वरिष्ठ संवाददाता लखनऊ। केस- 1 10 साल के आयुष को हार्निया की समस्या है। पिछले सप्ताह केजीएमयू के पीडियाट्रिक विभाग की ओपीडी में दिखाया गया तो डॉक्टरों ने आपरश्न की सलाह दी लेकिन सर्जरी की तारीख 15 दिसम्बर दी गयी। बच्चे को पेट में दर्द बना हुआ है। परिजन जल्द से जल्द आपरेशन कराना चाहते हैं, पर सम्भव नहीं हो पा रहा है।
केस- 2 पांच साल की कृतिका को पेशाब करने में दिक्कत होती है। डॉक्टरों का कहना है कि आपरेशन के बाद ही यह समस्या दूर हो सकती है। परिजनों ने पीडियाट्रिक सर्जरी में डॉक्टरों से सम्पर्क किया, जहां डॉक्टरों ने दिसम्बर के पहले सप्ताह की तारीख दी।
केस- 3 तीन वर्षीय आर्यन को बहरेपन की शिकायत है। केजीएमयू की ओपीडी में दिखाया तो डॉक्टरों ने बताया कि इसके लिए आपरेशन करना पड़ेगा। अभिभावक चाहते हैं कि बच्चे का जल्द से जल्द आपेरशन हो जाये लेकिन यहां डॉक्टरों का कहना है कि 20 दिसम्बर से पहले आपेरशन करना सम्भव नहीं है।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में बीते एक माह से ऐसी ही स्थिति बनी हुई। बच्चों को इलाज की बजाय तारीख पर तारीख दी जा रही है। स्थिति यह है कि ओपीडी में दिखाने के बाद जिन बच्चों को आपरेशन की जरूरत है। उनका आपरेशन करने की बजाय उन्हें लम्बे समय के लिए दवाएं दी जा रही है।
बच्चों के इलाज में आ रही दिक्कतों के बारे में विभाग के प्रमुख प्रो. जेडी रावत का कहना है कि सर्जरी के लिए मौजूदा समय से डॉक्टरों की कमी है। जिस कारण आपरेशन करने में दिक्कत आ रही है। मौजूदा समय में दो रेजीडेंट डॉक्टर हैं, जिनका कार्यकाल अगले माह खत्म हो रहा है। ऐसे में सर्जरी करने में खासी दिक्कत आ रही है। वहीं इमरजेंसी में लगभग 3-4 सर्जरी रोज करनी पड़ रही है।
डा. रावत का कहना है कि डॉक्टरों की कमी के साथ यहां पोस्ट आॅपरेटिव वार्ड में चल रहा मरम्मत का काम चल रहा है। बीते छह माह से चल रहा काम लगभग पूरा हो गया है। 12 बेड के इस वार्ड में अभी भी एसी व आॅक्सीजन पाइनलाइन का काम अधूरा है। इस कारण आपेरशन के बाद मरीजों को इमरजेंसी में रखना पड़ रहा है। उनका कहना है कि तमाम दिक्कतों के चलते सर्जरी का कार्य सुचारू रूप से नहीं चल पा रहा है। कोशिश की जा रही कि गम्भीर बीमारी से जूझ रहे बच्चों को जल्द से जल्द आपरेशन की सुविधा मिल सके। वहीं जिन बच्चों को तुरंत आपेरशन की जरूरत नहीं है। उन्हें आगे की तारीख दी जा रही है।
‘‘डॉक्टरों की कमी के चलते ऐसी दिक्कतें आ रही हैं। कोशिश की जा रही है कि गम्भीर बीमारी से जूझ रहे बच्चों को जल्द से जल्द आपरेशन की सुविधा मिल सके। वहीं जिन बच्चों को तुरंत आपेरशन की जरूरत नहीं है। उन्हें आगे की तारीख दी जा रही है।’’