लखनऊ। प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती के मामले में विवाद खत्म होता नहीं दिख रहा है। यूपी प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर की है। अपील में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए इस पर रोक लगाने या रद्द करने की मांग की गई है। इससे पहले प्रदेश सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दाखिल की जा चुकी है, जिसमें कहा गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट बिना उसका पक्ष सुने कोई आदेश जारी न करे।
इस पर एसोसिएशन के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी है और वहां से फाइल नम्बर मिल गया है।
6 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69000 शिक्षक भर्ती मामले में अपना फैसला सुनाया था। उसके बाद से सहायक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ लगा। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के कटऑफ बढ़ाने के फैसले को सही बताया था। इसके अलावा इस भर्ती प्रक्रिया को तीन महीने के अंदर पूरा करने का भी आदेश दिया है।
कोर्ट में लंबित चल रहे इस मामले पर फैसले का इंतजार लंबे वक्त से चल रहा था। करीब डेढ़ साल तक चली सुनवाई के दौर के बाद कोर्ट ने सहायक अध्यापकों के मामले में फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की खंडपीठ ने सरकार की तरफ से तय किए गए मानकों पर मुहर लगा दी।
पिछले साल की शुरूआत में शिक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित हुई थी, जिसमें 4 लाख 10 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए थे। परीक्षा के बाद राज्य सरकार ने भर्ती के लिए सामान्य वर्ग में 65 फीसदी और आरक्षित वर्ग में 60 फीसदी अंक तय किए थे। सरकार के इस फैसले को शिक्षा मित्रों ने हाईकोर्ट में चैलेंज किया था। हाईकोर्ट में मामले पर लंबी सुनवाई के बाद आखिरकार फैसला राज्य सरकार के हक में दिया गया। शिक्षा मित्र सामान्य वर्ग के लिए 45 फीसदी और आरक्षित वर्ग के लिए 40 फीसदी अंक की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार ने कटआॅफ बढ़ा दी थी।