही, जर्मन सिल्वर व पीपल के बर्तनों की जबरदस्त मांग को देखते हुए डिजाइनर बर्तनों की विशेष रेंज निकाली है। कारोबार में 20 फीसदी तक वृद्धि के आसार जताए जा रहे हैं।

चमक और नक्काशी लाजवाब:
शहर में बर्तनों के प्रतिष्ठानों में स्टील के साथ-साथ कांसे और पीतल के बर्तनों की चमक अलग ही नजर आ रही है। कारोबारी अर्पित अग्रवाल कहते हैं कि लग्जरी ब्रास के बर्तनों का विशाल संग्रह देखने को मिलेगा। इसी को टक्कर दे रहा है सोने सी चमक वाली नैवैद्यम श्रेणी के बर्तन। निश्चित तौर पर जिसे भी इसमें खाना परोसा जाएगा, वो इसकी खूबसूरत नक्काशी से प्रभावित हुए भी नही रह सकता। रसोई में इस्तेमाल होने वाले हर बर्तन इस धातु में हैं। कारोबारियों का कहना है कि उच्च वर्ग इसे देखता है, पसंद करता है, और क्रॉकरी खरीद कर ले जाता है, जबकि उच्च मध्यम वर्ग में धातु वाले बर्तन बहुत पसंद किए जा रहे हैं। मॉल व सुपर स्टोर जैसी दुकानों में भी ब्रांडेड क्रॉकरी और नॉनस्टिक बर्तनों के बीच ब्रास के बर्तनों ने जगह बना ली है।

कीमत 500 रुपये से 24000 तक:
पीतल के डिजाइनर श्रेणी के बर्तनों की कीमत 500 रुपये से शुरू होकर डिनरसेट की 24000 हजार रुपये तक है। इसी तरह कढ़ाई 2850 से 5500 रुपये तक में उपलब्ध है।

सोने-चांदी की खरीदारी खास डिसकाउंट
सोने की अंगूठी और गले का हार, चांदी की बिछिया या फिर पायल या चांदी के सिक्के और चांदी के नोट पर अगर आपको धनतेरस के दिन बंपर डिस्काउंट मिले तो यकीनन आप इस दिन बर्तन ना खरीद कर सोना.चांदी खरीदना पसंद करेंगे। इस साल धनतेरस पर उत्तर प्रदेश के सबसे बड़ा सरार्फा बाजार यानी लखनऊ का चौक सरार्फा बाजार में बंपर डिस्काउंट मिलेगा। यहां पर आने वाले ग्राहकों को सोने-चांदी की खरीदारी करने पर उन्हें अच्छा डिस्काउंट भी मिलेगा और तो और कई सरार्फा व्यापारी इस दिन उनके शोरूम पर आने वाले ग्राहकों को खरीदारी करने पर उनके लिए मुफ्त गिफ्ट भी तैयार कर चुके हैं, यानी सोना चांदी खरीदने के साथ ही आपको मिलेगा एक मुफ्त गिफ्ट। चौक सरार्फा बाजार होलसेल का बाजार है इसीलिए यहां पर सोना और चांदी दूसरे बाजारों के मुकाबले बहुत सस्ता मिलता है।

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