जहरीली, नकली, कच्ची या अवैध शराब का धंधा इतना व्यापक और लाभकारी है कि इस पर लगाम लगाने की तमाम कोशिशें अब तक सफल नहीं हुई हैं। हर साल जहरीली शराब से कहीं न कहीं बड़े पैमाने पर मौत का तांडव होता है। जब बड़ी घटना हो जाती है तो कुछ समय के लिए दबाव में या दिखावे में प्रशासन अवैध भट्ठियों के खिलाफ अभियान चलाता है, कच्ची या नकली शराब पकड़ने, नष्ट करने के साथ इसमें लिप्त लोगों पर कार्रवाई भी की जाती है, लेकिन कुछ दिन में ही सब ठंडा पड़ जाता है और फिर से मौत का काला कारोबार गुलजार होने लगता है।
हद तो यह है कि राजधानी लखनऊ में ही कई बार जहरीली शराब से मौतें हो चुकी हैं, लेकिन फिर भी घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। उत्तर प्रदेश जनसंख्या और आकार में बहुत बड़ा है और दूर-दराज के क्षेत्रों, कस्बों में बड़े पैमाने पर अवैध शराब का धंधा चलता ही रहता है। राजधानी लखनऊ के बंथरा थाना क्षेत्र में गत 15 नवम्बर को जहरीली शराब से हुई 7 लोगों की मौत के मामले में सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि जिस व्यक्ति ने जहरीली शराब को बेचा था वह सरकारी राशन का कोटेदार भी है।
यह एक साथ कई विभागों की लापरवाही या मिलीभगत का मामला बनता है। सबसे पहले तो यह लंबे समय तक जहरीली शराब का गोरखधंधा कैसे चलता रहा? पुलिस और आबकारी विभाग को इसका पता क्यों नहीं चला या फिर यह सब प्रशासन की सरपरस्ती में हो रहा था? यह आपूर्ति विभाग की भी बड़ी चूक है कि कैसे राशन का कोटा ऐसे व्यक्ति को मिल गया जो जहरीली शराब के धंधे में लिप्त था।
जाहिर है कि यह व्यक्ति राशन बांटने के दौरान ही लोगों से संपर्क कर उनको सस्ते में शराब देने की पेशकश करता रहा होगा और पीने वाले विशेषकर गरीब इसके झांसे में आकर जहरीली शराब पीते रहे होंगे। दिवाली के मौके पर छुट्टी थी और इस दौरान बिक्री भी ज्यादा होती है और बहुत से लोग पीते भी अधिक हैं। इसी में कोई खेप केमिकल रिएक्शन या अन्य कारणों से जहरीला हो गया होगा जिससे लोगों की मौतें हुई और पूरा मामला खुला गया।
प्रदेश सरकार ने लखनऊ एवं फिरोजाबाद में जहरीली शराब से हुई मौतों पर कार्रवाई करते हुए पुलिस एवं आबकारी विभाग के करीब एक दर्जन लोगों पर कार्रवाई की है और लखनऊ के पुलिस कमिश्नर को भी हटा दिया गया है। लेकिन ऐसी कार्रवाई पहले भी होती रही है। जरूरत है सख्त कार्रवाई की ताकि जो लोग इस धंधे में शामिल हों और जो इस काले कारोबार के संरक्षण हो उनको ठीक से सबक मिल सके। जहरीली शराब से सिर्फ मौत ही नहीं होती है बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी बहुत खतरनाक है।
इससे भी बड़ी बात यह है कि शराब के अवैध कारोबार से सरकारी राजस्व को अरबों का चूना लगाया जाता है। इस तरह जहरीली शराब के गोरखधंधे में लिप्त लोग देश का कितना नुकसान करते हैं इसको समझा जा सकता है। इस काले
कारोबार को रोकने के लिए सरकार को कठोर कार्रवाई के साथ ही सतत प्रयास भी करना होगा। निलम्बन, ट्रॉसफर जैसी रस्मी कार्रवाई से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।