प्रदेश में कोरोना के मामले होली से पहले आने लगे थे और इसी कारण महामारी से निपटने के लिए तैयारियों के साथ सावधानी भी शुरू हो गयी थी। मॉल, स्कूल, सिनेमा हाल जैसे प्रतिष्ठान 20 मार्च तक बंद किये जाने लगे थे और 22 मार्च को जब प्रधानमंत्री के आह्वान पर जनता कर्फ्यू लागू किया गया था तो उसके अगले ही दिन राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के सोलह जनपदों को लॉकडाउन कर दिया गया।
25 मार्च को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन शुरू हुआ और तब से प्रदेश के सरकारी दफ्तर, स्कूल, कारोबार, निर्माण सब बंद है। लॉकडाउन को करीब सवा महीने होने वाले हैं और हर दिन कोरोना फैल रहा है। इतने दिनों बाद भी हर दिन सौ या इससे अधिक मामले आना चिंता का विषय है। अगर लॉकडाउन ठीक से लागू होता और प्रदेशवासी ईमानदारी से इसका पालन करते तो अब तक कोरोना की कड़ियां टूटने लगती।
लेकिन जिस तरह लॉकडाउन का उल्लंघन हो रहा है, शहरों की गलियों में शाम होते ही जमावड़ा करते हैं, सब्जी, किराना की दुकानों पर लोग लॉकडाउन की मर्यादा तोड़ते हैं, चोरी छिपे एकत्रित होकर बीमारी को बढ़ने का मौका दे रहे हैं उसके कारण कोरोना लगातार फैल रहा है। कोरोना से जंग जीतने की लिए लंबी लड़ाई नहीं बल्कि तीन सप्ताह का ठोस प्रयास ही पर्याप्त है। प्रदेश में 22 मार्च से महाबंदी चल रही है, इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ठीक से पालन हुआ होता तो सारे केस तीन सप्ताह में सामने आ जाते और अब तक नये मामलों की संख्या काफी घट गयी होती।
हालांकि तब्लीगी जमात की घटना ने लड़ाई को जटिल बनाया है, लेकिन अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक जमात के सभी लोगों को कोरेन्टाइन कर लिया गया होता और लॉक डाउन का ठीक से पालन होता तो अपै्रल के आखिरी सप्ताह में मामले बहुत घट जाते। लेकिन जिस तरह से हर दिन सौ या इससे अधिक मामले सामने आ रहे हैं। लखनऊ, कानपुर, आगरा, नोएडा, मेरठ जैसे शहर कोरोना के हॉटस्पॉट बने हुए हैं और बीमारी शहरों से पसरती हुई जिलों तक फैल रही है उससे स्पष्ट है कि कहीं न कहीं लोग लॉकडाउन का ठीक से पालन नहीं कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना से निपटने के लिए पूरी ताकत से लड़ रही है। चिकित्सा, जांच के साथ बड़ी संख्या में लोगों को कोरोन्टाइन किया है। मजदूरों को राहत दे रही है, श्रमिकों को बुलाकर उन्हें काम देने की कोशिश कर रही है, लेकिन इसके बावजूद जिस तरह कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं वह चिंता का विषय है। कोरोना से जंग अकेले सरकार नहीं लड़ सकती है। इसके लिए सामाजिक भागीदारी और व्यापक जन सहयोग की जरूरत है।
हर जगह पुलिस भेजकर लॉकडाउन का पालन नहीं कराया जा सकता है बल्कि जनता खुद वॉलंटियर बनकर अपने लॉकडाउन का पालन करे। अगर लॉकडाउन का पालन तीन सप्ताह ठीक से हो जाये, लोग सुरक्षा के उपाय और शरीरिक दूरी बनाये रखें तो कोरोना की कड़ियां टूट सकती हैं, लेकिन हम कोरोना से लड़ने में जितनी लापरवाही करेंगे, हमारी लड़ाई उतनी ही लंबी होती जायेगी।