नई दिल्ली: विपक्ष ने लोकसभा में सरकार पर जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का निर्णय करने से पहले संबंधित पक्षकारों से विचार विमर्श नहीं करने का आरोप लगाया। वहीं सत्तारूढ़ पक्ष ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि संसद लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है और राज्य एवं वहां के लोगों के विकास के लिए यह कदम जरूरी है। संविधान के अनुच्छेद 370 के कई प्रावधानों को समाप्त करने संबंधी संकल्प तथा जम्मू कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक एवं जम्मू कश्मीर आरक्षण (दूसरा संशोधन) विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए विपक्षी दलों के सदस्यों ने कहा कि संवैधानिक प्रावधानों को खत्म करने और जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का निर्णय राज्य की विधानसभा को लेना चाहिए था।
चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि कश्मीर पर संसद पक्षकार है, देश के 130 करोड़ नागरिक पक्षकार हैं और उनके प्रतिनिधि के तौर पर हम सभी सांसद पक्षकार हैं। सबसे बड़ा पक्षकार कौन हो सकता है? चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस और केंद्र में सत्तारूढ़ राजग की सहयोगी जदयू के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। तृणमूल कांग्रेस ने सदन से वाकआउट करते हुए कहा कि वह अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का और राज्य पुनर्गठन विधेयक का विरोध करती है और न ही समर्थन करते दिखना चाहती है। तृणमूल नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य में आरक्षण संबंधी विधेयक का समर्थन करती है, लेकिन अनुच्छेद 370 संबंधी संकल्प और राज्य पुनर्गठन संबंधी विधेयक का विरोध करती है। सरकार को यह निर्णय करने से पहले विभिन्न राजनीतिक दलों एवं पक्षकारों से विचार विमर्श करना चाहिए।
बंदोपाध्याय ने नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला तथा पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती को हिरासत में लिए जाने संबंधी खबर के बारे में चिंता व्यक्त की। राकांपा नेता सुप्रिया सुले ने भी फारूख अब्दुल्ला के बारे में जानना चाहा। गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि नेशनल कान्फ्रेंस के नेता एवं सांसद फारूख अब्दुल्ला को न तो हिरासत में लिया गया है और न ही गिरफ्तार किया गया है, वह अपनी मर्जी से अपने घर पर हैं।
जम्मू कश्मीर के बारे में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश सांविधिक संकल्प एवं विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराएं हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र सरकार के कदम को लेकर संवैधानिक आधार पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि संसद में आज जो हो रहा है वह एक संवैधानिक त्रासदी है। तिवारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ भारत का अभिन्न अंग पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनकी सरकार के कारण बने। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को दो राज्यों में विभाजित करने के लिए वहां की विधायिका की कोई अनुमति नहीं ली गई। वहां की विधानसभा भंग की गई और अब संसद में ही राज्य के बारे में फैसला हो रहा है। चर्चा के दौरान भाजपा के जुगल किशोर शर्मा ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराएं हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र सरकार के कदम को ऐतिहासिक करार दिया, साथ ही कहा कि अनुच्छेद 370 ने राज्य को सिर्फ बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आतंकवाद दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू जिम्मेदार हैं। राज्य को भारी राशि दी गई लेकिन यह राज्य के कुछ परिवारों तक ही रह गई। शर्मा ने कहा कि कश्मीरी पंडितों को वहां से भागना पड़ा और आज तक उनके साथ न्याय नहीं हुआ।