नई दिल्ली: पूर्व वित्त मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का आज निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे और दिल्ली के एम्स में उनका उपचार चल रहा था। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में बतौर वित्त मंत्री अरुण जेटली का कार्यकाल कई फैसलों को लेकर याद रखा जाएगा। वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने कई ऐसे आर्थिक फैसले लिए जो सीधे आम आदमी से जुड़े हैं….
- नोटबंदी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी का ऐलान कर 1000 और 500 रुपये की करेंसी को प्रतिबंधित कर दिया था। ऐलान के साथ ही दावा किया कि इस कदम से कालेधन पर लगाम लगेगी। मोदी सरकार के इस फैसले को केन्द्रीय रिजर्व बैंक ने ऐलान से महज 4 घंटे पहले मंजूरी दी थी। यानी पूरी रणनीति गोपनीय तरीके से बनी थी, जिसमें वित्त मंत्री अरुण जेटली की मुख्य भूमिका थी।
- जीएसटी (एक राष्ट्र, एक टैक्स): पिछली सरकारों में इसपर केवल चर्चा हुई थी, लेकिन अरुण जेटली ने जीएसटी की गाड़ी सही तरीके से पटरी पर दौड़ाई। इस नए टैक्स सिस्टम में सभी वस्तुओं के लिए अब अलग-अलग टैक्स नहीं देना पड़ता है। जीएसटी वित्तीय क्षेत्र में सुधार को लेकर सबसे बड़ा कदम है, जिसे लागू करवाने को लेकर अरुण जेटली को हमेशा याद किया जाएगा।
- इनसॉल्वेंसी एवं बैंकरप्सी कोड: कर्ज न चुकाने वाले बकाएदारों से निर्धारित समय के अंदर बकाए की वसूली के लिए अरुण जेटली इसे लेकर आए थे। सर्वप्रथम यह बिल 21 दिसंबर 2015 को प्रकाशित हुआ था। लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद 28 मई 2016 को यह बिल लागू हुआ। इस बिल के लागू होने के बाद बैंकों और अन्य लेनदारों को दिवालिया कंपनियों से वसूली में मदद मिल रही है। रिपोर्ट्स की माने तो अबतक इस बिल के तहत दिवालिया कंपनियों से 1.42 लाख करोड़ रुपए की वसूली हो चुकी है।
- जनधन योजना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी ‘जनधन योजना’ की कामयाबी का श्रेय भी अरुण जेटली को ही जाता है। बतौर वित्त मंत्री जेटली ने यह सुनिश्चित करने में सफलता पाई कि बैंक आम लोगों के लिए अपने दरवाजे न बंद करें। वित्त मंत्रालय के ताजा आंकड़े के मुताबिक 3 जुलाई 2019 तक कुल 36.06 करोड़ जनधन खाते खुल चुके थे।
- कैश ट्रांसफर स्कीम: गरीबों को फायदा पहुंचाने के लिए कई योजनाओं के तहत सब्सिडी दी जा रही थी। इसमें भ्रष्टाचार की बड़ी शिकायतें थीं। तत्कालीन मनमोहन सरकार ने सब्सिडी में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लाभार्थियों को सीधे बैंक खाते में सब्सिडी का पैसा देने की योजना बनाई थी। इस योजना को लागू भी किया गया, लेकिन इसके मनमाफिक परिणाम नहीं मिले। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद अरुण जेटली के नेतृत्व में इस योजना को कड़ाई से लागू किया गया। आज सभी योजना की सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती है।
ये फैसले भी हैं यादगार
- एफडीआई के नियमों को आसान कर विदेशी निवेश बढ़ाने में सफलता
- बजट पेश करने की तारीख में बदलाव
- रेल बजट को आम बजट में जोड़ना
- ब्लैकमनी और बेनामी प्रॉपर्टी कानून
- मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी